पेरिस ओलंपिक क्वालिफाय करने वाली रिले टीम के एथलीट्स ने झेली गरीबी तो किसी के लिए था रास्ता आसान

ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की रिले टीम के सदस्यों का सफर

WD Sports Desk
सोमवार, 6 मई 2024 (18:03 IST)
(Image Source : X/Athletics Federation of India)

एक पिता के सपने को पूरा करना, करियर की शुरुआत में एक बड़ा कदम और जीवन की शुरुआत में चुने गए विकल्पों को सही साबित करना- ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना चार गुणा 400 मीटर भारतीय पुरुष और महिला रिले के विभिन्न सदस्यों के लिए अलग-अलग मायने रखता है। भारत की इन दोनों टीमों ने सोमवार को पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

PTI (भाषा) चार पुरुष और चार महिला सहित उन आठ धावकों के बारे में जानकारी दे रहा है जिन्होंने बहामास के नासाउ में विश्व एथलेटिक्स रिले में अपनी-अपनी क्वालीफाइंग हीट (शुरुआती दौर की रेस) में दूसरे स्थान पर रहते हुए ओलंपिक में जगह बनाई।

महिला टीम:

एमआर पूवम्मा:

ओलंपियन पूवम्मा के लिए यह एक बार फिर खुद को साबित करने की तरह है क्योंकि केरल उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अनुकूल निर्णय मिलने से पहले 2021 में उन्हें डोपिंग के लिए दो साल के प्रतिबंध की बदनामी का सामना करना पड़ा था।

एशियाई खेल 2014 और 2018 में व्यक्तिगत 400 मीटर और चार गुणा 400 मीटर रिले में कई पदक जीतने वाली 33 वर्षीय पूवम्मा ने दो साल के प्रतिबंध के बाद पिछले साल गोवा राष्ट्रीय खेलों के दौरान वापसी की।

उन्होंने तब ‘PTI’ से कहा था, ‘‘आखिरकार मैं वापसी कर रही हूं। मेरा संघर्ष खत्म हुआ, हालांकि इसने मुझे मानसिक रूप से परेशान कर दिया है।’’

अर्जुन पुरस्कार विजेता पूवम्मा देश की सबसे सम्मानित एथलीटों में से एक हैं जिन्होंने 2013 एशियाई चैंपियनशिप में महिलाओं की चार गुणा 400 मीटर रिले में स्वर्ण और 400 मीटर व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक जीता था। कर्नाटक में जन्मी इस खिलाड़ी ने 2018 एशियाई खेलों में महिलाओं की चार गुणा 400 मीटर और मिश्रित चार गुणा 400 मीटर रिले में भी स्वर्ण पदक जीता।

रूपल चौधरी:

उन्होंने कोलंबिया में 2022 में विश्व अंडर 20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो पदक - महिलाओं की चार 400 मीटर रिले में रजत और व्यक्तिगत 400 मीटर में कांस्य - जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बनकर इतिहास रचा।

इस 19 वर्षीय एथलीट के पिता उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के शाहपुर जैनपुर गांव में एक छोटे किसान हैं। मेरठ में प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त सिंथेटिक ट्रैक नहीं होने के कारण उन्हें सप्ताह में दो दिन दिल्ली की दो घंटे की यात्रा करनी पड़ती थी।

ज्योतिका दांडी श्री:

हैदराबाद की रहने वाली ज्योतिका सोमवार को दूसरे चरण में दौड़ी। उन्होंने अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए खेलों को चुना क्योंकि वे चाहते थे कि उनकी बेटी ओलंपिक में भाग ले।

यह 23 वर्षीय खिलाड़ी इसके काफी करीब है, हालांकि रिले टीम का अंतिम चयन भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के हाथों में है। वह पिछले साल एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय महिला चार गुणा 400 मीटर टीम का हिस्सा थीं। उन्होंने पिछले साल राष्ट्रीय ओपन चैंपियनशिप में 400 मीटर में स्वर्ण और गोवा राष्ट्रीय खेलों में रजत पदक जीता था।

शुभा वेंकटेशन:

तमिलनाडु के त्रिची की 24 वर्षीय शुभा एक निर्माण श्रमिक और एक गृहिणी की बेटी है। उन्होंने पुलिस विभाग में काम करने वाले अपने नाना के जोर देने पर खेलों को चुना।

शुरू में चेन्नई के तमिलनाडु खेल विकास प्राधिकरण (एसडीएटी) केंद्र में प्रशिक्षण लेने वाली शुभा ने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते। वह 2018 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली महिलाओं की चार गुणा 400 मीटर रिले टीम का भी हिस्सा थी।
(Image Source : X/ Athletics Federation of India)

पुरुष टीम:

मोहम्मद अनस:

अनस 400 मीटर में देश के शीर्ष धावक और राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक हैं। पहले से ही दो बार के ओलंपियन अनस ने एशियाई खेलों, एशियाई चैंपियनशिप में पदक जीते हैं और 2016 में वह केएम बीनू और मिल्खा सिंह के बाद ओलंपिक में 400 मीटर (व्यक्तिगत स्पर्धा) में भाग लेने वाले भारत के केवल तीसरे धावक बने। वह तोक्यो ओलंपिक में भारत की पुरुषों की चार गुणा 400 मीटर और मिश्रित चार गुणा 400 मीटर रिले टीम का हिस्सा थे।

वह पुरुषों की चार गुणा 400 मीटर टीम का भी हिस्सा थे जिसने पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में एशियाई रिकॉर्ड तोड़ा था और हांगझोउ में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।

अनस केरल के निलामेल गांव के रहने वाले हैं और उनके पिता याहिया राज्य स्तर के एथलीट थे। अनस ने अक्सर कहा है कि 2008 के ओलंपिक में जमैका के दिग्गज उसेन बोल्ट को ट्रैक पर दौड़ते हुए देखने के बाद उनकी दौड़ने में दिलचस्पी हो गई।

वह अपने स्कूल में लंबी कूद के चैंपियन थे लेकिन कोचों की सलाह पर ट्रैक स्पर्धाओं में चले गए।

मोहम्मद अजमल वारियाथोडी:

केरल के पलक्कड़ में जन्मे मुहम्मद अजमल अपने राज्य के कई युवाओं की तरह ही एक फुटबॉल खिलाड़ी थे। जब तक उनके कोच ने ट्रैक स्पर्धाओं में हिस्सा लेने की सिफारिश नहीं की तब तक उन्होंने अंडर-19 राज्य स्तरीय फुटबॉल टूर्नामेंट में भाग लिया। वह पहले 100 मीटर के धावक थे और फिर 400 मीटर में प्रतिस्पर्धा करने लगे।

अमोज जैकब:

केरल में जन्मे लेकिन नई दिल्ली में पले-बढ़े जैकब की खेल यात्रा रोहिणी के सेंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ने के दौरान शुरू हुई जब उनके कोच ने सुझाव दिया कि वह एक धावक बनने की कोशिश करें। इस 25 वर्षीय खिलाड़ी को शुरू में फुटबॉल में दिलचस्पी थी। उनकी मां दिल्ली के एक अस्पताल में नर्स हैं।

वह भुवनेश्वर में 2017 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाली चार गुणा 400 मीटर रिले टीम का हिस्सा थे जबकि इसी स्पर्धाओं में हांगझोउ एाशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।

आरोकिया राजीव:

तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली के पास एक गांव के रहने वाले आरोकिया के खून में एथलेटिक्स दौड़ता है क्योंकि उनके पिता वाई सौंदरराजन राज्य स्तर के धावक और लंबी कूद के खिलाड़ी रहे। आरोकिया के पिता सौंदरराजन एक बस ड्राइवर थे जबकि उनकी मां दिहाड़ी मजदूर थीं।

सेना के 32 वर्षीय आरोकिया जकार्ता में आयोजित 2018 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली चार गुणा 400 मीटर मिश्रित रिले टीम का हिस्सा था और उन्होंने पुरुषों की चार गुणा 400 मीटर रिले में रजत पदक भी जीता। वह तोक्यो ओलंपिक की चार गुणा 400 मीटर रिले टीम का हिस्सा थे जिसने तत्कालीन एशियाई रिकॉर्ड तोड़ा था। <>

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