लखनऊ। भारतीय जूनियर हॉकी टीम उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार से शुरू हो रहे जूनियर पुरुष विश्वकप हॉकी टूर्नामेंट में 15 साल के लंबे अंतराल के बाद खिताब जीतने उतरेगी।
भारतीय जूनियर टीम के कोच हरेंद्र सिंह और सीनियर टीम के कोच रोलैंट ओल्टमैंस ने भी भरोसा जताया है कि इस टीम में खिताब जीतने का दमखम है। भारत ने एकमात्र बार 2001 में ऑस्ट्रेलिया के होबार्ट में हुए विश्व कप में अर्जेंटीना को 6-1 से हराकर खिताब जीता था। इससे पहले 1997 में भारतीय टीम इंग्लैंड में ऑस्ट्रेलिया से 2-3 से हारकर उपविजेता रही थी। भारत को 2005 में चौथा स्थान मिला था।
देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तरप्रदेश पहली बार इस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा है। राज्य के उपराज्यपाल राम नाइक गुरुवार शाम चैंपियनशिप का उद्घाटन करेंगे जिसके बाद मेजबान टीम कनाडा के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेगी। इससे पहले 3 और मैच पहले दिन खेले जाएंगे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 18 दिसंबर को अंतिम दिन विजेता टीमों को पुरस्कृत करेंगे।
भारत की मेजबानी में दूसरी बार हो रहे जूनियर विश्व कप टूर्नामेंट के लिए नवाबों के शहर में खास इंतजाम किए गए हैं, जहां भारतीय टीम दूसरी बार खिताब पाने का प्रयास करेंगी। इससे पहले वर्ष 2013 में भारत ने दिल्ली में इस टूर्नामेंट की मेजबानी की थी जिसमें क्रिस्टोफर रूर की जर्मन टीम ने लगातार दूसरी बार खिताब जीता था। जर्मन टीम अपने लगातार तीसरे और कुल 7वें विश्व कप खिताब के लिए इस बार भी प्रबल दावेदारों में शामिल है।
हालांकि वीजा कारणों से भारत की चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान इस बार टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाई है और उसकी जगह अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) ने मलेशिया को शामिल किया है। एशियाई चैंपियन टीम इंडिया के पास घरेलू परिस्थितियों और अपार समर्थन का फायदा उठाते हुए खिताब जीतने का मौका रहेगा। भारत वर्ष 2001 में विश्व कप चैंपियन बना था। (वार्ता)