ग़ज़ल : फ़िराक़

Webdunia
Aziz AnsariWD
ये तो नहीं कि ग़म नहीं
हाँ! मेरी आँख नम नहीं

तुम भी तो तुम नहीं हो आज
हम भी तो आज हम नहीं

अब न खुशी की है खुशी
ग़म भी अब तो ग़म नहीं

मेरी नशिस्त है ज़मीं
खुल्द नहीं इरम नहीं

क़ीमत-ए-हुस्न दो जहाँ
कोई बड़ी रक़म नहीं

लेते हैं मोल दो जहाँ
दाम नहीं दिरम नहीं

सोम-ओ-सलात से फ़िराक़
मेरे गुनाह कम नहीं

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

C-Section के बाद नहीं कम हो रही बैली, इन ट्रिक्स को अपनाने से मिलेगा फायदा

राइस वॉटर से बने इस कोरियन हेयर केयर मास्क से मिलेंगे घर पर ही सलून जैसे सॉफ्ट और सिल्की बाल

क्या बच्‍चों का माथा गर्म रहना है सामान्य बात या ये है चिंता का विषय?

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

सर्दियों में खुद को बनाए रखें फिट और तंदुरुस्त, पिएं ये प्राकृतिक हर्बल टी

सभी देखें

नवीनतम

घरेलू नुस्खा : सिर्फ इन 2 चीजों से घर पर बनाएं ये प्राकृतिक बॉडी स्क्रब

ये है दुनिया का एकमात्र तलाक मंदिर जो बन गया महिला सशक्तिकरण की मिसाल

हरिवंश राय बच्चन की जयंती, जानें जीवन परिचय और लोकप्रिय कविता मधुशाला

वेजाइना की इचिंग से हैं परेशान, इन 3 उपायों से मिनटों में पाएं आराम

ऑफिस में बनाना चाहते हैं बढ़िया इमेज तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां

More