क्षमा, प्रेम, उदारता, लज्जा, विनय, समता, शांति, धीरता, वीरता, सेवा, सत्य, पर दुःख कातरता, शील, सद्भाव, सद्गुण और सौंदर्य इन सभी गुणों से युक्त नारी गरिमामयी बन पाती है। वर्तमान युग में महिलाएं हर मोर्चे पर अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर सफलता के झंडे लहरा रही है। आओ जानते हैं नवदुर्गा के उपलक्ष में महिलाओं के नौ महत्वपूर्ण गुण।
1.शैलपुत्री : नारी का यह रूप मनभावन होता है जब वह छोटी-सी नन्ही परी के रूप में जन्म लेती है अपनी मन-मोहक कलाओं से सबके दिलों पर छा जाती है। पुत्री के रूप में वह अपने परिवार को खुशियां देती हैं। निश्चित ही पिता के घर रहकर महिलाएं पिता को खुशियां देती हैं।
2.पार्वती या महेश्वरी : प्रत्येक महिला के भीतर सती, पार्वती, उमा, रुक्मणी, सीता या सावित्री विद्यमान है जो अपने पति के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है। पतिव्रता महिलाओं के लिए ही माता पार्वती सबसे उत्तम आदर्श उदाहरण है।
3.कुष्मांडा : महिला का पहला गुण है जन्म देना। माता कुष्मांडा की तरह महिला जन्मदात्री है। नारी की सबसे बड़ी रचना है उसका पुत्र या पुत्री। यह किसी भी कवि की कविता, चित्रकार के चित्र या अविष्कारक के अविष्कार से बढ़कर है। महिलाएं जन्मजात क्रिएटिव होती हैं।
4.स्कंदमाता : बच्चों का हर तरह से भरणपोषण करने या उनकी रक्षका करने के लिए माताएं स्कंदमाता या गणेश की माता की तरह बन जाती हैं। हर माता यशोदा, पार्वती, देवकी और कौशल्या की तरह होती है। उत्तम संस्कारों वाली महिलाएं अपनी संतानों को ही नहीं बल्कि कई पीढ़ियों को शुद्ध कर देती है।
2.सरस्वती : किसी भी बच्चे की पहली शिक्षिका मां ही होती है। माताएं जहां अपने बच्चों को शिक्षा देती हैं वहीं वह स्कूल में पढ़ाते वक्त साक्षात सरस्वती ही होती है। एक टीचर के रूप में नारी सरस्वती हैं।
3.अन्नपूर्णा : महिलाएं चाहे हाउस वाइफ हो या नौकरीपेशा हो, वह घर में खाना बनाकर जरूर खिलाती है। घर का किचन उसके ही हवाले होता है। वह माता अन्नपूर्णा की तरह होती हैं।
4.लक्ष्मी : नौकरीपेशा महिलाएं ही नहीं घरेलू महिलाएं भी साक्षात लक्ष्मी की तरह होती हैं। उनके कर्म और भाग्य के कारण ही घर में धन और समृद्धि बनी रहती है। वक्त पढ़ने पर महिलाएं अपने परिवार के पालन पोषण के लिए नौकरी या कोई कार्य भी करती हैं। महिलाएं कामकाजी होने के बावजूद एक एक अच्छी गृहिणी होती हैं।
5.दुर्गा या काली : महिलाओं को उनके घर की रक्षा की बहुत चिंता होती है। घर परिवार पर किसी भी प्रकार का संकट हो, संकट की इस घड़ी में महिलाएं यदि जरूरत पड़े तो दुर्गा या काली बनने में देर नहीं लगाती है। इसके अलावा पराक्रम के मामले में भी महिलाएं पीछे नहीं हैं। वे युद्ध का मैदान हो, व्यापार हो या राजनीति का कोई क्षेत्र, सभी जगह अपने पराक्रम का प्रदर्शन कर रही है। महिलाएं हर तरह का साहसिक कार्य कर रही है। जल, नभ और थल तीनों क्षेत्रों में महिलाओं ने अपने साहस और पराक्रम का परिचय दिया है।
9.गायत्री : नारी का एक रूप या गुण है गायत्री माता के समान। वैदिक ज्ञान की देवी गायत्री सभी को ज्ञानवान बनाती और संकटों को हरती है। भले ही कोई भी नारी पढ़ी-लिखी न हो, लेकिन हमने देखा है कि वे सुन और देखकर ही ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता रखती है। समाज में ऐसे कई उदाहरण है कि गांव की अनपढ़ महिलाओं ने देश का नाम रोशन किया है और हजारों लोगों को रोजगार भी दिया है। यह संभव होता है ज्ञान से। जहां ज्ञान है वहां शक्ति और समृद्धि होती है।