पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली इंदिरा एकादशी 13 सितंबर 2020 को

अनिरुद्ध जोशी
इस वर्ष अधिकमास होने से 24 की जगह 26 एकादशियां होगी। माह में 2 एकादशियां होती हैं अर्थात आपको माह में बस 2 बार और वर्ष के 365 दिनों में मात्र 24 बार ही नियमपूर्वक एकादशी व्रत रखना है। हालांकि प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिकमास होने से 2 एकादशियां जुड़कर ये कुल 26 होती हैं।
 
 
इंदिरा एकादशी ( indira ekadashi ): आश्‍विन माह में इंदिरा एवं पापांकुशा एकादशी आती है। पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली इंदिरा एकादशी के व्रत से स्वर्ग की प्राप्ति होती है जबकि पापांकुशा एकादशी सभी पापों से मुक्त कर अपार धन, समृद्धि और सुख देती है। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है, वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उसके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है। इंदिरा एकादशी के दिन विधिवत रूप से व्रत करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और वे नया जीवन प्राप्त करते हैं।
 
ALSO READ: पितृ पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या पर नहीं करेंगे श्राद्ध तो होगा बुरा, जानिए 10 खास बातें
 
इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त : एकादशी तिथि 13 सितंबर 2020 को सुबह 4 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होकर 14 सितंबर 2020 सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक पर समाप्त होगी। इंदिरा एकादशी व्रत पारण 14 सितंबर को दोपहर 01:30 से दोपहर 03:59 तक रहेगा।
 
इंदिरा एकादशी व्रत कथा : सतयुग में विष्णु का परम भक्त इंद्रसेन नाम का एक प्रतापी महिष्मति नाम के राज्य पर राज्य करता था। महिष्मति राज्य में जनता सुखपूर्वक रहती थी। एक दिन नारदजी इंद्रसेन के दरबार में उपस्थित हुए और उन्होंने राजा को उनके मृत पिता के यमलोक में होने की बात बताई। पूर्व जन्म में उनसे कोई गलती हो गई थी जिस कारण वे यमलोक में हैं। नारद ने राजा को उपाय बताते हुए कहा कि यदि इंद्रसेन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी का व्रत रखें तो उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी।

 
ALSO READ: श्राद्ध पक्ष : 5 लक्षणों से जानें कि आपके पितृ आपको आशीर्वाद दे गए या श्राप

 
राजा ने नारदजी से इंदिरा एकादशी के व्रत के बारे में विस्तार से जानने की जिज्ञासा प्रकट की तो नारदजी ने कहा कि एकादशी तिथि से पूर्व दशमी को विधि-विधान से पितरों का श्राद्ध करें और एकादशी की तिथि को व्रत रखें और द्वादशी के दिन भगवान की पूजा के बाद दान आदि का कार्य करने के बाद व्रत का पारण करें। राजा इंद्रसेन ने नारद के बताए हुए नियमों के अनुसार ही व्रत किया। एकादशी का व्रत रखने के कारण उनके पिता को स्वर्ग प्राप्त हुआ।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shraddha Paksha 2024: पितृ पक्ष में यदि अनुचित जगह पर श्राद्ध कर्म किया तो उसका नहीं मिलेगा फल

गुजरात के 10 प्रमुख धार्मिक स्थलों पर जाना न भूलें

Sukra Gochar : शुक्र का तुला राशि में गोचर, 4 राशियों के जीवन में बढ़ जाएंगी सुख-सुविधाएं

Vastu Tips for Balcony: वास्तु के अनुसार कैसे सजाएं आप अपनी बालकनी

सितंबर 2024 : यह महीना क्या लाया है 12 राशियों के लिए, जानें Monthly Rashifal

सभी देखें

धर्म संसार

Vastu Tips: घर में किचन किस दिशा में होना चाहिए और किस दिशा में नहीं होना चाहिए?

Sarvapitri amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या की 10 अनसुनी बातों को जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे

Ketu Gochar : पापी ग्रह केतु के नक्षत्र में होगा गुरु का प्रवेश, 3 राशियों की चमकने वाली है किस्‍मत

20 सितंबर : श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्मदिन आज, जानें उनका जीवन और 25 बहुमूल्य कथन

Aaj Ka Rashifal: 20 सितंबर 2024, कैसा बीतेगा आज आपका दिन, पढ़ें अपना दैनिक राशिफल

अगला लेख
More