उज्जैन महाकाल मंदिर में कहां क्या दर्शन करें, जानिए

WD Feature Desk
गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024 (12:52 IST)
Ujjain Mahakal Temple Darshan: मध्यप्रदेश की कुंभ नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पास 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर बाबा का मंदिर है। यह ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख है। यहीं पर 2 शक्तिपीठ भी स्थित है। महान विक्रामादित्य की नगरी में स्थित इस शिवलिंग की प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता है।
 
श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठं तु वनमेव च,
पंचैकत्र न लभ्यते महाकाल पुरदृते। (अवन्तिका क्षेत्र माहात्म्य 1-42) 
यहां पर श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठ एवं वन- ये 5 विशेष संयोग एक ही स्थल पर उपलब्ध हैं। यह संयोग उज्जैन की महिमा को और भी अधिक गरिमामय बनाता है। 
ALSO READ: उज्जैन महाकाल मंदिर का संपूर्ण परिचय और इतिहास
ज्योतिर्लिंग : उज्जैन स्थित महाकाल बाबा का ज्योतिर्लिंग सभी ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है क्यों पुराणों में लिखा है कि आकाशे तारकं लिंगं, पाताले हाटकेश्वरम्। मृत्युलोके च महाकालौ: लिंगत्रय नमोस्तुते।।
 
अर्थात:- आकाश में तारकलिंग है पाताल में हाटकेश्वरलिंग है तथा मृत्युलोक में महाकाल ज्योतिर्लिंग स्थित है। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों को नस्कार। मतलब यह कि इस धरती पर एकमात्र महाकाल ज्योतिर्लिंग ही है जिन्हें कालों के काल महाकाल कहा जाता है।
गर्भगृह में महाकाल ज्योतिर्लंग मंदिर : वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है, वह 3 खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है। नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही करने दिए जाते हैं। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड है।
 
महाकाल ज्योतिर्लिंग : गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है। इसी के साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएं हैं। गर्भगृह में नंदी दीप स्थापित है, जो सदैव प्रज्वलित होता रहता है। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की प्रतिमा विराजित है। यहां पर प्रात: 6 बजे से रात्रि के 10 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
ALSO READ: उज्जैन महाकाल की सवारी का रोचक इतिहास
जूना महाकाल : महाकाल के दर्शन करने के बाद जूना महाकाल के दर्शन जरूर करना चाहिए। कुछ लोगों के अनुसार जब मुगलकाल में इस शिवलिंग को खंडित करने की आशंका बढ़ी तो पुजारियों ने इसे छुपा दिया था और इसकी जगह दूसरा शिवलिंग रखकर उसकी पूजा करने लगे थे। बाद में उन्होंने उस शिवलिंग को वहीं महाकाल के प्रांगण में अन्य जगह स्थापित कर दिया जिसे आज 'जूना महाकाल' कहा जाता है। हालांकि कुछ लोगों के अनुसार असली शिवलिंग को क्षरण से बचाने के लिए ऐसा किया गया।
 
भस्मारती : पूरे भारतवर्ष में यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहां ताजी चिताभस्म से प्रात: 4 बजे भस्म आरती होती है। इस मंदिर से ही प्राचीनकाल में संपूर्ण विश्व के मानक समय का निर्धारण होता था। इसलिए भी इन्हें कालों के काल महाकाल कहा जाता है। उज्जैन के आकाश से ही काल्पनिक कर्क रेखा गुजरती है।
 
वैदिकघड़ी : एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है। यहीं पर से अनुमानित कर्क रेखा गुजरती है। इसीलिए यहां पर प्राचीन काल में कर्कराज मंदिर स्थापित किया गया। वैदिक घड़ी क्या है और क्या है इसकी खासियत। उज्जैन में साढ़े तीन काल विराजमान है- महाकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्ध काल भैरव। इनकी पूजा का विशेष विधान है।

Related News

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह में आ रही अड़चन, तो आज ही धारण करें ये शुभ रत्न, चट मंगनी पट ब्याह के बनेंगे योग

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Aaj Ka Rashifal: आज किसके बनेंगे सारे बिगड़े काम, जानें 21 नवंबर 2024 का राशिफल

अगला लेख
More