आप क्या करते हैं भगवान शिव से उतारी गई सामग्री का,घोर पाप लगता है इसके अपमान का

पं. हेमन्त रिछारिया
श्रावण मास चल रहा है। श्रावण मास में शिव आराधना का विशेष महत्व होता है। श्रावण मास में  प्रत्येक श्रद्धालु भूतभावन चन्द्रमौलीश्वर भगवान शिव  का अभिषेक पूजा आदि कर अपना जीवन  धन्य करते हैं। भगवान शिव की पूजा में अभिषेक, भस्म एवं बिल्वपत्र का विशेष महत्व होता है।

ALSO READ: कहां है यह मंदिर जहां शिव पार्वती ने लिए थे फेरे, क्यों है फिर चर्चा में
 
अधिकांश मंदिरों व घरों में प्रत्येक श्रावण सोमवार को भगवान चन्द्रशेखर का विशेष श्रृंगार किया  जाता है। इन दिनों अक्सर श्रद्धालुगण बिल्वपत्र से लक्ष्यार्चन इत्यादि भी करते हैं। भगवान शिव पर चढ़ाए गए सभी बिल्वपत्र एवं पुष्प शिवलिंग पर अर्पण किए जाने के उपरांत जब इन्हें विग्रह से उतार लिया जाता है, तब ये निर्माल्य बन जाते हैं।
 
अक्सर देखने में आता है कि सही जानकारी के अभाव में श्रद्धालुगण इन निर्माल्य को विसर्जन करते समय किसी नदी तट या ऐसी जगह रख देते हैं, जहां इनका अनादर होता है। हमारे शास्त्रों में किसी भी देवी-देवता के निर्माल्य का अपमान करना घोरतम पाप माना गया है। शिव निर्माल्य को पैर से छू जाने के पाप के प्रायश्चितस्वरूप ही पुष्पदंत नामक गंधर्व ने इस महान पाप के प्रायश्चित हेतु महिम्न स्तोत्र की रचना कर क्षमा-याचना की थी।

ALSO READ: सावन के महीने में शिव जी को राशि अनुसार लगाएंगे भोग तो दूर होंगे भय, दुख, रोग, शोक
 
अत: इस पवित्र श्रावण मास में श्रद्धालुओं को शिव निर्माल्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए।  केवल निर्माल्य को किसी नदी तट या बाग-बगीचे में रख देने से अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं समझनी चाहिए। जब तक यह सुनिश्चित न कर लें कि इस स्थान पर निर्माल्य का अनादर नहीं होगा, ऐसे स्थानों पर निर्माल्य न रखें। 

ALSO READ: शिव पूजा से पहले भोलेनाथ की प्रिय इन 9 सामग्रियों को पहचानें ...
 
शिव निर्माल्य के विसर्जन का सर्वाधिक उत्तम प्रकार है कि निर्माल्य को किसी पवित्र स्थान या बगीचे में गड्ढा खोदकर भूमि में दबा देना। वैसे बहते जल में इस निर्माल्य को प्रवाहित किया जा सकता है किंतु उसके लिए यह ध्यान रखें कि नदी का जल प्रदूषित न हो अर्थात निर्माल्य बहुत दिन  पुराने न हों। शिव निर्माल्य का अपमान एक महान पाप है अत: इससे बचने के लिए केवल दो ही उपाय हैं- एक तो कम मात्रा में निर्माल्य का सृजन हो और दूसरा निर्माल्य का उत्तम रीति से विसर्जन।
 
ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More