उर्दू हिन्दुस्तान की ज़ुबानों में अपने लबो-लेहजे की तवंगरी और शीरीनी की बाइस हरदिल अज़ीज़ और मक़बूले आम है। इस ज़ुबान की अपनी इक तहज़ीब और अपनी एक अज़ीमुश्शान रिवायत है।
हिदुस्तान की दीगर ज़ुबानों की तरह मरकज़ी और रियासती हुकूमतें उर्दू की तरक़्क़ी और तरवीज के लिए भी कूशाँ हैं और अपने अपने दायरा-ए-कार और वसाइल के मुताबिक़ अमल कर रही हैं। इस ज़ुबान की हमागीर तरक़्क़ी के लिए उर्दू अकादमियाँ क़ाइम की गई हैं। मध्य प्रदेश भी उन रियासतों में शामिल है जहाँ बाक़ायदा उर्दू अकादमी बरसरे अमल है। उर्दू ज़ुबान-ओ-अदब की हमाजहती और तरक़्क़ी के अलावा मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी के मक़ासिद में ये बात भी शामिल है के इस सूबे के अदीबों, शायरों, नाक़िदों और दीगर मुसन्निफ़ों की तो तरह मआवेनत करती है। अव्वल तो ये के वो अदीब जो अपनी तसानीफ़ की ख़ुद इशाअत करना चाहते हैं उन्हें अकादमी माक़ूल माली तआवुन देती है, दूसरे ये के अकादमी किताबों की इशाअत का ख़ुद भी मनसूबा रखती है। इन दोनों उमूर का फ़ैसला माहेरीन पर मुशतमिल कमेटी की राय के मुताबिक़ किया जाता है। हमें ख़ुशी है के माहेरीन की कमेटी ने ज़ेरे नज़र किताब 'रक़्स-ए-क़लम' की इशाअत के लिए माली तआवुन फ़राहम करना मंज़ूर किया है। हमें उम्मीद है के जनाब रेहबर जोनपुरी की इस काविश की ख़ातिर ख़्वाह पज़ीराई होगी। -
नुसरत मेंहदीसेक्रेट्री, मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी (भोपाल)जनाब रेहबर जोनपुरी के कलाम पर कुछ मशहूर अदीबो और शायरों की राय * रेहबर जोनपुरी बनी इस शख़्सियत ने डॉ. इक़बाल, ब्रिज नारायण चकबस्त, और जोश मलीहाबादी की शैली में उर्दू नज़्म के ज़रीए अपनी एक अलग पहचान बनाई है।-
सुनील कुमार जैन . |
अदबी दुनिया में रेहबर जोनपुरी की शनाख़्त नज़्मगो शायर की हैसियत से ज़्यादा है। मगर उन्हें सभी असनाफ़े सुख़न पर क़ुदरते कामला हासिल है। |
|
|
* जनाब रेहबर जोनपुरी की शख़्सियत तो यूँ भी बहुत शानदार है। तमाम नज़्में और ग़ज़लें एहसासात और जज़बात से लबरेज़ होने के अलावा अपने अन्दर एक मक़सद भी रखती हैं
- मोहम्मद अनीस अंसारी
* भाई आपकी नज़्मिया शायरी का तो मैं पहले ही से दिलदादा हूँ क्योंके ये अपने क़ारी और सामेअ से बराहे रास्त मुकालमा क़ाइम करती है।
वाली आसी
* अदबी दुनिया में रेहबर जोनपुरी की शनाख़्त नज़्मगो शायर की हैसियत से ज़्यादा है। मगर उन्हें सभी असनाफ़े सुख़न पर क़ुदरते कामला हासिल है।
- कौसर सिद्दीक़ी
* रेहबर जोनपुरी हक़ीक़त पस्न्द शायर हैं, उनके कलाम में असरी आगही और वक़्त के बदलते तक़ाज़ों का एहसास है। ज़िन्दगी के मसाइल और पेचीदगियोँ को वो गहरी नज़र से देखते हैं।
डॉ. रज़िया हामिद
* जनाब रेहबर जोनपुरी की नज़्मों की ये ख़ूबी है के वो सुन्ने के साथ साथ काग़ज़ पर भी फ़िक्र-ओ-नज़र मोतास्सिर करती हैं।
डॉ. अज़ीज़ इन्दौरी
* रेहबर जोनपुरी उर्दू के एक बेबाक और अच्छे शायर का नाम है। उनके कलाम को पढ़कर अन्दाज़ा होता है के शायर महज़ अल्फ़ाज़ के तोता-मैना नहीं बनाता बलके अपनी शायरी को एक वाज़े रुइख़ अता करता है।
प्रो.उनवान चिश्ती
* रेहबर साहब यूँ भी बहुत अच्छे शे'र फ़रमाते हैं। मगर उनकी नज़्मों में उनका फ़न पूरी तरह नुमायाँ है।
ख़ुमार बाराबंकवी
* रेहबर जोनपुरी, साहेबेदिल, साहेबेनज़र शायर हैं। वो इश्क़े ख़ुदा और मोहब्बतें रसूल में इस तरह रचे बसे हैं के उनकी याद में जिस लफ़्ज़ को छू देते हैं वो लफ़्ज़ महकने लगता है।
- डॉ. बशीर बद्र