Shradh 2019 : क्या गयाजी में श्राद्ध के बाद तर्पण नहीं करना चाहिए, जानिए सच

पं. हेमन्त रिछारिया
शास्त्र का वचन है- 'श्रद्ध्या इदं श्राद्धम्' अर्थात् श्रद्धा ही श्राद्ध है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने पूर्वजों के निमित्त यथा सामर्थ्य श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि श्राद्ध ना करने से हम अपने पितरों के कोप के भागी होते हैं। अत: प्रत्येक व्यक्ति को अपने पितरों की तृप्ति हेतु श्राद्ध करना आवश्यक है। 
 
शास्त्रानुसार श्राद्ध के कई अवसर बताए गए हैं किंतु महालय अर्थात् पितृ पक्ष में तो श्राद्ध अवश्य ही करना चाहिए। इसी प्रकार श्राद्ध संगम तट, तीर्थ स्थान एवं पवित्र नदी के तट पर करने का भी बहुत महत्व होता है। इन सब में गया श्राद्ध की अपनी विशेष महिमा व महत्व है। 
 
माना जाता है कि गया में श्राद्ध करने के पश्चात् पितर देवलोक प्रस्थान कर जाते हैं। कुछ विद्वान गया श्राद्ध को अंतिम श्राद्ध मानते हुए इसके पश्चात् श्राद्ध ना करने का परामर्श देते हैं जो पूर्णत: अनुचित है। ऐसी बात कहकर वे आम जनमानस को भ्रमित करते हैं। शास्त्रानुसार गया श्राद्ध के पश्चात् भी बदरीका क्षेत्र के 'ब्रह्मकपाली' में श्राद्ध करने का विधान है। 
 
शास्त्रानुसार वर्णन है कि प्राचीन काल में जहां ब्रह्मा जी का सिर गिरा था उस क्षेत्र को 'ब्रह्मकपाली' कहा जाता है। गया में श्राद्ध करने के उपरांत  अंतिम श्राद्ध 'ब्रह्मकपाली' में किया जाता है। 
 
हमारे शास्त्रों में श्राद्ध क्षेत्रों का वर्णन प्राप्त होता है जिनमें श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना गया है, ये स्थान हैं- प्रयाग, पुष्कर, कुशावर्त (हरिद्वार), गया एवं ब्रह्मकपाली (बदरीका क्षेत्र)। कई लोगों को भ्रम होता है कि गया श्राद्ध करने के उपरांत श्राद्ध पक्ष में तर्पण व ब्राह्मण भोजन बंद कर देना चाहिए, यह एक गलत धारणा है। 
 
शास्त्रानुसार गया में श्राद्ध करने के उपरांत भी अपने पितरों के निमित्त तर्पण व ब्राह्मण भोजन बंद नहीं करना चाहिए, केवल उनके निमित्त 'धूप' छोड़ना बंद करना चाहिए। गया श्राद्ध के उपरांत ब्रह्मकपाली में श्राद्ध किया जाना चाहिए। ब्रह्मकपाली में श्राद्ध करने के उपरांत तर्पण व ब्राह्मण भोजन की बाध्यता समाप्त हो जाती है लेकिन शास्त्र का स्पष्ट निर्देश है कि गया एवं ब्रह्मकपाली में श्राद्ध करने के उपरांत भी अपने पितरों के निमित्त तर्पण व ब्राह्मण भोजन अथवा आमान्न (सीधा) दान किया जाना चाहिए।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 
ALSO READ: Mantra For Pitra Dosh Nivaran : श्राद्ध पक्ष के दिनों में जरूर पढ़ें यह अद्‌भुत पाठ, मिलेगा पितरों का आशीष

 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी की 3 पौराणिक कथाएं

Tulsi Vivah vidhi: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

Tulsi vivah Muhurt: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है, जानें विधि और मंत्र

सभी देखें

धर्म संसार

09 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

09 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

ज्योतिष की नजर में क्यों हैं 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Akshaya Navami 2024: आंवला नवमी पर इस कथा को पढ़ने या सुनने से मिलता है अक्षय फल

अगला लेख
More