रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने गुरुवार को बृज भूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह की भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत का विरोध करते हुए कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की।
डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण के करीबी संजय गुरुवार को यहां हुए चुनाव में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बने और उनके पैनल ने 15 में से 13 पद पर जीत हासिल की।
टेबल पर अपने जूते रखकर साक्षी ने नाटकीय अंदाज में संन्यास की घोषणा की। अंग्रेजी में कहावत है Hanging the boots जिसका हिंदी में अनुवाद होता है जूता टांगना, शायद साक्षी फैंस से यह ही कहना चाहती थी।साक्षी की आंखों में आंसू थे, उन्होंने कहा, हमने दिल से लड़ाई लड़ी लेकिन बृजभूषण जैसा आदमी, उसका बिजनेस साझीदार और करीबी सहयोगी डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष चुना गया है तो मैं कुश्ती छोड़ती हूं।
राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता 31 वर्षीय साक्षी ने कहा, हम एक महिला अध्यक्ष चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
चुनावों से पहले ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से बार बार अनुरोध किया था कि बृजभूषण से जुड़े किसी भी व्यक्ति को डब्ल्यूएफआई के चुनाव लड़ने से रोका जाये।
जिसके परिणामस्वरूप बृजभूषण के बेटे प्रतीक और उनके दामाद विशाल सिंह चुनाव में नहीं उतरे।चुनाव के बाद बजरंग और विनेश फोगाट ने मीडिया से बात की लेकिन यह नहीं कहा कि वे खेल से संन्यास ले लेंगे।
बजरंग ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार अपनी बात पर कायम नहीं रही कि बृजभूषण का कोई भी विश्वस्त डब्ल्यूएफआई के चुनाव नहीं लड़ेगा। विनेश ने कहा, उभरती हुई महिला पहलवान भी शोषण का सामना करेंगी।