भारत को जिस दल से मेडल जीतने की सबसे ज्यादा आशा थी वह था निशानेबाजी दल। हो भी क्यों ना, भारत के शीर्ष निशानेबाजों ने कॉमनवेल्थ से लेकर, एशियन गेम्स और फिर विश्वकप में मेडल की झड़ी लगा दी थी, लेकिन टोक्यो में अचानक सूखा पड़ गया। अगर यह कहा जाए कि निशानेबाजी और मुक्केबाजी दल के कारण ही भारत टोक्यो में अपनी सर्वश्रेष्ठ पदक तालिका का लक्ष्य पूरा करने उतरा था तो बेइमानी नहीं होगी। लेकिन मुक्केबाजी में बस दो महिला खिलाड़ियों से आस है।अब 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में अनुभवी राही सरनोबत और मनु भाकर से उम्मीद है।
इस लचर प्रदर्शन के पीछे जो बातें सामने आ रही हैं वह चौंकाने वाली है। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक कोच और खिलाड़ियों की अनबन के कारण निशानेबाजी का खेल अलग दिशा में ही मुड़ गया।
इसमें सबसे पहले मनु भाकर और उनके कोच जसपाल राणा का नाम सामने आ रहा है। मंगलवार को भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष रणइंदर सिंह ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय निशानेबाजी टीम के अब तक के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया दी है। जिसमें उन्होंने स्वीकारा है कि मनु भाकर और जसपाल राणा के बीच अनबन थी। ओलंपिक से ठीक पहले रौनक पंडित को उनका कोच बनाया गया।
उन्होंने जसपाल राणा पर नकारात्मकता फैलाने का आरोप भी लगाया।
मनु ही नहीं सौरभ भी राणा से नहीं लेना चाहते थे ट्रेनिंग
साल 2018 में यूथ ओलंपिक के बाद सौरभ चौधरी ने भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ को एक मेल लिखा जिसमें उन्होंने यह बताया कि वह राणा से कोचिंग नहीं लेना चाहते। इस जवाब में एनआरएआई ने उनको बताया कि उन्हें जूनियर टीम के नेशनल कोच राणा के निगरानी में ही खेलना पड़ेगा अगर जूनियर टीम से जुड़े रहना है तो, इसके बाद सौरभ सीनियर टीम से जुड़ गए जबकि वह 2-3 साल जूनियर टीम में रहकर अपने बेसिक्स पर ध्यान दे सकते थे।
जसपाल राणा ने टी-शर्ट पहन कर उड़ाया था मजाक
साल 2018 की ही बात है। अनीश भानवाला ने भी यही गुजारिश करी जो एनआरएआई ने ठुकरा दी। जसप्रीत राणा ने संभवत यह बातें इतनी गंभीरता से ली कि उन्होंने अपने टी- शर्ट पर कुछ वाक्य लिखवा लिए जिसे पहनकर वह इस साल दिल्ली में हुए विश्वकप के दौरान घूमते दिखे। इस विश्वकप में मनु भाकर 25 मीटर पिस्टल मैच में चिंकी यादव के हाथों हार गई थी।
राणा की टी-शर्ट पर लिखा हुआ था- 'मिल गई खुशी, बधाई हो... आपको और अभिषेक को अपना ईगो मुबारक'
।इस वाक्ये के बाद जसपाल पर कोई कार्यवाही भी नहीं हुई।
प्री ओलंपिक ट्रेनिंग का हुआ कबाड़ा
क्रोएशिया में हुई प्री ओलंपिक ट्रेनिंग में भी कोच एक दूसरे पर निशानेबाजी करते हुए दिखे। यहा तीनों कोचों, समरेश जंग, रौनक पंडित और जसपाल राणा ने कैंप अटेंड करने से मना कर दिया। इसके बाद पंडित और जंग 15 दिन के लिए कैंप से जुड़ने को राजी हुए। राणा को क्रोएशिया पहुंचने में महीने भर से ज्यादा वक्त लग गया ऐसे में राणा से ट्रेनिंग ले रहे अभिषेक वर्मा ने अकेले ट्रेनिंग शुरु की। इस ही बीच पंडित और जंग ने उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाया।
शूटरों को भी विदेशी कोचों से सीखना नहीं था पसंद
भारतीय शूटरों को भी विदेशी कोचों से कुछ सीखना पसंद नहीं था। राइफल कोच ओलेग मिखाइलोव और पावेल स्मिरनोव नेशनल कैंप्स में मौजूद थे। हालांकि खिलाड़ियों की तैयारियों में इनकी कोई भी भूमिका नहीं थी। साल 2016 के बाद फेडरेशन ने पावेल के करार को आगे बढ़ाया था और कमेटी इस कदम के खिलाफ खड़े हुए दिख रही थी।
(एनआरएआई) के अध्यक्ष रणइंदर सिंह ने माना मनु और राणा को साथ लाने में नाकाम रहा
रणइंदर सिंह ने बताया कि मनु भाकर और जसपाल राणा को साथ लाने की उन्होंने हर संभव कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे उन्होंने यह भी कहा कि दोनों ही एक दूसरे के साथ काम नहीं करना चाहते थे। बड़े मिशन के लिए एक टीम और परिवार के तौर पर शांति स्थापित करना जरूरी होता है। लेकिन दोनों (मनु और राणा) एक दूसरे के साथ काम नहीं करना चाहते थे। लड़की कुछ और बता रही थी , मां बाप कुछ और बयान दे रहे थे और राणा अपने बचाव में कुछ और ही कह रहे थे।
रणइंदर ने स्पष्ट किया, “ निश्चित रूप से प्रदर्शन अपेक्षित स्तर पर नहीं रहा है और मैंने कोचिंग और सपोर्ट स्टाफ के कायापलट (ओवरहाॅल) की बात की है, क्योंकि मुझे लगता है कि हमारे निशानेबाजों को इन बड़े अवसरों के लिए तैयार करने में कुछ कमी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे यहां प्रतिभा है और हमने इसे यहां देखा भी है। बहरहाल हमारे पास अभी भी शुरुआत बाकी है और टीम लड़ रही है तो चलिए टीम का समर्थन करते हैं और मुझे यकीन है कि हमें परिणाम मिलेंगे। खेलों के बाद आकलन किया जा सकता है। ”