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बीस-बाईस साल से मेरे शहर इंदौर को न जाने क्या हो गया ह ै? न बंबई बाज़ार में श े' रो-शायरी की महफिलें मुनअकिद हो रही हैं और न रानीपुरा में। वरना ये दोनों मोहल्ले अपनी अदबी ख़िदमात के लिए काफ़ी मशहूर थे। एक तरफ़ 'शादा ँ' इंदौर ी, ' ताबा ँ' इंदौरी और 'बेधड़ क' इंदौरी का बोलबाला था तो दूसरी तरफ 'क़ैस र' इंदौर ी, ' नश्त र' इंदौरी और 'ज़ंबू र' इंदौरी अवाम के दिलो-दिमाग़ पर छाए हुए थे।
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