शायर---दिलावर फ़िगार
1. गधे करने लगे हैं 'चाय नोशी'------चाय पीना
मगर इंसान भूकों मर रहे हैं
'तनज़्ज़ुल' की तरफ़ माइल है इंसाँ-----गिरावट,
गधे काफ़ी तरक़्क़ी कर रहे हैं
2. शाइरों ने रात भर बस्ती में 'वावेला' किया----शोर-शराबा
'दाद' के हंगामे से सारा मोहल्ला डर गया-----प्रसंशा
इक 'ज़ईफ़ा' अपने बेटे से ये बोली अगले रोज़-----बूढ़ी महिला
रात कैसा शोर था क्या कोई शाइर मर गया
3. नाम पूछा जो एक शायर से
हंस के बोले कि बूअली पुख है
मैं ने पूछा कि पुख से क्या मतलब
मुस्कुरा कर कहा तसल्लुख है ----------तखल्लुस को तसल्लुख कहा
4. 'सकता' था एक 'शाइर-ए-आज़म' के शे'र में-----खोट, ------बड़े शायर
ये देख के तो मैं भी तअज्जुब में पड़ गया
पूछी जो इस की वजह तो कहने लगे जनाब
सरदी बहुत शदीद थी मिसरा सुकड़ गया
5. इक बड़े अफ़सर को कल इक 'हादिसा' पेश आ गया------दुर्घटना-
बेल गाड़ी लड़ गई साहब की मोटर कार से
कार की रफ़्तार तो ज़ीरो थी साहब के ब्क़ौल
बेल गाड़ी जा रही थी साठ की रफ़्तार से
6. पुलिस वाले किसें ठहराऎं क़ातिल
कहाँ तक झूटे अफ़साने तराशें
कोई क़ातिल नहीं होता किसी का
खुद अपना क़त्ल कर लेती हैं लाशें
7. शाइरों का इक 'अज़ीमुश्शान' जलसा था फ़िगार-------बहुत बड़ा
'हाज़रीन-ए-बज़्म' थे इस बज़्म में गिनती के तीन-----सभा में उपस्थित
और इन तीनों की 'तफ़सीलात' भी सुन लीजिए------विवरण
इक जनाबे 'सद्र',इक सेक्रेट्री, इक 'सामईन'--------अध्यक्ष,-------सुनने वाले
8. शाइर में और शे'र में इक बहस छिड़ गई
वो बहस जिस का लुत्फ़ उठाए हुए हैं हम
शाइर तो कह रहा था कि हमने कहा है शे'र
और शे'र कह रहा था चुराए हुए हैं हम
9. ऎ शहंशाहे तरन्नुम ये तरन्नुम क्या खूब
लोग आवाज़ के झटके से ही हिल जाएँगे
ये दुआ मांग सलामत रहे तेरी आवाज़
रह गए शे'र तो मांगे से भी मिल जाएंगे
10. इक युनिवर्सिटी में किसी सूट-पोश से
मैंने कहाकि आप हैं क्या कोई सारजंट
कहने लगे कि आप से मिसटेक हो गई
आइ एम दि हेड आफ़ दि उर्दू डिपार्टमेंट
11. कल इक चुंगी में चौथी फ़ेल अफ़सर नज़र आया
मैं समझा ये किसी ऊंची सिफ़ारिश का नतीजा है
बड़ी तहक़ीक़ के बाद आज ये 'उक़दा' खुला मुझ पर--------भेद
कि वो चुंगी के मेम्बर के भतीजे का भतीजा है
12. इस सिनेमा की बदौलत हिन्द-ओ-पाकिस्तान में
कैसे कैसे 'वामिक़-ओ-फ़रहाद' पैदा हो गए----------आशिक़
एक पंडित जी की नर्गिस पर तबीयत आ गई
एक मौलाना मधुबाला पे 'शैदा' हो गए--------फ़िदा
13. सुना है सास को आज इक बहू ने पीट दिया
तो इस खबर पे ये हंगामा चारसू क्या है
मियाँ से लड़ने झगड़ने के हम नहीं क़ाइल
जो सास को ही न ठोके तो फिर बहू क्या है
14. शरबत-ए-दीदार मिल जाए कहीं इस फ़िक्र में
एक साहब घूमते फिरते हैं दिल का जग लिए
हो तो दिलचस्पी हसीनों से मगर एसी न हो
जब कोई सूरत हसीं देखी तो पीछे लग लिए
15. एक इस्टेशन पे जम कर रह गई थी क्यों ट्रेन
ये हक़ीक़त देखने वालों पे मुश्किल से खुली
गार्ड साहब 'मरहमत' फ़रमा रहे थे इक ग़ज़ल-------सुना
'दाद-ए-परवाज़-ए-तखय्युल' दे रहे थे कुछ क़ुली------उनके विचारों की उड़ान की तारीफ़