मयंक मिश्रा
डस्टिन ब्राउन ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके खिलाफ अगर मैं खेल नहीं रहा होता तो टिकट लेकर मैच देख रहा होता। यह कहना था एंडी मरे का और उनकी बात को जैसे साबित करने के लिये ही डस्टिन बुधवार को खेले। उनका ध्यान पॉइंट या मैच जीतने से ज्यादा खेल को एंटेरटेनिंग बनाने में ज्यादा था, इसमें मरे को कुछ पॉइंट्स में तो परेशानियां जरूर हुईं, मगर थोड़ी ही देर में डस्टिन के पास नया कुछ नहीं बचा और मैच का नतीजा पुराना ही निकला कि मरे सीधे सेटों में जीत गए।
मरे के लिए मैच को लेकर जो सबसे बड़ी मुश्किल थी वो थी मैच शुरू होने का इंतजार करना, क्योंकि इससे पहले योहाना कोंटा और डोना वेकीच का मैच 3 घंटों से भी ज्यादा देर चला था, ऐसे में मरे को कई बार मैच के लिए वॉर्मअप करना पड़ा होगा। वैसे 3 सेटों के महिलाओं के मैच औसतन सवा घंटे के पहले ही खत्म हो जाते हैं, मगर बुधवार का यह मैच इससे दोगुने से भी ज्यादा समय चला, जो इस मैच के कितने बराबरी होने को बताता है। वावरिंका की दोस्त वेकीच हाल ही में कोंटा को हरा चुकी हैं और आखिरी सेट में सर्विस ब्रेक होने से पहले मैच जीतते हुए दिखाई दे रही थीं, मगर ब्रिटेन की कोंटा को उनके ही दर्शकों के सामने हरा पाना मुश्किल साबित हुआ।
बुधवार को क्वितोवा का हारना सबसे बड़ा उलटफेर रहा, चाकू से हुए हमले से उबरकर आने के बाद क्वितोवा की यहां जीत कोई फिल्म की कहानी जरूर हो सकती थी, मगर ऐसा नहीं हुआ। क्वितोवा के अलावा मेडिसन कीस भी उलटफेर की शिकार हुईं, वहीं फ्रेंच ओपन विजेता येलेना ऑस्टेपेंको ऐसा होने से बच गईं। अब वीनस ही महिलाओं में एकमात्र खिलाड़ी ऐसी बची हैं जिसने विंबलडन पहले जीता हो और बुधवार को उनकी जीत आसान नहीं थी और वे भी हार की कगार से वापस आई थीं।
बुधवार को जहां विंबलडन में बेहद गर्मी थी और स्कोर बोर्ड पर बार-बार ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जा रही थी, वहीं हफ्ते में किसी दिन बारिश होने की संभावना है तो वो आज है, ऐसे में बाकी कोर्ट पर खेल शायद प्रभावित हो, मगर सेंटर कोर्ट पर नहीं होगा, जहां आज मोंफिल्स, पलीस्कोवा और फेडरर के मैच होना है।
फोटो साभार : विंबलडन आधिकारिक वेबसाइट