चोट से निपटना चुनौतीपूर्ण : सानिया मिर्जा

Webdunia
रविवार, 4 फ़रवरी 2018 (20:03 IST)
ग्रेटर नोएडा। चोट के कारण ऑस्ट्रेलियाई ओपन से बाहर रहीं भारतीय टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने रविवार को यहां कहा कि उनके लिए यह इस चोट से निपटना बेहद चुनौतीपूर्ण है।
 
 
पिछले साल (2017) ऑस्ट्रेलियाई ओपन के मिश्रित युगल में उपविजेता और 2016 में महिला युगल की विजेता रहीं सानिया ने कहा कि चोट के दौरान सबसे मुश्किल मानसिक चुनौती से निपटना होता है। ऑस्ट्रेलियाई ओपन में नहीं खेलना और टेलीविजन पर उसे देखना काफी मुश्किल था। एक खिलाड़ी के तौर पर यह स्वीकार करना कि आप नहीं खेल सकते, काफी तकलीफदेह होता है।
 
उन्होंने कहा कि जब आप संन्यास लेते हैं तो स्थिति थोड़ी अलग होती है। लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब मैं चोटिल हुई। इससे पहले भी मेरी 3 बार सर्जरी हुई है। एक खिलाड़ी के तौर पर मैं इसकी अभ्यस्त हूं लेकिन मेरे लिए यह मानसिक चुनौती की तरह है, क्योंकि मैं घर में होती हूं और लगता है कि कुछ कर ही नहीं पा रही हूं। 
 
साल के दूसरे ग्रैंडस्लैम फ्रेंच ओपन में वापसी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि अगले ग्रैंडस्लैम में वापसी करूंगी लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि यह मेरे हाथ में नहीं है। अगले ग्रैंडस्लैम में अभी थोड़ा समय है और देखते हैं कि क्या होता है? अभी इस बारे में पूरी तरह कुछ भी नहीं पता कि कोर्ट में मैं कब तक वापसी करूंगी।
 
उन्होंने कहा कि मैं अभी लगभग 2 महीने तक कोर्ट से दूर रहूंगी। सर्जरी के बाद भी इस बात की गारंटी नहीं कि यह पूरी तरह ठीक हो। मैं पिछले 2 साल से इस चोट के साथ खेल रही थी। इस बीमारी को जंपर्स नी (घुटने में दर्द संबंधी) कहा जाता है। दर्द इतना बढ़ गया था कि मुझे खेल से ब्रेक लेना पड़ा। यह अब ठीक हो रहा और मैं चाहूंगी कि यह जल्दी ठीक हो लेकिन ऐसा नहीं हो रहा, जो मेरे लिए थोड़ा हतोत्साहित करने वाला है। हां, अभी भी 2 महीने का समय लगेगा।
 
एशियाई खेलों में देश को कई पदक दिलाने वाली सानिया मिर्जा से जब जकार्ता में इस साल होने वाले इन खेलों में खेलने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जहां तक एशियाई खेल का सवाल है, तो मैंने पहली बार 2002 में इसमें भाग लिया था। उस वक्त मेरी उम्र 15 साल थी और यह काफी लंबा सफर रहा है और अगर मौका मिला तो फिर इसमें खेलना और देश के लिए पदक जीतना चाहूंगी। मैं जब भी इसमें खेली हूं, पदक जीतने में कामयाब रही हूं।
 
सुपरटेक स्पोर्ट विलेज में अपनी टेनिस अकादमी से जुड़े कार्यक्रम में यहां पहुंचीं सानिया ने कहा कि नए खिलाड़ियों के लिए ये जरूरी नहीं कि वे किस अकादमी में खेल रहे, सबसे पहले जरूरत इस बात की है कि खेल संस्कृति का निर्माण हो। खेल सिर्फ चैंपियन बनाने के लिए ही नहीं होते, यह जिंदगी के हर क्षेत्र में सीख देने वाला होता है।
 
खिताबों के नजरिए से पिछला साल सानिया के लिए औसत रहा लेकिन वे अपने प्रदर्शन से संतुष्ट दिखीं और कहा कि एक खिलाड़ी के तौर पर आप हमेशा पहले से बेहतर करना चाहते हो और जब अगर ऐसी भूख नहीं हो तो समझिए संन्यास का समय आ गया। पिछले साल भी मैं रैंकिंग में शीर्ष 10 में रही। मैंने 2012 से 2016 तक लगभग 30 खिताब जीते, उसकी तुलना में 2017 भी ठीक रहा लेकिन यह उससे भी अच्छा हो सकता था। (भाषा)

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