फुटबाल इतिहास के सर्वश्रेष्ठ विश्व कप में से एक के 64वें मुकाबले में फुटबॉल के दिग्गज महाद्वीपों यूरोप और दक्षिण अमेरिका की टीमें आमने-सामने होंगी। जर्मनी की टीम अमेरिकी महाद्वीप में विश्व कप जीतने वाली पहली यूरोपीय टीम बनने के इरादे से कल मैदान पर उतरेगी और टीम को उम्मीद है कि अतीत में कुछ मौकों पर काफी करीब आकर चूकने के बाद उनकी यूथ ब्रिगेड इस बार सफल रहेगी।
दूसरी तरफ मेस्सी विश्व कप जीतकर अपने उन आलोचकों को शांत करना चाहते हैं जिनका तर्क है कि विश्व खिताब की कमी के कारण यह दिग्गज डिएगो मेराडोना जैसे महान खिलाड़ियों की सूची में शामिल नहीं हो सकता।
आक्रामक खेल और बेजोड़ डिफेंस से ब्राजील को सेमीफाइनल में 7-1 से रौंदने के बाद लय जर्मनी के पक्ष में है। टीम ने हालांकि कहा है कि वे इस जीत को पीछे छोड़ चुके हैं और उनकी नजरें अब फाइनल पर हैं।
जर्मनी को अपने पिछले चार मेजर टूर्नामेंट में फाइनल या सेमीफाइनल में शिकस्त का सामना करना पड़ा है और टीम ने इस बार अपनी नजरें ऐतिहासिक माराकाना स्टेडियम पर टिका दी हैं। जर्मनी के स्ट्राइकर मिरोस्लाव क्लोसे ने कहा कि हमने ब्राजील के खिलाफ मुकाबले का लुत्फ उठाया लेकिन 24 घंटे के बाद हम इसे भूल गए।
अपने जज्बे के दम पर ही जर्मनी ने रियो में पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए ग्रुप मुकाबले में घाना को 2-2 से बराबरी पर रोका और फिर अंतिम 16 में अल्जीरिया की कड़ी चुनौती को तोड़ने में कामयाब रहा।
जर्मनी ने क्वार्टर फाइनल में खतरनाक दिख रही फ्रांस की टीम को 1-0 से हराया जबकि सेमीफाइनल में ब्राजील को रौंद डाला।
जर्मनी के लगभग सभी खिलाड़ी शानदार फॉर्म में है। गोलकीपर मैनुएल नुएर को छकाना विरोधी खिलाड़ियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है जबकि डिफेंस में मैट्स हुमेल्स के रूप में टीम के पास मजबूत ‘दीवार’ है।
मिडफील्ड में बास्टियन स्वेनस्टीगर और सैमी खेदिरा ने प्रभावित किया है जिससे टोनी क्रूज और मेसुत ओजिल के लिए गोल करने के काफी मौके बने हैं।
थामस म्यूलर अब तक टूर्नामेंट में 5 गोल दागकर विरोधी खेमे में तहलका मचाने में सफल रहे हैं जबकि 36 वर्षीय मिरोस्लाव क्लोसे ने भी 2 गोल किए हैं और वे विश्व कप के इतिहास में सर्वाधिक गोल दागने वाले खिलाड़ी बन चुके हैं।
जर्मनी ने टूर्नामेंट में अब तक 17 गोल किए हैं, जो अर्जेंटीना की गोलों की संख्या से दोगुने से भी अधिक है। टीम की ओर से अब तक 8 खिलाड़ी गोल करने में सफल रहे हैं।
दूसरी तरफ जर्मनी के आक्रमण की बराबरी करने के लिए अर्जेंटीना की नजरें बार्सिलोना के सुपरस्टार मेस्सी पर टिकी हैं। 4 बार का दुनिया का यह सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी मौजूदा टूर्नामेंट में 2006 और 2010 की निराशा को पीछे छोड़ने के इरादे से उतरा है।
मेराडोना ने जिस तरह 28 साल पहले अपना जलवा दिखाया था ठीक उसी तरह मेस्सी ने इस बार अहम मौकों पर अपनी टीम की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बोस्निया के खिलाफ गोल दागा जबकि ईरान के खिलाफ इंजुरी टाइम में गोल करके अपनी टीम को जीत दिलाई।
उन्होंने नाईजीरिया के खिलाफ भी 2 गोल दागे। मेस्सी के शानदार पास पर ही प्री क्वार्टर फाइनल में स्विट्जरलैंड के खिलाफ एंजेल डि मारिया ने अतिरिक्त समय में गोल दागकर अपनी टीम को जीत दिलाई।
नीदरलैंड्स के खिलाफ मेस्सी कुछ खास नहीं कर पाए लेकिन जर्मनी को पता है कि उनकी एक चूक इस दिग्गज खिलाड़ी को अपनी टीम को खिताब दिलाने का मौका दे सकती है।
वर्ष 1986 के फाइनल में भी जर्मनी ने इसी तरह की चूक की थी जिससे मेराडोना को जॉर्ज बुरुचागा को पास देने का मौका मिल गया था जिन्होंने अपनी टीम के लिए विजयी गोल दागने में कोई गलती नहीं की।
दोनों टीमों के बीच 2010 विश्व कप में हुए क्वार्टर फाइनल मुकाबले में जर्मनी की टीम पूरी तरह से हावी रही थी और 4-0 से जीत दर्ज करने में सफल रही थी।
केपटाउन में हुए उस मैच के 17 खिलाड़ी इस बार सेमीफाइनल मुकाबले में खेले थे जिसमें जर्मनी के 10 और अर्जेंटीना के 7 खिलाड़ी शामिल हैं। (भाषा)