लिएंडर पेस ने विश्व रिकॉर्ड बनाया, भारत ने चीन को हराया

Webdunia
शनिवार, 7 अप्रैल 2018 (22:55 IST)
तियानजिन। भारत के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस रिकॉर्ड 43वीं जीत के साथ शनिवार को डेविस कप इतिहास में सबसे सफल युगल खिलाड़ी बने जबकि उसके बाद युवा रामकुमार रामनाथन और प्रजनेश गुणेश्वरन ने उलट एकल में जीत दर्ज की जिससे भारत ने चीन को रोमांचक मुकाबले में 3-2 से हराकर विश्व ग्रुप प्लेऑफ में जगह बनाई।


भारत का सारा दारोमदार युगल मैच पर टिका था, जो कि उसके लिए 'करो या मरो' जैसा मुकाबला था। इसमें 44 वर्षीय पेस और रोहन बोपन्ना ने निराश नहीं किया तथा 3 सेट तक चले एक बेहद कड़े मैच में चीन के मो झिन गोंग और झी झांग की चीनी जोड़ी को 5-7, 7-6 (5), 7-6 (3) से हराकर एशिया ओसियाना ग्रुप 1 मुकाबले में भारत की उम्मीदें जीवंत रखीं। पहले एकल में लचर प्रदर्शन के कारण कप्तान महेश भूपति की नाराजगी झेलने वाले रामकुमार रामनाथन ने इसके बाद अपना असली जलवा दिखाया और दी वू को 7-6 (4), 6-3 से हराकर मुकाबले को 2-2 से बराबर कर दिया।

कप्तान भूपति ने इसके बाद 5वें और निर्णायक मैच में सुमीत नागल की जगह बाएं हाथ के प्रजनेश गुणेश्वरन को उतारकर मास्टरस्ट्रोक खेला। उनका यह दांव सही साबित हुआ तथा चेन्नई के खिलाड़ी ने चीनी किशोर यिबिंग वू को 6-4, 6-2 से हराकर अपने कप्तान को निराश नहीं किया। प्रजनेश को युकी भांबरी के पेट संबंधित बीमारी की वजह से हटने के कारण टीम में शामिल किया गया था। बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने जानदार स्ट्रोक जमाए। प्रजनेश डेविस कप में अपना केवल दूसरा मैच खेल रहे थे।

यह केवल दूसरा मौका है जबकि भारत डेविस कप इतिहास में पहले दोनों मैच गंवाने के बाद वापसी करके मुकाबला जीतने में सफल रहा। हालांकि यह जीत उसने नए प्रारूप में दर्ज की जिसमें क्षेत्रीय स्तर के मुकाबले बेस्ट ऑफ थ्री प्रारूप में खेले गए। भारत अब लगातार 5वीं बार विश्व ग्रुप प्लेऑफ में खेलेगा। इससे पहले 4 अवसरों पर उसे सर्बिया (2014), चेक गणराज्य (2015), स्पेन (2016) और कनाडा (2017) से हार का सामना करना पड़ा था। पिछली बार भारत 16 देशों के विश्व ग्रुप में 2011 में खेला था।

तब वह सर्बिया से हार गया था। रामकुमार और नागल दोनों के शुक्रवार को एकल मैचों में हारने के कारण भारत 0-2 से पीछे चल रहा था और उसे अपनी उम्मीदें जीवंत रखने के लिए युगल में हर हाल में जीत दर्ज करनी थी। विश्व ग्रुप प्लेऑफ में जगह बनाने के लिए भारतीय युवा एकल खिलाड़ियों को अब उलट एकल के दोनों मैच जीतने होंगे। डेविस कप में पिछले कई वर्षों से भारत के नायक रहे पेस लंबे समय से इटली के निकोला पीटरांजली के साथ 42 जीत की बराबरी पर थे लेकिन आखिर में वह उन्हें पीछे छोड़ने में सफल रहे। पेस ने 16 साल की उम्र में 1990 में जीशान अली के साथ डेविस कप में प्रवेश किया था।

अब जीशान टीम के कोच हैं। इसके बाद उन्होंने महेश भूपति के साथ सफल जोड़ी बनाई, जो अब टीम के कप्तान हैं। अपने चमकदार करियर में पेस ने भूपति के साथ मिलकर डेविस कप में लगातार सबसे अधिक 24 मैच जीतने का रिकॉर्ड बनाया। इन दोनों खिलाड़ियों ने 90 के दशक के आखिरी वर्षों में एटीपी सर्किट पर धूम मचाई थी। बोपन्ना चीन के खिलाफ इस मुकाबले में पहले पेस के साथ खेलने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन शनिवार को उन्होंने अच्छा खेल दिखाया। तीसरे सेट में सर्विस गंवाने के अलावा उनका सर्विस गेम बहुत अच्छा रहा। उनकी तीखी सर्विस से पार पाना चीनी खिलाड़ियों के लिए आसान नहीं रहा। दूसरी तरफ पेस ने नेट पर हमेशा की तरह बेहतरीन खेल दिखाया। पहले सेट में एक-दूसरे की सर्विस तोड़ने के बाद दोनों जोड़ियां 5-5 से बराबरी पर थीं। तब 11वें गेम में पेस ने सर्विस गंवाई। गोंग ने इसके बाद अगले गेम में अपनी सर्विस पर टीम को आगे कर दिया।

भारतीय खिलाड़ियों को ब्रेक प्वॉइंट हासिल करने के अधिक मौके मिले लेकिन वे इसका फायदा नहीं उठा पाए। बोपन्ना की सर्विस हालांकि काफी तीखी थी जिन पर चीनी खिलाड़ी प्रभावशाली रिटर्न नहीं कर पाए। दूसरे सेट में कोई भी टीम ब्रेक प्वॉइंट नहीं ले पाई। गोंग ने 5-6 के स्कोर पर दबाव में सर्विस की। भारतीयों के पास 1 सेट प्वॉइंट भी था लेकिन वे इसका फायदा नहीं उठा पाए और सेट टाईब्रेकर तक खिंच गया। टाईब्रेकर भी काफी कड़ा रहा। इसमें पहले स्कोर 3-3 और फिर 5-5 रहा।

बोपन्ना ने वॉली विनर से सेट प्वॉइंट हासिल किया और पेस ने आसानी से अगला अंक बनाकर स्कोर बराबरी पर ला दिया। तीसरे और निर्णायक सेट में भारतीय जोड़ी शुरू में 3-1 से आगे थी लेकिन इसके बाद उसने लगातार 3 गेम गंवाए जिससे स्कोर 3-4 हो गया। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि अब तक प्रभावशाली सर्विस करने वाले बोपन्ना 6ठे गेम में अपनी सर्विस नहीं बचा पाए थे। पेस 5-6 के स्कोर पर सर्विस के लिए आए और एक समय स्कोर 0-30 था लेकिन वे आखिर में इस सेट को टाईब्रेकर तक खींचने में सफल रहे। भारतीयों ने अपने अनुभव का फायदा उठाकर यादगार जीत दर्ज की। (भाषा)

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