मेस्सी और सचिन : "ईश्वरत्व" का अभिशाप

सुशोभित सक्तावत
लियोनल मेस्सी फ़ुटबॉल का सचिन तेंडुलकर है। वास्तव में, सचिन तेंडुलकर और लियोनल मेस्सी में आश्चर्यजनक समानताएं हैं। दोनों ही छोटे क़द के हैं। दोनों के ही पास "लो-सेंटर ऑफ़ ग्रैविटी" है। दोनों ने जब अपना कॅरियर प्रारंभ किया, तभी यह मान लिया गया था कि वे आगे चलकर धूमकेतु सिद्ध होने वाले हैं। दोनों ने ही चमकीली लेकिन धीमी शुरुआत की और प्रेरणास्पद नायक की भूमिका में स्वयं को स्थापित करने के लिए पांच-छह साल का समय लिया। दोनों दैवीय और अलौकिक प्रतिभा से लैस हैं (हाल में इटली और यूवेंतस के दिग्गज गोलची कप्तान बुफ़ेन ने एक सार्वजनिक समारोह में मेस्सी को छूकर देखा और कहा, "मैं यह सुनिश्चिदत करना चाहता था कि तुम सचमुच में एक मनुष्य ही हो ना!")। दोनों ने ही खेल के मैदान पर यथासंभव शालीनता का परिचय दिया। दोनों के ही व्यक्ति्गत जीवन में चरित्रगत शुचिता रही। दोनों ने ही 10 नंबर की जर्सी पहनी।
 
साथ ही, दोनों के ही पास "ग्लोरी" थी, लेकिन "क्राउनिंग ग्लोरी" उन्हें हमेशा मुंह चिढ़ाती रही, कि विजेता होने का गौरव कभी उनके हिस्से नहीं आया, कि वे हमेशा जीत के दरवाज़े पर पहुंचकर फिसलते रहे। सचिन ने दो विश्वकप फ़ाइनल खेले, दोनों में ही नाकाम रहे। मेस्सी ने एक विश्वकप फ़ाइनल और दो कोपा अमरीका फ़ाइनल खेले और तीनों में नाकाम रहे। सचिन ने गेंद को हवा में उछाल दिया, मेस्सी ने पेनल्टी किक को गोलचौकी के ऊपर से मार दिया। सचिन और मेस्सी में सचमुच बहुत समानताएं हैं।
 
और हां : सचिन क्रिकेट के ईश्वर हैं, मेस्सी फ़ुटबॉल के। दोनों के यहां "ईश्वरत्व" का गौरव और "ईश्वरत्व" का अभिशाप है। और हर ईश्वर की तरह मरणधर्मिता भी उनके हिस्से में ख़ूब आई है। आख़िर ईश्वर से अधिक मरणधर्मा कौन होता है? अंग्रेज़ी में एक शब्द है : "आइकनोक्लाज़्म"। हिंदी में इसे पढ़ेंगे : "प्रतिमा-भंजन"। ईश्वर का "विग्रह" होता है। ईश्वर के "विग्रह" को पूजा जाता है। और ईश्वर की ही प्रतिमा खंडित भी की जाती है। यह नियति नश्वर प्राणियों के हिस्से में नहीं आती, ईश्वरों के ही हिस्से में आती है।
 
तो लियोनल मेस्सी इससे कैसे बच सकते थे : अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल में एक दर्जन वर्ष बिताने के बाद अब जाकर मेस्सी उसी तरह से चुके हुए नज़र आने लगे हैं, जैसे अपने कॅरियर के अंतिम दो-तीन वर्षों में सचिन नज़र आए थे। ऐसा नहीं है कि मेस्सी गोल नहीं दाग़ रहे हैं या पहले की तरह चमत्कारी "ड्रिबल्स" नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह साफ़ है कि मेस्सी अब अपनी टीम को उस तरह से प्रेरित करने में सक्षम नहीं रहे हैं, जैसे कि वे "गार्डीओला एरा" में कर रहे थे। या जैसा कि उन्होंने लुई एनरीके के "ट्रेबल विनिंग सीज़न" के दौरान किया था। नतीजा यह है कि इस साल मेस्सी की क्लब टीम एफ़सी बार्सीलोना पिछले आधे दशक का सबसे ख़राब सीज़न खेल रही है और मेस्सी की राष्ट्रीय टीम अर्जेंतीना विश्वकप के लिए क्वालिफ़ाई करने के लिए संघर्ष कर रही है। भला कोई किसी ऐसे फ़ुटबॉल विश्वकप की कल्पना भी कर सकता है, जिसमें अर्जेंतीना ना हो?
 
और इसका असर मेस्सी पर साफ़ नज़र आ रहा है। वे आपा खोते दिख रहे हैं। बार्सीलोना के लिए खेलते हुए वे इस सीज़न में दो-तीन बार लड़खड़ाए और अब अभद्र व्यवहार के कारण उन पर चार अंतरराष्ट्रीय मैचों का प्रतिबंध लगा दिया गया है। कॅरियर की संध्यावेला में सचिन भी इसी तरह से खीझकर स्टम्प पर बल्ले से प्रहार करते नज़र आए थे। पेरिस के विरुद्ध खेले गए नॉकआउट चैंपियंस लीग मुक़ाबले में करोड़ों आंखों ने देखा कि मेस्सी ने गेम पेरिस को भेंट कर दिया, लेकिन नेमार ने दो मिनट में तीन गोल दाग़कर खेल बदल दिया। बार्सीलोना और फ़ुटबॉल के आधुनिक इतिहास का वह निर्णायक क्षण था। वह इस बात का संकेत था कि मेस्सी को नेमार के लिए शीर्ष स्थान ख़ाली कर देना चाहिए।
 
किसी समय में बार्सीलोना में मेस्सी ने रोनाल्डि नियो को अपदस्थ कर दिया था। अब रोनाल्डिेनियो के हमवतन नेमार वही मेस्सी के साथ करने जा रहे हैं। इतिहास हमेशा ख़ुद को दोहराता है।
 
मेस्सी के सामने अपनी "लेगसी" की चुनौती है। वे फ़ुटबॉल के इतिहास के सर्वकालिक महानतम खिलाड़ी हैं, यह तो सभी स्वीकार करते हैं, लेकिन इसके साथ ही एक प्रेरक नायक के रूप में सचिन की ही तरह उनकी विरासत पर भी एक लंबा प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। मुझे नहीं लगता, मेस्सी इससे कभी मुक्त हो पाएंगे। सचिन को महेंद्र सिंह धोनी ने विश्वकप जीतकर दिया था, मेस्सी के लिए अर्जेंतीना में वैसा कौन करेगा? लेकिन इतना तो तय है कि तमाम ईश्वरों की तरह "विसर्जन" और "प्रतिमा-भंजन" की नियति मेस्सी के माथे पर लिखी जा चुकी है। हर ईश्वर "उदात्त" होता है, हर ईश्वर "निष्कवच" भी। हर ईश्वर "अपराजेय" होता है, हर ईश्वर "मरणधर्मा" भी। जैसे मेस्सी और सचिन।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

INDvsNZ सीरीज के बाद इन 4 में से 2 सीनियर खिलाड़ियों हमेशा के लिए होंगे ड्रॉप

पहले 68 साल में सिर्फ 2 टेस्ट तो भारत में इस सीरीज के 10 दिनों में 3 टेस्ट मैच जीती न्यूजीलैंड

IPL को रणजी के ऊपर तरजीह देने के कारण ROKO हुए बर्बाद, सचिन गांगुली नहीं करते ऐसी गलती

श्रीलंका और भारत में टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद गंभीर पर उठ रहे सवाल

टेस्ट इतिहास का सबसे अनचाहा रिकॉर्ड बनने पर रोहित शर्मा बोले यह सबसे खराब दौर

सभी देखें

नवीनतम

जिम्बाब्वे के पाक मूल ऑलराउंडर ने ही दे दी पाकिस्तान को वनडे में पटखनी

53.75 करोड़ रुपए में बिके श्रेयस और पंत, बन सकते हैं पंजाब और लखनऊ के कप्तान

बढ़ती उम्र में भी 10 करोड़ रुपए, शमी ने मांजरेकर को किया गलत साबित

IPL 2025 Mega Auction : ऋषभ पंत बने IPL इतिहास में सबसे महंगे बिकने वाले खिलाड़ी

IPL 2025 Mega Auction : श्रेयस अय्यर इतिहास के दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी, हुए जिंटा की टीम में शामिल

अगला लेख
More