सुगंध का प्रयोग कर इन 8 तरह की परेशानी से बचें, शर्तिया लाभ होगा

अनिरुद्ध जोशी
हिन्दू धर्म में सुगंध या खुशबू का बहुत महत्व माना गया है। वह इसलिए कि सात्विक अन्न से शरीर पुष्ट होता है तो सुगंध से सूक्ष्म शरीर। सुगंध से आपना मस्तिष्क बदलता है, सोच बदलती और सोच से भविष्य बदल जाता है। सुगंध आपके विचार की क्षमता पर असर डालती है। यह आपकी भावनाओं को बदलने की क्षमता रखती है।
 
 
इससे शरीर के रोग नष्ट होते हैं। सुगंध के सही प्रयोग से एकाग्रता बढ़ाई जा सकती है। सुगंध से स्नायु तंत्र और डिप्रेशन जैसी बीमारियों को दूर किया जा सकता है। आओ जानते हैं कि किस सुगंध से क्या लाभ मिलता है।
 
 
1. शांति और प्रगति हेतु :
इसके लिए चंदन की सुगंध का उपयोग करें। विद्यार्थियों और अविवाहितों को अधिकतर चंदन का उपयोग करना चाहिए। कार्यस्थल या पूजा स्थल पर चंदन या गुग्गल की सुगंध का ही उपयोग करना चाहिए। ध्यान करते वक्त भी चंदन का उपयोग करते हैं।
 
 
2.अच्छी नींद और सेहत हेतु
सोने के पहले अपनी नाभि पर चंदन या गुलाब की सुगंध लगाकर सो जाइये। अच्छी नींद आएगी। मानसिक तनाव को दूर करने और अच्छी सेहत के लिए अपने बैडरूम में और नहाने के दौरान गुलाब, रातरानी और मोगरे की सुगंध का उपयोग करना चाहिए।
 
 
रात्रि में सोने से पूर्व कर्पूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है। रात्रि में सोने से पहले पीतल के बर्तन में घी में भीगा हुआ कर्पूर जला दें। इससे तनावमुक्ति होगी और गहरी नींद आएगी। चंदन व मोगरे का इत्र नाभि में लगाने क्रोध और नींद से संबंधित समस्याएं छू मंतर हो जाती हैं।
 
 
3.देवदोष व पितृदोष दूर करते हेतु :
कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है। प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं। इसके अलावा गुड़ और घी के मिश्रण को कंडे (उपले) पर चलाने से भी देव और पितृदोष दूर होते हैं।
 
 
4.वास्तुदोष और ग्रहदोष से मुक्ति हेतु :
अष्टगंध की सुगंध अत्यंत ही प्रिय होती है। इसका घर में इस्तेमाल होते रहने से चमत्कारिक रूप से मानसिक शांति मिलती है और घर का वास्तुदोष भी दूर हो जाता है। इसके इस्तेमाल से ग्रहों के दुष्प्रभाव भी दूर हो जाते हैं।
 
 
घर के वास्तुदोष को मिटाने के लिए कर्पूर का बहुत‍ महत्व है। यदि सीढ़ियां, टॉयलेट या द्वार किसी गलत दिशा में निर्मित हो गए हैं, तो सभी जगह 1-1 कर्पूर की बट्टी रख दें। वहां रखा कर्पूर चमत्कारिक रूप से वास्तुदोष को दूर कर देगा।
 
 
5.बदन दर्द या मस्तिष्क दर्द हेतु :
गुग्गल की सुगंध से जहां आपके मस्तिष्क का दर्द और उससे संबंधित रोगों का नाश होगा वहीं इसे दिल के दर्द में भी लाभदायक माना गया है। कुछ लोग इसकी जगह लोभान का उपयोग करते हैं। हालांकि रातरा‍नी के इत्र में स्नान करने या इसकी सुगंध सुगने से भी मस्तिष्क का दर्द चला जाता है। सिर पर चंदन का तिलक लगाने से शांति मिलती है। चंदन व मोगरे का इत्र नाभि में लगाने से माइग्रेन या सामान्य सिरदर्द दूर हो जाता है।
 
 
गुलाब का इत्र लगाने से देह के संताप मिट जाते हैं। गुलाब का इत्र मन को प्रसन्नता देता है। गुलाब का तेल मस्तिष्क को ठंडा रखता है और गुलाब जल का प्रयोग उबटनों और फेस पैक में किया जा सकता है। गुलाब जल से आंखों को धोने से आंखों की जलन में आराम मिलता है। गुलाब का गुलकंद खाने से शरीर के भीतर की गर्मी छट जाती है और यह कई बीमारियों को शांत करता है। महिलाओं के लिए गुलकंद सबसे ज्यादा लाभदायक होता है।
 
 
6.किए कराए से और गृहकलह से मुक्ति हेतु :
घर में साफ-सफाई रखते हुए पीपल के पत्ते से 7 दिन तक घर में गौमूत्र के छींटे मारें एवं तत्पश्चात शुद्ध गुग्गल की धूप जला दें। इससे घर में किसी ने कुछ कर रखा होगा तो वह दूर हो जाएगा और सभी के मस्तिष्क शांत रहेंगे। हफ्ते में 1 बार किसी भी दिन घर में कंडे जलाकर गुग्गल की धूनी देने से गृहकलह शांत होता है। कुछ लोग इसकी जगह लोभान का उपयोग करते हैं।
 
 
गुरुवार और रविवार को गुड़ और घी मिलाकर उसे कंडे पर जलाएं। इससे जो सुगंधित वातावरण निर्मित होगा, वह आपके मन और मस्तिष्क के तनाव को शांत कर देगा। जहां शांति होती है, वहां गृहकलह नहीं होता और जहां गृहकलह नहीं होता वहीं लक्ष्मी वास करती हैं।
 
 
7.चिंता से मुक्ति हेतु :
सुबह रातरानी के सुगंधित जल से स्नान कर लें। दिनभर बदन में ताजगी का एहसास रहेगा व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलेगा। रातरानी की सुगंध से सभी तरह की चिंता, भय, घबराहट आदि सभी मिट जाती है। सुगंध में इसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अधिकतर लोग इसे अपने घर आंगन में इसलिए नहीं लगाते हैं क्योंकि यह सांप को आकर्षित करती है लेकिन जानकार लोग इसे घर से कुछ दूर सुरक्षित स्थान पर लगाकर इसकी सुगंध का आनंद लेते हैं। हालांकि इसके इत्र भी बाजार में मिलते हैं जिसका उपयोग किया जा सकता है।
 
 
8. कामेच्छा हेतु 
भीनी-भीनी और मनभावन खुशबू वाले चंदन को न सिर्फ इत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है बल्कि इसके तेल को गुलाब, चमेली या तुलसी के साथ मिलाकर उपयोग करने से कामेच्छा भी प्रबल होती है। चंदन की तरह की खस की सुगंध भी अति महत्वपूर्ण होती है। हालांकि इन दोनों ही तरह की सुगंध का उपयोग गर्मी में किया जाता है।
 
 
सावधानी :  ध्यान रहे कि परंपरागत सुगंध को छोड़कर अन्य किसी रासायनिक तरीके से विकसित हुई सुगंध आपकी सेहत और घर के वातावरण को नुकसान पहुंचा सकती है।  यदि आप सुगंध के रूप में धूपबत्ती या अगरबत्ती जला रहे हैं या घर में कहीं पर इत्र का उपयोग कर रहे हैं तो ध्यान रहे कि सुगंध प्राकृतिक और हल्की होना चाहिए। बहुत तीखी सुगंध का विपरित असर हो सकता है। भीनी-भीन सुगंध ही असरकारक होती है। और यदि शरीर पर सुगंध का उपयोग कर रहे हैं तो कलाइयों पर, गर्दन के पीछे और नाभि पर लगाकर इसका उपयोग करें। अगर आप चाहें तो जल में भी सुगंध डालकर इससे स्नान कर सकते हैं।
 
 
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