कर्तव्य है जीवन का आधार

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
र्तव्यों का विशद विवेचन धर्मसूत्रों तथा स्मृतिग्रंथों में मिलता है। वेद, पुराण, गीता और स्मृतियों में उल्लेखित चार पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक सनातनी (हिंदू या आर्य) को कर्तव्यों के प्रति जाग्रत रहना चाहिए ऐसा ज्ञानीजनों का कहना है। कर्तव्यों के पालन करने से चित्त और घर में शांति मिलती है। चित्त और घर में शांति मिलने से मोक्ष व समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

कर्तव्यों के कई मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कारण और लाभ हैं। जो मनुष्य लाभ की दृष्‍टि से भी इन कर्तव्यों का पालन करता है वह भी अच्छाई के रास्ते पर आ ही जाता है। दुख: है तो दुख से मुक्ति का उपाय भी कर्तव्य ही है। तो आओ जानें कि कर्तव्य क्या है और इसके प्रकार क्या हैं।

(1) संध्योपास न : संध्योपासन अर्थात संध्या वंदन। इस संध्या वंदन को कैसे और कब किया जाए, इसका अलग नियम है। संधि पाँच वक्त की होती है जिसमें से प्रात: और संध्या की संधि का महत्व ज्यादा है। संध्या वंदन को छोड़कर जो मनमानी पूजा-आरती आदि करते हैं उनका कोई धार्मिक महत्व नहीं। संध्या वंदन से सभी तरह का शुभ और लाभ प्राप्त होता है।

(2) व्रत : व्रत ही तप है। यही उपवास है। व्रत दो प्रकार के हैं। इन व्रतों को कैसे और कब किया जाए, इसका अलग नियम है। नियम से हटकर जो मनमाने व्रत या उपवास करते हैं उनका कोई धार्मिक महत्व नहीं। व्रत से जीवन में किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं रहता। व्रत से ही मोक्ष प्राप्त किया जाता है। श्रावण माह को व्रत के लिए नियुक्त किया गया है।

(3) तीर्थ : तीर्थ और तीर्थयात्रा का बहुत पुण्य है। कौन-सा है एक मात्र तीर्थ? तीर्थाटन का समय क्या है? अयोध्‍या, काशी, मथुरा, चार धाम और कैलाश में कैलाश की महिमा ही अधिक है वही प्रमुख है। ‍जो मनमानें तीर्थ और तीर्थ पर जाने के समय हैं उनकी यात्रा का सनातन धर्म से कोई संबंध नहीं। तीर्थ से ही वैराग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

(4) उत्स व : उन त्योहारों, पर्वों या उत्सवों को मनाने का महत्व अधिक है जिनकी उत्पत्ति स्थानीय परम्परा या संस्कृति से न होकर जिनका उल्लेख धर्मग्रंथों में मिलता है। ऐसे कुछ पर्व हैं और इनके मनाने के अपने नियम भी हैं। इन पर्वों में सूर्य-चंद्र की संक्रांतियों और कुम्भ का अधिक महत्व है। सूर्य संक्रांति में मकर सक्रांति का महत्व ही अधिक माना गया है। मनमाने त्योहारों को मनाने से धर्म की हानी होती है। ऐसे कई त्योहार है जिन्हें मनमाने तरीकों से मनाया भी जाता है।

(5) सेवा : हिंदू धर्म में सभी कर्तव्यों में श्रेष्ठ 'सेवा' का बहुत महत्व बताया गया है। स्वजनों, अशक्तों, गरीबों, महिला, बच्चों, धर्म रक्षकों, बूढ़ों और मातृभूमि की सेवा करना पुण्य है। यही अतिथि यज्ञ है। सेवा से सभी तरह के संकट दूर होते हैं। इसी से मोक्ष के मार्ग में सरलता आती है।

(6) दा न : दान के तीन प्रकार बताए गए है:- उत्तम, मध्यम और निकृष्‍ट। जो धर्म की उन्नति रूप सत्यविद्या, स्वजनों और राष्ट्र की उन्नति के लिए देवे वह उत्तम। कीर्ति या स्वार्थ के लिए देवे वह मध्यम और जो वेश्‍यागमनादि, भांड, भाटे, पंडे को देवे वह निकृष्‍ट है। दान कब और किसे दें, इसके भी नियम हैं।

(7) यज्ञ : यज्ञ पाँच प्रकार के होते हैं। यज्ञ का अर्थ सिर्फ हवन करना नहीं। यज्ञ भी कब, कैसे, कौन और किस स्थान पर करें, इसके भी नियम हैं। मनमाने और बे-समय किए गए यज्ञों का कोई महत्व नहीं। पाँच यज्ञ निम्न है- ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृयज्ञ (श्राद्ध), वैश्वदेव यज्ञ और अतिथि यज्ञ।

 
(8) संस्का र : संस्कारों के प्रमुख प्रकार सोलह बताए गए हैं जिनका पालन करना हर हिंदू का कर्तव्य है। यह कब और कैसे करें, इसके भी नियम हैं। इन संस्कारों के नाम है-गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, मुंडन, कर्णवेधन, विद्यारंभ, उपनयन, वेदारंभ, केशांत, सम्वर्तन, विवाह और अंत्येष्टि।

उक्त कर्तव्यों में हिंदू धर्म की समस्त विचारधारा के कर्तव्यों का समावेश हो जाता है। वेद, पुराण, गीता और स्मृतियों में इन्हीं कर्तव्यों के अलग-अलग नाम और विस्तार की बातें होने से भ्रम की स्थिति होती है, लेकिन हैं सभी एक ही। जैसे कि वेदों में बताए पांच यज्ञों में से एक पितृयज्ञ को ही पुराणों में श्राद्ध कहा जाता है।  तो यह है हिंदुओं के मुख्यत: आठ कर्तव्य। आगे हम इन कर्तव्यों का खुलासा करेंगे।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

Makar Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मकर राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

lunar eclipse 2025: वर्ष 2025 में कब लगेगा चंद्र ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा

अगला लेख
More