पंचकुला: हरियाणा के पंचकुला में खेलो इंडिया यूथ गेम्स की शुरुआत हो चुकी है। देश भर से अलग-अलग खेलों में हिस्सा लेने के लिये टीमें आई हैं। इसी तरह खेलों में हिस्सा लेने आई आंध्र प्रदेश की महिला कबड्डी टीम की 12 में से 10 खिलाड़ी कृषि मज़दूरों की बेटियां हैं।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स के लिए उत्साहित लड़कियां न केवल पदक के लिए बल्कि भविष्य की खेल प्रतीक बनने के लिए पंचकुला पहुंच चुकी हैं।
पेशे पर शर्मिंदा नहीं है कोई भी लड़की
आंध्र प्रदेश की वंदना सूर्यकला से जब लोग उनके माता-पिता के बारे में पूछते हैं तो वंदना गुस्सा हो जाती हैं। वह कहती हैं, “ तो क्या? हर एक का पेशा है और मेरे माता-पिता पेशे से मजदूर हैं। मुझे उन पर बहुत गर्व है।”
सूर्यकला शुक्रवार को खेलों में पदार्पण करते हुए पहले ही अपने कौशल को रेखांकित कर चुकी हैं। युवा रेडर ने ताऊ देवी लाल स्टेडियम में अपने ग्रुप मैच में छत्तीसगढ़ को 40-28 से हराने में मदद करने के लिए 14 अंक बनाए। राज्य के विजयनगरम के पास कापूसम्भम की इस खिलाड़ी ने यहां के ताउ देवी लाल स्टेडियम में दमदार जीत के बाद अपने बारे में कई बाते बताईं।
कबड्डी खेलने के उनके फैसले के बारे में वंदना ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने एक धावक के रूप में शुरुआत की क्योंकि मैं बचपन में खेतों में दौड़ा करती थी। जब मैं 7 साल की हुई तो मैंने अपने सभी दोस्तों को कबड्डी खेलते हुए देखकर इसकी ओर रुख किया। मैंने कबड्डी में अपने पैर जमाये और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।”
जीएनआर जूनियर कॉलेज की पदार्पण कर रही छात्रा मुनाकला देविका एक और नवोदित खिलाड़ी हैं, जो वंदना की बात से सहमत होते हुए कहती हैं, “हमें अपने माता-पिता पर गर्व है और यह उनकी वजह से है कि हम यहां हैं। उन्होंने हमें खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे हमें वह समर्थन मिला है जिसकी हमें जरूरत है।”
परिवार के लिए खेत खरीदना चाहती है लड़कियां
जब यह खुशमिजाज लड़कियां खेल में व्यस्त नहीं होती हैं, तो वे अपने माता-पिता की खेतों में मदद करती हैं। उनका सपना है कि वे एक दिन अपने माता-पिता के लिए खेत खरीद सकें।