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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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द्वादश ज्योतिर्लिंग का महत्व

हमें फॉलो करें द्वादश ज्योतिर्लिंग का महत्व
ज्योतिर्लिंग यानी 'व्यापक ब्रह्मात्मलिंग' जिसका अर्थ है 'व्यापक प्रकाश'। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के मुताबिक- ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग कहा गया है।
 
शिव के आठ द्वारपाल
नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमामहेश्वर और महाकाल
 
शिव के 8 गण
नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, वीरभद्र और महाविकट।
 
प्रिय वनस्पति
रुई, पीला कनेर, बिल्वपत्र, शमी पत्र, कमल, बकुल, धतूरा सभी तरह के सुगंधी फूलों के साथ नीलकमल विशेष प्रिय हैं।
 
क्या न चढ़ाएँ
टेसू के फूल, दूब, मधुमालती, तुलसी, भृंगराज, जूही, लालजवाकुसुम, लाल कनेर और केवड़ा।
 
रुद्राक्ष
इसे शिवशंकर की तीसरी आँख माना गया है, जो लाल, सफेद, पीले और काले चार रंगों में मिलता है।

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