ग़ाज़ा : ज़िन्दगी और मौत का सवाल, 20 लाख लोगों के लिए पानी हो रहा ख़त्म

Webdunia
सोमवार, 16 अक्टूबर 2023 (14:28 IST)
यूएन एजेंसी ने कहा है, ‘युद्ध के भी कुछ नियम हैं। आम लोगों, अस्पतालों, स्कूलों, क्लीनिकों और संयुक्त राष्ट्र के ठिकानों को निशाना नहीं बनाया जा सकता है’

‘UNRWA इस हिंसक टकराव के सभी पक्षों के साथ ये पैरोकारी करने में कोई क़सर बाक़ी नहीं छोड़ रही है कि वो अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने अपनी ज़िम्मेदारी अवश्य पूरी करें, जिनमें वो लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने UNRWA के आश्रय स्थलों में पनाह ली हुई है’ एजेंसी का कहना है कि ग़ाज़ा और उसके उत्तरी इलाक़े में, उसके आश्रय स्थल अब सुरक्षित महसूस नहीं हो रहे हैं। यह अभूतपूर्व स्थिति है।
यूएन एजेंसी के कहना है कि यह युद्ध भी कोई अपवाद नहीं हो सकता, आम लोगों और यूएन इमारतों सहित, तमाम नागरिक ढांचे का संरक्षण, सुनिश्चित किया जाना, इस टकराव पर भी लागू होता है।

'ज़िन्दगी और मौत का मामला'
यूएन एजेंसी के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने शनिवार को कहा है, ‘यह ज़िन्दगी और मौत का मामला बन गया है। ग़ाज़ा में अभी ईंधन भेजा जाना बहुत ज़रूरी है ताकि 20 लाख लोगों को पानी उपलब्ध हो सके. यह करना बहुत ज़रूरी है’

एजेंसी का कहना है कि ग़ाज़ा में एक सप्ताह से मानवीय सहायता की बिल्कुल भी आपूर्ति नहीं हो सकी है। एजेंसी के अनुसार ग़ाज़ा पट्टी में जल संयंत्र और सार्वजनिक जल नैटवर्कों के काम करना बन्द करने के बाद से स्वच्छ पानी ख़त्म हो रहा है।

‘लोग अब कुओं से गन्दा पानी प्रयोग करने के लिए विवश हैं, जिससे जल जनित बीमारियां फैलना का जोखिम उत्पन्न हो गया है। ग़ाज़ा में 11 अक्टूबर से लेकर ही बिजली आपूर्ति बिल्कुल ठप है जिससे जल आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है’

एक सप्ताह में 10 लाख लोग विस्थापित
ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिणी हिस्से में जहां UNRWA ने अपने सहायता अभियानों के लिए एक ठिकाना बनाया है, वहाँ भी पीने का पानी ख़त्म हो रहा है। इसराइल द्वारा ग़ाज़ा के उत्तरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को वहां से दक्षिणी हिस्से में चले जाने का आदेश जारी किए जाने के बाद से हज़ारों लोगों ने उस इलाक़े में पनाह ली है। पिछले केवल 12 घंटों के दौरान, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। ये विस्थापित अब भी जारी है क्योंकि लोग ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिणी इलाक़े की तरफ़ रवाना हो रहे हैं। केवल एक सप्ताह के दौरान लगभग दस लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं।

UNRWA के मुखिया फ़िलिपे लज़ारिनी का कहना है, ‘हमें बिल्कुल इसी समय ग़ाज़ा में ईंधन भेजना होगा। ईंधन आपूर्ति एक मात्र ऐसा रास्ता है, जिससे लोगों को सुरक्षित पानी मिल सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो गम्भीर प्यास के कारण लोगों की मौत होनी शुरू हो जाएगी, जिनमें छोटे बच्चे, बुज़ुर्ग और महिलाएं भी हैं’ उन्होंने कहा, ‘पानी ही अब अन्तिम जीवनरेखा है। मैं मानवीय सहायता की आपूर्ति पर लगी पाबन्दी को, बिल्कुल अभी हटाए जाने की अपील करता हूं’

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