नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है लेकिन ऐसा लगता है कि दुनिया इस घातक वायरस के साथ जीना सीख रही है और इस प्रक्रिया में 2022 में कई बड़ी प्रतियोगिताओं के साथ खेल लोगों को खुश होने का मौका दे सकते हैं।
चलिए सामान्य वार्षिक ग्रैंडस्लैम टेनिस टूर्नामेंट और बैडमिंटन प्रतियोगिताओं के अलावा उन प्रतियोगिताओं पर नजर डालते हैं जिनका भारत और दुनिया को बेसब्री से इंतजार है।
चीन के बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक (4 से 20 फरवरी): चीन की धूमिल मानवाधिकार छवि के कारण राजनीतिक विवाद में रहे इन खेलों का अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बड़े देश पहले ही राजनयिक बहिष्कार कर चुके हैं। खिलाड़ियों को हालांकि खेलों के इतर होने वाली राजनीतिक उथल पुथल की जगह अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
भारत ने इन खेलों में कभी पदक नहीं जीता है। स्कीइंग खिलाड़ी आरिफ खान पर भारत की नजरें होंगी जिन्होंने स्लेलोम और जाइंट स्लेलोम में जगह बनाई इन दोनों की दो स्पर्धाओं में क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय हैं।
इंग्लैंड के बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेल (28 जुलाई से आठ अगस्त): भारतीय खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रमंडल खेल पदक के लिहाज से सफल खेल रहते हैं लेकिन इस बार निशानेबाजी के इन खेलों का हिस्सा नहीं होने के कारण देश की पदक की संख्या में गिरावट आ सकती है। अब देखना होगा कि भारत इस खेल की गैरमौजूदगी से कैसे निपटता है जिसने 1966 में पदार्पण के बाद से देश के लिए 63 स्वर्ण पदक सहित कुल 135 पदक जीते हैं।
चीन के हांगझू में एशियाई खेल (10 से 25 सितंबर): भारत ने 2018 खेलों में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद इन खेलों में भारत का प्रदर्शन बेहतर होने की उम्मीद है।
फुटबॉल:
भारत में एएफसी एशियाई महिला कप (20 जनवरी से छह फरवरी): यह भारतीय महिला फुटबॉल के लिए बड़ा कदम होगा क्योंकि देश को 1979 के बाद पहली बार इस शीर्ष क्षेत्रीय प्रतियोगिता की मेजबानी का मौका मिलेगा। इस प्रतियोगिता में भारत 1979 और 1983 में उप विजेता रह चुका है और इस प्रदर्शन से प्रेरणा लेने की कोशिश करेगा।
भारत में फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप (11 से 30 अक्टूबर): देश में महिला फुटबॉल के लिए एक और महत्वपूर्ण टूर्नामेंट। इसे 2021 में आयोजित होना था लेकिन कोविड-19 के कारण स्थगित करना पड़ा। स्पेन गत चैंपियन है और भारत की नजरें टूर्नामेंट में प्रभावी प्रदर्शन पर टिकी होंगी जिससे कि देश में इस खेल को फायदा हो।
कतर में फीफा पुरुष विश्व कप: (21 नवंबर से 18 दिसंबर): अरब देशों में होने वाला पहला विश्व कप कतर की असहनीय गर्मी के कारण सर्दियों में आयोजित होगा। गर्मी के कारण जून-जुलाई के नियमित समय के दौरान प्रतियोगिता का आयोजन संभव नहीं है। इस टूर्नामेंट को बोली प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़े श्रमिकों के काम के माहौल को लेकर आरोपों का सामना करना पड़ा है।
एथलेटिक्स:
अमेरिका के युगेन में आईएएएफ विश्व चैंपियनशिप (15 से 24 जुलाई): एक और शीर्ष प्रतियोगिता जिसे महामारी के कारण इस साल के लिए स्थगित किया गया। इस प्रतियोगिता में अंजू बॉबी जॉर्ज 2003 में लंबी कूद के कांस्य पदक के साथ पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय एथलीट हैं और भारत को उम्मीद है कि इस साल ओलंपिक चैंपियन भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा एक और ऐतिहासिक पदक जीतेंगे।
हॉकी:
स्पेन और नीदरलैंड में एफआईएच पुरुष विश्व कप: भारतीय महिला हॉकी टीम ने तोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान के साथ सभी को प्रभावित किया था। रानी रामपाल और उनकी टीम की साथी इस सकारात्मक प्रदर्शन को आगे बढ़ाना चाहेंगी। विश्व कप में टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1974 में रहा जब टीम चौथे स्थान पर रही। इंग्लैंड में हुए पिछले टूर्नामेंट में टीम आठवें स्थान पर रही थी।
तैराकी:
जापान के फुकुओका में फिना विश्व एक्वाटिक्स चैंपियनशिप (एक से 29 मई): तैराकी, गोताखोरी, ओपन वाटर तैराकी, कलात्मक तैराकी और वाटर पोलो की यह प्रत्येक दो साल में होने वाली शीर्ष प्रतियोगिता है। पदक के लिहाज से भारत का दावा काफी मजबूत नहीं है लेकिन देश के खिलाड़ी अपने प्रदर्शन में सुधार के इरादे से उतरेंगे।(भाषा)