* साया हैं न दीवारें = ज़ीस्त के जंगल में = हैं धूप की बौछारें
* मरहम न दवा लाया = कैसा मसीहा है = शम्शीर बकफ़ आया
* चाहत में है रुसवाई = सोच ले पहले तू = फिर चाह मेरे भाई
* क्या सुबहु का मंज़र है = ओस की ख़ुश्बू से = हर चीज़ मोअत्तर है
* साया ही कभी देगा = इसकी हिफ़ाज़त कर = ये पेड़ है रिश्तों का