Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कश्मीर का कसैला सच : तुम्हारा नाम हिट लिस्ट में आ गया, बाहर मत निकलना...

19 जनवरी की रात तो कोई कश्मीरी पंडित कभी नहीं भूल सकेगा

हमें फॉलो करें kashmir
webdunia

स्मृति आदित्य

कश्मीरी पंडित विरेन्द्र काव की आपबीती  
असल में आतंक जो शुरू हुआ है वह पहले भी था लेकिन 89 में यह चरम पर आया....मैं तो वहीं था श्रीनगर में। असल में आतंकवाद कश्मीर में इतना बढ़ गया था कि अल्पसंख्यकों को वे निशाने पर लेने लगे थे। कश्मीरी पंडितों को चुन चुन कर मारा गया। आज एक को मारा, कल 4 को मारा, फिर हर दिन कश्मीरी पंडितों को मारा जाने लगा था...
 
तो हुआ यूं कि मेरे एक मित्र ने बताया कि तुम्हारा नाम मस्जिद की हिट लिस्ट में आ गया, मैंने कहा क्यों आया भई मैंने क्या किया है,मेरा नाम क्यों आया है? वह बोला मालूम नहीं भाई पर तुम घर से मत निकलना...मैंने अपनी पत्नी को जम्मू तत्काल भेज दिया, माता को भी भेज दिया...बस हम दो भाई थे जो घर में रहे...हम बाहर निकल ही नहीं सकते थे, क्योंकि बाहर निकलते तो हमें मार दिया जाता। शूट कर देते वो लोग... मेरा नाम मस्जिद की लिस्ट में था, मेरे एक दोस्त का नाम भी लिस्ट में था,उसने बताया कि मेरे यहां पोस्टर लगा है कि नाम लिस्ट में है, जान को खतरा है। उसका कोई कॉलेज फ्रेंड था उसने उसे भागने के लिए कहा...और वह चला गया...मेरे कई रिश्तेदार बम ब्लास्ट में मारे गए। इतने कश्मीरी हिन्दू मारे गए शब्दों में नहीं बता सकते....सिर्फ गोली या ब्लास्ट में ही नहीं असमय हार्ट अटैक से भी लोग मरे हैं।  
 
19 जनवरी की रात तो हमें भूल ही नहीं सकती.... कोई कश्मीरी पंडित उस रात को कभी नहीं भूल सकेगा। उस दिन शाम को दूरदर्शन पर मूवी आ रही थी वह बहुत पुरानी मूवी थी तो मुझे इंट्रेस्ट नहीं था...मैं कमरे में चला गया.. आधे घंटे बाद ही जोर जोर से आवाजें आने लगी....सर्दियों के दिन थे तो खिड़कियां बंद थी... 
 
मैंने खोल कर देखा तो आवाजें थी कश्मीरी पंडितों यहां से भाग जाओ, या तो हमसे मिल जाओ या फिर मरने के लिए तैयार रहो....हम सहम कर बैठे रहे कि पता नहीं अब क्या होगा हमें कब मार दिया जाएगा, पता नहीं.... खैर वो खौफनाक रात निकल गई....अगले दिन से पलायन शुरू हो गया....उसके बाद मैं भी निकल आया....रात को टैक्सी बुक कर के निकले, दिन में निकलना संभव ही नहीं था, कोई भी हमें मार सकता था...जम्मू आए तो ना कोई नौकरी थी, ना पैसे थे...जगह 
 
देने के लिए कोई नहीं था। कैंपों में रूके, वहां भी डरावने जीव जंतुओं के बीच रहे। उनकी वजह से भी कई लोग मारे गए। यह हर किसी के साथ हुआ। जम्मू में जवाबदेही लेने के लिए कोई नहीं था...     
 
कश्मीर फाइल्स मूवी में जो बताया है न बस ये समझिए कि वो सब मेरे साथ हुआ है। ये सब मेरे साथ हुआ है। ये मेरी ही आपबीती नहीं है जो वहां थे उन सबकी कहानी है। मैं जब किसी को बताता था तो कोई भरोसा नहीं करता था कई तरह के सवाल हमारे सामने आते थे। इस फिल्म ने सारे सवालों के जवाब दे दिए। अब सब जान गए कि एक्चुअल में हुआ क्या था...

32 साल से मैं अपनी कहानी आपको बताना चाहता था। मगर किसी के पास समय नहीं था। न ही किसी ने मुझे बोलने दिया। अब विवेक अग्निहोत्री ने हिम्मत कर ने मेरे दर्द को पर्दे पर लाया। लोग मुझसे हर बार पूछते थे कि क्या हुआ था...अब उनसे कहता हूं कि फिल्म में देख भी लेना और सुन भी लेना। 
 
राजनीतिक दलों ने क्या किया? बस इंटरनेशनल फोरम पर कश्मीरी पंडितों के नाम का इस्तेमाल किया जबकि वो सब दबा दिया जो हुआ था। हम अपने जख्मों के साथ अकेले रह गए। वहां को लोगों द्वारा मदद की बात सब झूठी है। स्थानीय लोग या तो मिले हुए थे या डरे हुए... जिन्हें मदद मिली होगी उन्हें मिली होगी, मुझे तो नहीं मिली मेरे साथ के किसी को भी नहीं मिली...  
 
(अवरूद्ध कंठ के साथ) यह मेरी ही कहानी है, मैं फिल्म से अलग अपने आपको देख ही नहीं सकता...पूरी फिल्म में मैं हूं और मेरे जैसे हजारों कश्मीरी हैं....
 
हमारे यहां सर्दियों में बर्फ इतनी गिरती थी कि हम चावल स्टॉक में रखते थे। गंजू जी के साथ हुआ है वह हकीकत है...गंजू जी की मां ने उन्हें ड्रम में छुपा दिया। उनके पड़ोसी की पत्नी ने ही आतंकवादियों को बताया कि मैंने देखा ऊपर जाते हुए और फिर सबको पता है अब तो फिल्मों के माध्यम से की उनकी ड्रम में चावल के साथ ही हत्या कर दी गई और वही चावल उनकी पत्नी से पकवाए..आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, ऐसे वहशीपने की,ऐसी दरिंदगी की?... 
 
एक स्त्री को कैसे चीर दिया...यह तो एक घटना है कितनी ही घटनाएं पता ही नहीं चलने दी, कितनी बातें हैं कौन बताएगा जब हर व्यक्ति को प्रताड़ित कर खत्म ही कर दिया। और फिर फिल्म में कितना दिखा सकते हैं....जाने कितनी जिंदगियां गई है जाने कितने तरीकों से मारा गया है। 
 
आप जो फिल्म में देख रहे हैं वह एक एक कश्मीरी की कहानी है... और पूरी सच्ची कहानी है.....मैं निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को, उनके साहस को सलाम करता हूं.... 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Mercedes की कारें 1 अप्रैल से 50,000 से 5 लाख रुपए तक महंगी होंगी