उनकी समझ में आ गया कि उनमें से एक ज्योतिषी है तथा उन्होंने चंदन का टीका लगाया और अंतर्ध्यान हो गए। ज्योतिषी अपने दोस्त को बोला, 'मैंने ज्योतिष का पूरा ज्ञान अर्जित कर लिया है और अब मैं तुम्हारे भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में सब कुछ स्पष्ट बता सकता हूं।'
दूसरा उसकी बातों में कोई रुचि न लेता हुआ बोला, 'तुम मेरे भूत और वर्तमान से पूरी तरह परिचित हो इसलिए सब कुछ बता सकते हो और अपने भविष्य के बारे में जानने की मेरी कोई इच्छा नहीं है। अच्छा होता तुम अपना ज्ञान अपने तक ही सीमित रखते।' मगर ज्योतिषी रुकने वाला नहीं था।
वह बोला, 'इन बिखरी हुई हडि्डयों को देख रहे हैं। मैं इन हडि्डयों को देखते हुए बता सकता हूं कि ये हडि्डयां किस जानवर की हैं तथा जानवर के साथ क्या-क्या बीता?' लेकिन उसके दोस्त ने फिर भी उसकी बातों में अपनी रुचि नहीं जताई।
तभी ज्योतिषी की नजर जमीन पर पड़े पदचिन्हों पर गई। उसने कहा, 'ये पदचिन्ह किसी राजा के हैं और सत्यता की जांच तुम खुद कर सकते हो। ज्योतिष के अनुसार राजा के पांवों में ही प्राकृतिक रूप से कमल का चिन्ह होता है जो यहां स्पष्ट नजर आ रहा है।'
उसके दोस्त ने सोचा कि सत्यता की जांच कर ही ली जाए, अन्यथा यह ज्योतिषी बोलता ही रहेगा। पदचिन्हों का अनुसरण करते-करते वे जंगल में अन्दर आते गए।