पहाड़ों की रानी माने जाने वाली शिमला की प्राकृतिक छटा जितनी खूबसूरत है, उपनिवेशवादी इतिहास भी उतना ही अधिक शानदार है।
ब्रिटिश साम्राज्य के शासनकाल में काफी समय तक शिमला को भी भारत की राजधानी की ही तरह उपयोग किया जाता था। भारत की गरमी से बचने के लिए तत्कालीन वायसराय गर्मियों के दौरान शिमला को अपनी राजधानी बनाते और वहीं से अपना प्रशासनिक कार्य करते थे।
शायद यही वजह है कि ब्रिटिश प्रशासकों द्वारा कालका से शिमला तक रेलवे लाइन भी बिछाई गई थी, जो आज भी विद्यमान है।
वर्तमान में यह एक पर्यटन स्थल होने के साथ पर्यटकों के बीच सबसे बड़ा शॉपिंग स्थल भी मानी जाती है। यहाँ की शॉपिंग में महत्वपूर्ण है, हिमाचल प्रदेश के हस्त-निर्मित सामान।
यूँ तो शिमला विदेशी पर्यटकों के पसंदीदा स्थानों में से एक है, लेकिन ब्रिटिश पर्यटकों में यह खासा लोकप्रिय है। इस लोकप्रियता की खास वजह यहाँ की ब्रिटिश कालीन इमारतें हैं, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक युग की खास पहचान हैं। इसके साथ ही कई ब्रिटिश यहाँ अपनी जड़ों को खोजते हुए आते हैं।
समुद्री तट से 2,310 मीटर की ऊँचाई पर स्थित शिमला की ऐतिहासिक मॉल रोड आज भी पर्यटकों के आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र मानी जाती है।
रिचर्ड बेज नामक ब्रिटिश पर्यटक के अनुसार हम अपनी पाठ्यपुस्तकों में सिर्फ अपने साम्राज्यवादी इतिहास के विषय में पढ़ते हैं, पर शिमला में हम इस इतिहास का जीवंत स्वरूप देखते हैं।
शिमला में इस साल के मई महीने तक 40,000 विदेशी पर्यटकों के आने की पुष्टि हुई है, जबकि पिछले साल करीब 90,000 पर्यटक शिमला आए थे।