कार दुर्घटना के बाद व्हीलचेयर पर आ गई थी अवनि,अभिनव बिंद्रा की जीवनी पढ़ी और रच दिया इतिहास

Webdunia
मंगलवार, 31 अगस्त 2021 (11:19 IST)
नई दिल्ली:19 वर्षीय अवनि लेखरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल एसएच 1 स्पर्धा में 249.6 के विश्व रिकॉर्ड स्कोर की बराबरी करते हुए भारत को टोक्यो पैरालम्पिक का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। वह सातवें स्थान पर रहते हुए फाइनल में पहुंचीं थीं लेकिन फ़ाइनल में उन्होंने वाकई कमाल का प्रदर्शन किया और मौजूदा पैरालम्पिक चैंपियन चीन की झांग कुइपिंग को दूसरे स्थान पर छोड़ दिया। कुइपिंग ने 2489 का स्कोर कर रजत जीता जबकि यूक्रेन की शेटनिक इरिना ने 2275 का स्कोर कर कांस्य पदक जीता। अवनि पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।

कार दुर्घटना के कारण  रीढ़ की हड्डी में लगी चोट

अवनि लेखरा को 2012 में हुई एक कार दुर्घटना के बाद व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा क्योंकि उनके पैर हिल डुल नहीं पाते थे लेकिन यह हादसा उनके और उनके परिवार के इरादों को जरा भी नहीं डिगा सका और उन्होंने सभी तरह की परिस्थितियों का डटकर सामना किया।

इस दुर्घटना में अवनि की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी थी। उनके पिता के जोर देने पर उन्होंने निशानेबाजी करना शुरू किया।

पूर्व ओलंपिक निशानेबाज सुमा शिरूर की देखरेख में वह ट्रेनिंग करने लगी और सोमवार को 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एचएस1 में 246.6 अंक के कुल स्कोर से टोक्यो में पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन गयीं।

वह ‘फुल-टाइम’ निशानेबाज नहीं बनना चाहती थीं लेकिन अभिनव बिंद्रा (भारत के पहले ओलंपिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज) की आत्मकथा ‘ए शॉट एट ग्लोरी’ पढ़ने के बाद वह इतनी प्रेरित हुईं कि उन्होंने अपने पहले ही पैरालंपिक में इतिहास रच दिया।

कोविड-19 महामारी से उनकी टोक्यो पैरालंपिक की तैयारियों पर असर पड़ा जिसमें उनके लिये जरूरी फिजियोथेरेपी दिनचर्या सबसे ज्यादा प्रभावित हुई।

लेखरा ने कहा, ‘‘रीढ़ की हड्डी के विकार के कारण कमर के निचले हिस्से में मुझे कुछ महसूस नहीं होता लेकिन मुझे फिर भी हर दिन पैरों का व्यायाम करना होता है। ’’

कोविड 19 में फीजियो ने नहीं मां बाप ने की व्यायाम में मदद

उन्होंने कहा, ‘‘एक फिजियो रोज मेरे घर आकर व्यायाम में मेरी मदद करता था और पैरों की स्ट्रेचिंग करवाता था। लेकिन कोविड-19 के बाद से मेरे माता-पिता व्यायाम करने में मेरी मदद करते हैं। वे जितना बेहतर कर सकते हैं, करते हैं। ’’

कमर के निचले हिस्से के लकवाग्रस्त हो जाने के कारण उनके लिये पढ़ाई ही एकमात्र विकल्प बचा था लेकिन जिंदगी ने उनके लिये कुछ और संजोकर रखा था।

गर्मियों की छुट्टियों में 2015 में राइफल उठाने के बाद लेखरा ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में काफी अच्छा प्रदर्शन किया और फिर वो यात्रा शुरू हुई जिसमें उन्होंने खेल के शीर्ष स्तर पर सबसे बड़ा पुरस्कार हासिल कर इतिहास रच दिया।

विश्व रैंकिंग में पांचवें स्थान पर काबिज लेखरा अभी तीन और स्पर्धाओं - मिश्रित एयर राइफल प्रोन, महलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पॉजिशन और मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन - में हिस्सा लेंगी।

उन्होंने 2017 में बैंकाक में डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने क्रोएशिया में 2019 में और संयुक्त अरब अमीरात में हुए अगले दो विश्व कप में इस पदक का रंग बेहतर करते हुए रजत पदक अपने नाम किये।

शिरूर टोक्यो में उनके साथ ही हैं। वह ओलंपिक में भारतीय राइफल निशानेबाज दिव्यांश सिंह पंवार और ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर का मार्गदर्शन भी कर रही थीं।

शिरूर ने कहा, ‘‘मुझे अवनि के साथ होना ही था, यह खेलों का अंतिम लक्ष्य था। मैं खुश हूं कि उसने स्वर्ण पदक जीता। ’’

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