डब्ल्यूएचओ का कहना है कि किशोरियां अंतरंग साथी हिंसा का शिकार होती हैं। संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि अपने साथी के साथ सम्बन्ध रखने वाली सभी किशोर लड़कियों में से लगभग एक चौथाई यानि क़रीब 1.9 करोड़ लड़कियां 20 वर्ष की आयु तक अन्तरंग साथी के हाथों हिंसा का अनुभव कर चुकी होती हैं।
The Lancet Child & Adolescent Health जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है और अन्तरंग सम्बन्धों में रहने वाली 15 से 19 साल की लड़कियों के बीच शारीरिक और/या यौन हिंसा के प्रसार पर पहली विस्तृत जांच प्रस्तुत करता है। वर्ष 2023 में लगभग 16 प्रतिशत लड़कियां यानि हर छह में से एक लड़की इससे प्रभावित थी।
विनाशकारी प्रभाव : यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) के यौन, प्रजनन स्वास्थ्य और अनुसन्धान विभाग के निदेशक डॉक्टर पास्केल एलोटे ने कहा कि चिन्ताजनक बात यह है कि दुनिया भर की लाखों युवा महिलाएं, बहुत शुरुआत से ही अन्तरंग साथी की हिंसा की शिकार हो रही हैं।
उन्होंने कहा, कच्ची उम्र में हिंसा का सामना करने के बहुत गहरे व स्थाई परिणाम हो सकते हैं, इसलिए इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा समझकर बहुत गम्भीरता से लेना ज़रूरी है, जिसमें पूरा ध्यान रोकथाम एवं लक्षित समर्थन पर केन्द्रित हो
WHO के मुताबिक़ अन्तरंग साथी की हिंसा का स्वास्थ्य पर बेहद विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। इससे चोटें, अवसाद, चिन्ता विकार, अनियोजित गर्भधारण, यौन संचारित संक्रमण तथा कई अन्य शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं का शिकार होने की सम्भावना बढ़ सकती है। साथ ही शैक्षिक उपलब्धियां, भविष्य के सम्बन्ध व जीवनभर की सम्भावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
क्षेत्रीय अन्तर : हालांकि यह समस्या सभी जगहों पर फैली है, लेकिन WHO के अध्ययन में इसके प्रसार की दरों में क्षेत्रीय अन्तर पाए गए। क्रमशः 47 प्रतिशत और 40 प्रतिशत की दर से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र, ओशियाना और मध्य उप-सहारा अफ़्रीका हैं, जबकि सबसे कम दर, यानि 10 प्रतिशत की दर, मध्य योरोप एवं 11 प्रतिशत मध्य एशिया में पाई गई।
इसके अलावा, युवा महिलाओं के ख़िलाफ़ अन्तरंग साथी की हिंसा, निम्न-आय वाले देशों में सबसे आम है, जहां बहुत कम लड़कियां ही माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर पाती हैं, और जहां पुरुषों के मुक़ाबले सम्पत्ति पर क़ानूनन उनका मालिकाना हक़ या विरासत के अधिकार कमज़ोर हैं। WHO के अनुसार 18 साल की उम्र से पहले बाल विवाह होने से भी जोखिम बढ़ जाते हैं। फिर पति-पत्नी की उम्र में बड़ा अन्तर होने से शक्ति असन्तुलन, आर्थिक निर्भरता और सामाजिक अलगाव पैदा होता है– और यह सभी कारक, उत्पीड़न की सम्भावनाएं बढ़ाते हैं
रोकथाम, सुरक्षा, सशक्तिकरण : इस मुद्दे को सम्बोधित करने के लिए WHO ने किशोर लड़कियों को लक्षित करते शुरुआती रोकथाम उपायों व समर्थन सेवाओं को मज़बूत करने की तात्कालिकता पर बल दिया है। साथ ही महिलाओं व लड़कियों के संगठन व अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए कार्रवाई ज़रूरी है, जिसके तहत लड़के व लड़कियों को स्वस्थ रिश्तों व हिंसा से सुरक्षा, क़ानूनी सुरक्षा उपायों व आर्थिक सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर स्कूल-आधारित कार्यक्रम चलाना शामिल हो।
यूएन स्वास्थ्य संगठन ने दोहराया कि फिलहाल सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप 2030 तक महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा ख़त्म करने का लक्ष्य हासिल करने हेतु, कोई भी देश सही रास्ते पर नज़र नहीं आ रहा है। WHO ने कहा कि इसीलिए वैश्विक स्तर पर हर पांच में से एक लड़की को प्रभावित करने वाले बाल विवाह का अन्त करने और माध्यमिक शिक्षा तक लड़कियों की पहुंच बढ़ाने से किशोरियों के ख़िलाफ़ अन्तरंग साथी हिंसा घटाने में मदद मिलेगी।
समानता और शिक्षा : WHO में महिला हिंसा के ख़िलाफ़ डेटा और मापन की तकनीकी अधिकारी व अध्ययन की लेखक डॉक्टर लिनमेरी सारदिन्हा ने कहा कि अध्ययन से पता चलता है कि लिंग-आधारित हिंसा को समाप्त करने के लिए, देशों को ऐसी नीतियों व कार्यक्रमों की आवश्यकता है जो महिलाओं और लड़कियों के लिए समानता बढ़ाएं।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है सभी लड़कियों के लिए माध्यमिक शिक्षा सुनिश्चित करना, समान सम्पत्ति अधिकार सुरक्षित करना और बाल विवाह जैसी हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना ज़रूरी है। यह अक्सर उन्हीं असमान लैंगिक मानदंडों पर आधारित होते हैं, जो महिलाओं एवं लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा के ज़िम्मेदार होते हैं।
इस उद्देश्य से WHO महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को मापने व उससे निपटने के लिए देशों का समर्थन करता है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के भीतर रोकथाम एवं प्रतिक्रिया को मज़बूत करने के प्रयास भी शामिल हैं। इसके अलावा यूएन एजेंसी साल के अन्त तक बाल विवाह की रोकथाम के लिए नए दिशानिर्देश जारी करने की भी योजना बना रही है।