यूक्रेन संकट के दबाव में सेंसेक्स 778 अंक लुढ़का, निफ्टी भी फिसला

Webdunia
बुधवार, 2 मार्च 2022 (18:52 IST)
मुंबई। यूक्रेन संकट गहराने के साथ वैश्विक बाजारों में बड़े पैमाने पर हुई बिकवाली की वजह से घरेलू शेयर बाजारों में 2 दिनों से जारी तेजी का दौर बुधवार को थम गया। इस दौरान सेंसेक्स में 778 और निफ्टी में 188 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।

बाजार विश्‍लेषकों ने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में आई तीव्र गिरावट, विदेशी निवेशकों के बिकवाल बने रहने और लचर वृहद-आर्थिक आंकड़ों से घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट का रुख रहा। तीस शेयरों वाले सेंसेक्स की शुरुआत कमजोर स्तर पर हुई और दिन में यह करीब 1200 अंक तक लुढ़क गया था।

कारोबार के अंत में 778.38 अंक यानी 1.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 55,468.90 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह एनएसई का निफ्टी 187.95 अंक यानी 1.12 प्रतिशत फिसलकर 16,605.95 अंक पर आ गया। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में मारुति सुजुकी को सर्वाधिक छह प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा। फरवरी के बिक्री आंकड़े बहुत अच्छे नहीं होने से मारुति सुजुकी के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।

डॉ. रेड्डीज, एशियन पेंट्स, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के अलावा अल्ट्राटेक सीमेंट के शेयर भी भारी बिकवाली के असर में नुकसान के साथ बंद हुए। दूसरी तरफ टाटा स्टील, टाइटन, रिलायंस इंडस्ट्रीज, नेस्ले इंडिया और एक्सिस बैंक के शेयर 5.54 प्रतिशत तक लाभ कमाने में सफल रहे। कच्चे तेल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने से रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 1.67 प्रतिशत चढ़ गए। हालांकि सेंसेक्स की 30 में से 23 कंपनियां घाटे में रहीं।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, यूक्रेन युद्ध का दायरा बढ़ने से वैश्विक बाजार गिरावट पर रहे। इसके दबाव में भारतीय बाजारों में भी खासी कमजोरी देखी गई। नकारात्मक प्रभाव बड़ी कंपनियों के शेयरों पर अधिक देखा गया। हालांकि मिडकैप और स्मालकैप शेयरों का प्रदर्शन बेहतर रहा।

उन्होंने कहा, मध्यम से दीर्घावधि में अपने पोर्टफोलियो में अधिशेष नकदी लगाना समझदारी हो सकती है लेकिन निकट अवधि में उठापटक की आशंका है। कच्चे तेल के चढ़ते दाम, विधानसभा चुनावों के नतीजे और फेडरल रिजर्व के फैसले पर आने वाले हफ्तों में नजरें टिकी रहेंगी।

एम्के ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के बिक्री प्रमुख एस हरिहरन ने कहा कि बाजार फिलहाल कई वृहद गतिरोधों के बीच फंसा हुआ है। ऊंची मुद्रास्फीति से पैदा दबाव और केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक रुख में सख्ती के अलावा वृद्धि की सुस्त पड़ती रफ्तार भी असर डाल रही है।

क्षेत्रवार प्रदर्शन की बात करें तो बीएसई के वाहन, बैंकिंग, वित्त, उपभोक्ता उत्पाद और दूरसंचार सूचकांकों में 2.87 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई, जबकि धातु, ऊर्जा, तेल एवं गैस सूचकांक लाभ में रहे। व्यापक बाजार में बीएसई के मिडकैप और स्मालकैप (मझोली और छोटी कंपनियां) सूचकांक में 0.17 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई।

एशिया के अन्य बाजारों में हांगकांग, टोक्यो और शंघाई के सूचकांक घाटे में रहे, जबकि दक्षिण कोरिया का बाजार लाभ में रहा। यूरोप के शेयर बाजारों में दोपहर के सत्र में मिलाजुला रुख देखने को मिला। यूक्रेन पर रूस के हमले तेज होने के साथ बढ़ते तनाव से अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 5.09 प्रतिशत की जोरदार उछाल के साथ 110.31 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 38 पैसा कमजोर होकर 75.71 रुपए के भाव पर आ गया। इस बीच, विदेशी संस्थागत निवेशकों का बिकवाली रुख बरकरार है। शेयर बाजार से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने सोमवार को 3948.47 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर बेचे।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

PAN 2.0 Project : अब बदल जाएगा आपका PAN कार्ड, QR कोड में होगी पूरी कुंडली

तेलंगाना सरकार ने ठुकराया अडाणी का 100 करोड़ का दान, जानिए क्या है पूरा मामला?

Indore : सावधान, सरकारी योजना, स्कीम और सब्सिडी के नाम पर खाली हो सकता है आपका खाता, इंदौर पुलिस की Cyber Advisory

क्‍या एकनाथ शिंदे छोड़ देंगे राजनीति, CM पर सस्पेंस के बीच शिवसेना UBT ने याद दिलाई प्रतिज्ञा

संभल विवाद के बीच भोपाल की जामा मस्जिद को लेकर दावा, BJP सांसद ने शिव मंदिर होने के दिए सबूत

सभी देखें

नवीनतम

संभल में कैसे भड़की हिंसा, DM राजेंद्र पेंसिया ने बताई पूरी सचाई

LIVE: बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु गिरफ्तार

दुष्कर्म और कई राज्‍यों में की हत्‍या, 1 दर्जन से ज्‍यादा केस दर्ज, आरोपी गुजरात से गिरफ्तार

Pakistan : इमरान के समर्थकों ने इस्लामाबाद की ओर निकाला मार्च, पीटीआई के शीर्ष नेताओं ने जेल में की मुलाकात

Maharashtra का मुख्यमंत्री चुनने में महायुति को आखिर क्यों हो रही है इतनी देरी

अगला लेख
More