श्राद्ध पक्ष 2020 : दिन के किस समय में करते हैं श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान

अनिरुद्ध जोशी
अधिकतर लोग घर में ही श्राद्ध कर्म करते हैं। इसके लिए वे घर में ही पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज करवाते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है। उक्त 16 दिनों में दिन के किस समय में पितरों के लिए पितृ पूजा और ब्राह्मण भोज कराना चाहिये यह जानना भी जरूरी है।
 
ALSO READ: किसको है श्राद्ध कर्म करने का अधिकार, जानिए
पितृ पक्ष 2020
1 से 17 सितंबर
पूर्णिमा श्राद्ध – 1 सितंबर 2020
सर्वपितृ अमावस्या – 17 सितंबर 2020
कुतुप मुहूर्त 2020
 
कुपत, रोहिणी और अपराह्न काल में करते हैं श्राद्ध : विद्वान ज्योतिष मानते हैं कि श्राद्ध के 16 दिनों में कुपत, रोहिणी या अपराह्न काल में ही श्राद्ध कर्म करना चाहिये। ये कुपत काल दिन का आठवां मुहूर्त काल होता है। तारीख के अनुसार यह मुहूर्त हर दिन अलग अलग होता है। कुतप काल में किए गए दान का अक्षय फल मिलता है।
ALSO READ: श्राद्ध पक्ष 2020 : श्राद्ध पक्ष की 16 तिथियां, किस तिथि में करें किसका श्राद्ध, जानिए
श्राद्ध मुहूर्त : इस बार 2 सितंबर को शुरू हो रहे पितृ पक्ष में कुतुप मुहूर्त सुबह 11:55 बजे से दोपहर 12:46 बजे तक है। वहीं रोहिण मूहूर्त दोपहर 12:46 बजे से दोपहर 1:37 बजे तक है। वहीं अपराह्नय काल मुहूर्त दोपहर 1:37 बजे से शाम 4:09 बजे तक है। अपराह्नय काल समाप्त होने के पूर्व श्राद्ध संबंधी सभी अनुष्ठान पूर्ण कर लेने चाहिए। इसके अलावा गजच्छाया योग में भी श्राद्ध कर्म करना अति उत्तम अनंत गुना फल देने वाला माना गया है। जब सूर्य हस्त नक्षत्र पर हो और त्रयोदशी के दिन मघा नक्षत्र होता है तब 'गजच्छाया योग' बनता है।
ALSO READ: क्या पुनर्जन्म के बाद भी व्यक्ति को श्राद्ध लगता है?
8 प्रहर : 24 घंटे में 8 प्रहर होते हैं। दिन के 4 और रात के 4 मिलाकर कुल 8 प्रहर। औसतन एक प्रहर 3 घंटे का होता है जिसमें दो मुहूर्त होते हैं। 8 प्रहरों के नाम:- दिन के 4 प्रहर- पूर्वाह्न, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल। रात के 4 प्रहर- प्रदोष, निशिथ, त्रियामा एवं उषा।
 
24 घंटे में 1440 मिनट होते हैं:- मुहूर्त सुबह 6 बजे से शुरू होता है:- रुद्र, आहि, मित्र, पितॄ, वसु, वाराह, विश्वेदेवा, विधि, सतमुखी, पुरुहूत, वाहिनी, नक्तनकरा, वरुण, अर्यमा, भग, गिरीश, अजपाद, अहिर, बुध्न्य, पुष्य, अश्विनी, यम, अग्नि, विधातॄ, क्ण्ड, अदिति जीव/अमृत, विष्णु, युमिगद्युति, ब्रह्म और समुद्रम।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Nanak Jayanti 2024: कब है गुरु नानक जयंती? जानें कैसे मनाएं प्रकाश पर्व

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

शमी के वृक्ष की पूजा करने के हैं 7 चमत्कारी फायदे, जानकर चौंक जाएंगे

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास पूर्णिमा का पुराणों में क्या है महत्व, स्नान से मिलते हैं 5 फायदे

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

सभी देखें

धर्म संसार

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Dev Diwali 2024: वाराणसी में कब मनाई जाएगी देव दिवाली?

Pradosh Vrat 2024: बुध प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व और पूजा विधि और उपाय

Surya in vrishchi 2024: सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर, 4 राशियों के लिए बहुत ही शुभ

Aaj Ka Rashifal: 13 नवंबर के दिन किन राशियों को मिलेगी खुशखबरी, किसे होगा धनलाभ, पढ़ें 12 राशियां

अगला लेख
More