शायर - दिलावर फ़िगार
झूट अपनी ज़िन्दगी में जब से शामिल हो गया
ज़िन्दगी मुश्किल ही थी मरना भी मुश्किल हो गया
सच बना देती है झूटे केस को झूटी दलील
एक झूटा दूसरे झूटे को करता है वकील
केस झूटा, मुद्दाई झूटा, अदालत क्या करे
लाएयर लायर बने, खाली वकालत क्या करे
झूट के पुल बांधते हैं इस तरह इनजीनियर
तुम मेरे दिल को डियर हो, तुम मेरे दिल से नियर
लब पे ये है तुम परी चेहरा हो, रश्क-ए-हूर हो
दिल में ये है तुम तो इक तजवीज़-ए-नामंज़ूर
लब पे ये है आपका चेहरा नहीं होता मलूल
दिल में ये है आपका चेहरा है या गोभी का फूल
लब पे ये है बैठिए साहब कई दिन बाद आए
दिल में ये है काश ये कम्बख्त फ़ौरन भाग जाए
एक दिन जब झूट का मतलब समझ में आएगा
मेरा दावा है कि मेरा झूट सच बन जाएगा