नई दिल्ली। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में खेलों को डोपमुक्त बनाने और विशुद्ध खेल भावना विकसित करने की दिशा में खेल मंत्रालय की राष्ट्रीय डोपिंगरोधी एजेंसी (नाडा) गंभीर और सार्थक प्रयास कर रही है और अब खिलाड़ियों के लिए बाज़ार में उपलब्ध पोषक आहार और सप्लीमेंट की लैबोरेटरी में जांच की जाएगी।
इस दिशा में नाडा ने गुरुवार को फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड अथॉरिटी के साथ मिलकर एथलीटों को दिए जाने वाले पोषक आहार और सप्लीमेंट को डोपमुक्त रखने पर यहां विज्ञान भवन में विस्तार से चर्चा की। आहार में प्रतिबंधित पदार्थों के बारे में कोच, खिलाड़ियों, खेल फेडरेशन, स्कूलों और सप्लीमेंट निर्माताओं में जागरूकता लाने के ठोस तरीकों और नियमों पर चर्चा की गई।
केंद्रीय खेलमंत्री विजय गोयल ने इस अवसर पर कहा, स्वस्थ खेल भावना को प्रोत्साहित करने के लिए खेल मंत्रालय प्रतिबद्ध है। एंटीडोपिंग जागरूकता लाने के लिए नाडा और फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड अथारिटी को कड़े नियम बनाने चाहिए।
विश्व डोपिंगरोधी एजेंसी (वाडा) की प्रतिबंधित सूची में हर साल बदलाव होते हैं इन नियमों की जानकारी खेल संस्थानों, फेडरेशन, कोच और खिलाड़ियों को नियमित रूप से दी जानी चाहिए। जो सप्लीमेंट विदेशों से आते हैं उनकी जांच होनी चाहिए और ये डोपिंग फ्री है, इसकी जानकारी उनके उत्पाद पर होनी चाहिए।
गोयल ने कहा एक कमेटी का गठन किया जाना चाहिए जो यह तय करे कि आयात कितना ज़रूरी है। क्या हम भारत में ही खिलाड़ियों के लिए पोषक आहार और सप्लीमेंट बना सकते हैं। भारतीय खेल प्राधिकरण और खेल फेडरेशन की एंटीडोपिंग में अहम भूमिका होनी चाहिए। (वार्ता)