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रियो ओलंपिक में कांस्य पदक मेरी 12 सालों की मेहनत का नतीजा: साक्षी मलिक

हमें फॉलो करें रियो ओलंपिक में कांस्य पदक मेरी 12 सालों की मेहनत का नतीजा: साक्षी मलिक
, गुरुवार, 18 अगस्त 2016 (12:18 IST)
रियो डि जिनेरियो। कांस्य पदक के साथ रियो ओलंपिक में भारत के पदक का सूखा खत्म करने वाली भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि यह उनके 12 सालों की कड़ी मेहनत का नतीजा है।
साक्षी ने ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनने के साथ इतिहास रच दिया और वह ओलंपिक पदक जीतने वाली देश की चौथी महिला खिलाड़ी हैं। इससे पहले भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी (सिडनी 2000), मुक्केबाज एमसी मेरीकाम (2012 लंदन), बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल (लंदन 2012) भारत के लिए ओलंपिक में पदक जीतने वाली महिला खिलाड़ी हैं।
 
भावुक दिख रहीं साक्षी ने कहा, 'मेरी 12 साल की तपस्या लग गयी। मेरी सीनियर गीता दीदी ने पहली बार लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था।' उन्होंने कहा, 'मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत के लिए पहलवानी में पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनूंगी। मुझे उम्मीद है कि बाकी पहलवान भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।'
 
हरियाणा की 23 साल की खिलाड़ी ने 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक और 2014 के इंचिओन एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने आज कांस्य पदक के प्ले ऑफ मुकाबले में नाटकीय वापसी करते हुए किर्गिस्तान की ऐसुलू ताइनीबेकोवा को यहां 8-5 हराया।
 
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने साक्षी को गले लगाते हुए कहा, 'महिलाओं के वर्ग में हमें भारत के लिए पहला पदक मिला।' साक्षी ने करो या मरो के बाउट के पहले पीरियड के बाद 0-5 से पिछड़ने के बाद नाटकीय जीत हासिल की। भारतीय खिलाड़ी ने बाउट के आखिरी क्षणों में किर्गिस्तान की खिलाड़ी को धूल चटा दिया।
 
साक्षी ने 0-5 से पिछड़ने पर अपने रक्षात्मक खेल को लेकर कहा, 'मैंने अंत अंत तक हिम्मत नहीं हारी। मुझे पता था कि मैं अगर आखिरी छह मिनटों तक जमी रही तो जीत जाऊंगी। आखिरी राउंड में मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देना था, मुझे खुद पर विश्वास था।'

साक्षी ने कहा, 'मैं उनके साथ प्रशिक्षण लेने के लिए व्याकुल रहती थी। मैं इस बात को लेकर अपनी खुशी बयां नहीं कर सकती कि आप इन महान खिलाड़ियों के साथ मेरा नाम लेंगे।' उन्होंने कहा, 'मेरे आदर्श निश्चित तौर पर सुशील कुमार हैं जिन्होंने ओलंपिक में हमें पदक दिलाकर एक राह दिखाई।' आज तड़के रक्षाबंधन के शुभ दिन पर महिला शक्ति का प्रदर्शन करने वाली साक्षी ने रियो खेलों में भारत के पदकों का सूखा खत्म किया।
 
उन्होंने कहा, 'यह मेरे माता पिता, कोच, ट्रेनिंग पार्टनर से लेकर मेरे साथ खड़े रहे हर व्यक्ति को समर्पित है। यह उनके समर्थन का नतीजा है। मुझ पर विश्वास करें, महिलाएं पदक जीत सकती हैं।' साक्षी ने कहा, 'मुझे अंत तक पता था कि मैं पदक जीत सकती हूं, मैंने कोशिश जारी रखी। मैं आत्मविश्वास से लबरेज थी और यह पदक इन सालों के मेरे संघर्ष का नतीजा है।' 
 
उन्होंने कहा, 'इतने समर्थन के लिए आप भारतीयों का बहुत-बहुत शुक्रिया।' साक्षी ने अपने कोच कुलदीप मलिक और कुलदीप सिंह का आभार जताते हुए कहा, 'मेरे पास आराम करने के लिए ढाई घंटे थे। मेरे कोच मुझसे कहते रहे कि ‘तुम पदक जीत सकती हो, तुम मजबूत हो।’ मैं इससे पहला बाउट हार गई  क्योंकि मैंने कुछ छोटी-छोटी गलतियां की थीं। मैं वह बाउट जीत सकती थी।' 
 
उन्होंने कहा, 'उन्होंने मेरा खूब मनोबल बढ़ाया और कभी हौसला टूटने नहीं दिया। उन्होंने हर समय मेरी हौसलाअफजाई की। आप कह नहीं सकते कि शुरू में क्या होता। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।' साक्षी ने कहा, 'शुरू में आप नहीं कह सकते। यह कहना मुश्किल है कि बाउट किस तरह जाएगा। 
 
उन्होंने कहा, मैंने पहले राउंड में हमलावर होने की कोशिश की लेकिन असफल रही। लेकिन मैंने आखिरी तीन मिनटों में अपनी उम्मीद कायम रखी।' साक्षी ने विनेश के बीच मुकाबले में चोटिल होने को लेकर कहा कि यह देखकर उन्हें झटका लगा था लेकिन इससे वह मजबूत होकर लौटी।
 
 
उन्होंने कहा, 'वह मेरी अच्छी दोस्त है। उसकी चोट की बारे में जानकर मैं बहुत दुखी थी। इससे मेरा मन भटका था। वह भारत के लिए पदक की बड़ी दावेदार थी और उसके चोटिल होने पर मैं काफी दबाव में आ गई। इसने मुझे मजबूत बनाया।' (वार्ता) 

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