नई दिल्ली। दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल में बादशाहत की जंग जीतने वाले देश को कभी असली ट्रॉफी मयस्सर नहीं होती लेकिन 1970 में तीसरी बार विश्व कप जीतने वाले ब्राजील को यह सौभाग्य मिला हालांकि तेरह बरस बाद उसकी यह अनमोल धरोहर रहस्यमय हालात में चोरी हो गई।
फीफा विश्व कप ट्रॉफी को 1970 तक फीफा के पूर्व अध्यक्ष के नाम पर ‘जूल्स रिमे ट्रॉफी’ कहा जाता था। किसी भी विजेता टीम को असली ट्रॉफी नहीं दी जाती थी लेकिन ब्राजील ने जब 1970 में तीसरी बार खिताब जीता तो उसे असली ट्रॉफी सौंप दी गई।
यह ट्रॉफी ब्राजीली फुटबॉल परिसंघ ने रियो दि जिनेरियो में एक बुलेटप्रूफ कांच की अलमारी में रियो दि जिनेरियो में अपने मुख्यालय पर रखी थी। 19 दिसंबर 1983 को किसी ने हथौड़े से उस अलमारी का पिछला हिस्सा तोड़कर ट्रॉफी निकाल ली।
चार लोगों को हिरासत में लिया गया और उन पर मुकदमा भी चला लेकिन ट्रॉफी दोबारा कभी नहीं मिल सकी। ऐसी भी अफवाहें थी कि ट्रॉफी पिघला दी गई और चोरों ने उसका सोना बेच दिया। उसका सिर्फ नीचे का हिस्सा मिल सका जो फीफा ने ज्यूरिख स्थित अपने मुख्यालय पर रखा था।
बाद में ब्राजीली फुटबाल परिसंघ ने ईस्टमैन कोडक से 1.8 किलो सोने की उसकी प्रतिकृति बनवाई और तत्कालीन राष्ट्रपति जोओ फिगुइरेडो को सौंपी गई। ब्राजील को 1970 में ट्रॉफी सौंपे जाने के बाद से विश्व कप ट्रॉफी का नाम फीफा विश्व कप कर दिया गया।
मौजूदा ट्रॉफी 18 कैरेट सोने की बनी है, जिसका वजन 6.1 किलो और ऊंचाई 36.8 सेमी है। इसे इटली की एक कंपनी ने बनाया है और इसमें दो मानव आकृतियां आगे पीछे से धरती को बाजुओं में उठाए है। (भाषा)