पितृ पक्ष : पितरों की मुक्ति के मात्र 2 स्थान, पहुंच गए तो पितृदोष से शर्तिया मुक्ति

अनिरुद्ध जोशी
श्राद्ध पक्ष में पितरों की मुक्ति हेतु किए जाने वाले कर्म तर्पण, भोज और पिंडदान को उचित रीति से नदी के किनारे किया जाता है। इसके लिए देश में कुछ खास स्थान नियुक्त हैं। देश में श्राद्ध पक्ष के लिए लगभग 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है परंतु मात्र 2 स्थान ऐसे हैं जिसकी महिमा के बारे में पुराणों में उल्लेख मिलता है।

 
ऐसा माना जाता है कि प्रयाग मुक्ति का पहला द्वार है, काशी दूसरा, गया तीसरा और अंतिम ब्रह्मकपाली है। यहां क्रम से जाकर पितरों के प्रति विधिवत किए गए श्राद्ध से मुक्ति मिल जाती है।
 
1. गया ( Gaya ji) : पुराणों के अनुसार पितरों के लिए खास आश्विन माह के कृष्ण पक्ष या पितृपक्ष में पवित्र फल्गु नदी के तट पर बसे मोक्षधाम गयाजी नगर में पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और माता-पिता समेत सात पीढ़ियों का उद्धार होता है। यहां पर पितरों की मुक्ति के कई कारण बताए गए हैं। देशभर के लोग यहीं आकर अपने पितरों को छोड़कर चले जाते हैं। यह स्थान तपस्वी गयासुर नामक असुर की देह पर बना है।
 
ALSO READ: श्राद्ध पक्ष 2020 : दिन के किस समय में करते हैं श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान
गया क्षेत्र में भगवान विष्णु पितृदेवता के रूप में विराजमान रहते हैं। भगवान विष्णु मुक्ति देने के लिए 'गदाधर' के रूप में गया में स्थित हैं। गयासुर के विशुद्ध देह में ब्रह्मा, जनार्दन, शिव तथा प्रपितामह स्थित हैं। अत: पिंडदान के लिए गया सबसे उत्तम स्थान है। पुराणों अनुसार ब्रह्मज्ञान, गयाश्राद्ध, गोशाला में मृत्यु तथा कुरुक्षेत्र में निवास- ये चारों मुक्ति के साधन हैं- गया में श्राद्ध करने से ब्रह्महत्या, सुरापान, स्वर्ण की चोरी, गुरुपत्नीगमन और उक्त संसर्ग-जनित सभी महापातक नष्ट हो जाते हैं।
 
ALSO READ: Shraddha Paksha 2020 : श्राद्ध करने के प्रमुख 7 स्थान
कहते हैं कि गया वह आता है जिसे अपने पितरों को मुक्त करना होता है। लोग यहां अपने पितरों या मृतकों की आत्मा को हमेशा के लिए छोड़कर चले जाता है। मतलब यह कि प्रथा के अनुसार सबसे पहले किसी भी मृतक तो तीसरे वर्ष श्राद्ध में लिया जाता है और फिर बाद में उसे हमेशा के लिए जब गया छोड़ दिया जाता है तो फिर उसके नाम का श्राद्ध नहीं किया जाता है।
 
 
कहा जाता है कि गया में पहले विभिन्न नामों के 360 वेदियां थीं जहां पिंडदान किया जाता था। इनमें से अब 48 ही बची है। यहां की वेदियों में विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के किनारे और अक्षयवट पर पिंडदान करना जरूरी माना जाता है। इसके अतिरिक्त वैतरणी, प्रेतशिला, सीताकुंड, नागकुंड, पांडुशिला, रामशिला, मंगलागौरी, कागबलि आदि भी पिंडदान के लिए प्रमुख है। यही कारण है कि देश में श्राद्घ के लिए 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है जिसमें बिहार के गया का स्थान सर्वोपरि है।
 
ALSO READ: क्या पुनर्जन्म के बाद भी व्यक्ति को श्राद्ध लगता है?
2. ब्रह्मकपाली ( Bramha Kapa ) : कहते हैं कि गया में श्राद्ध करने के उपरांत अंतिम श्राद्ध उत्तरखंड के बदरीकाश्रम क्षेत्र के 'ब्रह्मकपाली' में किया जाता है। गया के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। कहते हैं जिन पितरों को गया में मुक्ति नहीं मिलती या अन्य किसी और स्थान पर मुक्ति नहीं मिलती उनका यहां पर श्राद्ध करने से मुक्ति मिल जाती है। यह स्थान बद्रीनाथ धाम के पास अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। पांडवों ने भी अपने परिजनों की आत्म शांति के लिए यहां पर पिंडदान किया था। पुराणों के अनुसार यह स्थान महान तपस्वियों और पवित्र आत्माओं का है। श्रीमद्भागवत पुराण अनुसार यहां सूक्ष्म रूप में महान आत्माएं निवासरत हैं। ब्रह्म कपाली में किया जाने वाला पिंडदान आखिरी माना जाता है। इसके बाद उक्त पूर्वज के निमित्त कोई पिंडदान नहीं किया जाता है।
 
 
ब्रह्मा कपाल की स्टोरी : मान्यता अनुसार भगवान ब्रह्मा के पांच सिर थे। जब उन्होंने अपनी पुत्री पर गलत दृष्टि डाली तो शिवजी ने उनका पांचवां सिर काट दिया था जो इसी स्थान पर गिरा। इसीलिए यह स्थान ब्रह्मा कपाल कहलाता है। यही पर शिवजी को ब्रह्म हत्या के श्राप से मुक्ति भी मिली थी।
 

सम्बंधित जानकारी

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का महत्व, इस दिन क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए?

क्या आप नहीं कर पाते अपने गुस्से पर काबू, ये रत्न धारण करने से मिलेगा चिंता और तनाव से छुटकारा

Solar eclipse 2025:वर्ष 2025 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा और कहां नहीं

Meen Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मीन राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Kumbh Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कुंभ राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

Utpanna ekadashi Katha: उत्पन्ना एकादशी व्रत की पौराणिक कथा

Aaj Ka Rashifal: 25 नवंबर के दिन किसे मिलेंगे नौकरी में नए अवसर, पढ़ें 12 राशियां

अगला लेख
More