Sawan somwar 2024: कहीं आप भी तो नहीं कर रहे हैं शिवलिंग की अधूरी पूजा तो नहीं मिलेगा शिव परिवार का आशीर्वाद

Sawan somwar 2024: सावन के दूसरे सोमवार पर करें इस तरह शिवलिंग की पूजा, शिव परिवार का मिलेगा आशीर्वाद

WD Feature Desk
शुक्रवार, 26 जुलाई 2024 (12:35 IST)
Sawan somwar 2024: कई लोग जब पूजा करते हैं तो वे शिवलिंग और नागदेव की पूजा करके यह समझते ही हमारी पूजा पूर्ण हो गई। वे शिवलिंग पर फूल, बेलपत्र अर्पित करने के बाद नागदेव पर फूल एवं बेलपत्र अर्पित करके पूजा करते हैं, लेकिन यह पूजा अधूरी मानी जाती है। आओ जानते हैं कि पूर्ण पूजा कैसे होती है। श्रावण का दूसरा सोमवार 29 जुलाई 2024 को रहेगा। सोमवार को शिवजी की पूजा के साथ अभिषेक भी किया जाता है।ALSO READ: श्रावण मास विशेष: सावन में अवश्य पढ़ें प्राचीन शिव पंचाक्षरी स्तोत्र, कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति
 
जब आप शिवलिंग की पूजा करें तो सिर्फ शिवलिंग की ही पूजा न करें। शिवलिंग के आसापस पार्वती माता विराजमान रहती है, जिसे हस्त कमल का नाम दिया है। इसी प्रकार सोमसूत्र यानी जिस नलिका से जल बाहर निकलता है, उसी स्थान पर भगवान शिव की बेटी अशोक सुंदरी विराजमान हैं। जलाधारी के आगे की ओर जो पद चिन्ह दिखाई देते हैं उस स्थान पर कार्तिकेय और गणेश जी का वास है।ALSO READ: Sawan somwar 2024: सावन के सोमवार के दिन करें ये शिवामुट्ठी का प्रयोग, अपार धन की होगी प्राप्ति
 
शिवलिंग के ठीक नीचे ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और शीर्ष पर शिवजी का स्थान रहता है। सबसे ऊपर छत से लटके जल से भरे एक तांबे या पीतल के घड़े से शिवलिंग पर बूंद-बूंद जल टपकता रहता है। यह उसी तरह है जिस तरह की ब्रह्मरंध या कपाल से अमृत टपकता रहता है जो हमारे संपूर्ण शरीर में तृप्त करता है। इसलिए शिवलिंग के हर भाग पर वे फूल अर्पित करें तो उक्त देवी और देवताओं को पसंद है और उन सभी स्थानों की भी पूजा करें। ALSO READ: इस सावन मास में 11 प्रकार के अभिषेक से करें शिवजी को प्रसन्न, हर मनोकामना होगी पूर्ण
 
- जब आप शिवलिंग की पूजा करें तो सिर्फ शिवलिंग की ही पूजा न करें। शिवलिंग के आसपास माता पार्वती विराजमान रहती हैं, जिसे हस्त कमल का नाम दिया है।
 
- इसी प्रकार सोमसूत्र यानी जिस नलिका से जल बाहर निकलता है, उसी स्थान पर भगवान शिव की बेटी अशोक सुंदरी विराजमान हैं। 
 
- जलाधारी के आगे की ओर जो पद चिन्ह दिखाई देते हैं उस स्थान पर दाईं ओर गणेश जी और बाईं ओर कार्तिकेय विराजमान हैं। 
 
- शिवलिंग के ठीक नीचे ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और शीर्ष पर शिवजी का स्थान रहता है।
 
- सबसे ऊपर छत से लटके जल से भरे एक तांबे या पीतल के घड़े से शिवलिंग पर बूंद-बूंद जल टपकता रहता है। इसे गलंतिका कहा जाता है। इसे वसोधारा लगाना भी कहते हैं। यह ब्रह्मरंध से अमृत टपकते रहने जैसा है।
 
- इसलिए शिवलिंग के हर भाग पर वे फूल अर्पित करें तो उक्त देवी और देवताओं को पसंद है और उन सभी स्थानों की भी पूजा करें।
 
- सबसे पहले शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
 
- इसके बाद धूप दीप प्रज्वलित करें।
 
- इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, चंदन आदि अर्पित करें।
 
- फिर नाग देवता पर बेलपत्र, फूल आदि अर्पित करें।
 
- फिर गलंतिका पर चंदन का टीका लगाएं।
 
- फिर शिवलिंग के नीचे आसपास माता पार्वती की पूजा करें।
 
- इसके बाद सोमसूत्र के पास विराजमान अशोक सुंदरी की पूजा करें। 
 
- इसके बाद भगवान गणेश एवं कार्तिकेय की पूजा करें।
 
- इसके बाद जलाधारी पर भी चंदन, फूल आदि अर्पित करें।
 
- शिवलिंग के आगे मध्य में और ठीक पीछे के स्थान पर भी चंदन लगाएं।
 
- इसके बाद नैवेद्य अर्पित करें और अंत में नंदी भगवान को चंदन का टीका लगाकर उनकी पूजा करें। 
 
- सबसे अंत में आरती करके प्रसाद का वितरण करें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

आंवला नवमी कब है, क्या करते हैं इस दिन? महत्व और पूजा का मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

सभी देखें

धर्म संसार

MahaKumbh : प्रयागराज महाकुंभ में तैनात किए जाएंगे 10000 सफाईकर्मी

10 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

10 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: तुलसी विवाह के दिन आजमा सकते हैं ये 12 अचूक उपाय

Dev uthani gyaras 2024 date: देवउठनी देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि

अगला लेख
More