इस धरती पर कहां है वह खम्भा जिसमें से प्रकट हुए थे भगवान नृसिंह

Webdunia
मंगलवार, 15 मार्च 2022 (18:01 IST)
हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी से वरदान मिला था कि उसे कोई भी न धरती पर और न आसमान में, न भीतर और न बाहर, न सुबह और न रात में, न देवता और न असुर, न वानर और न मानव, न अस्त्र से और न शस्त्र से मार सकता है। इसी वरदान के चलते वह निरंकुश हो चला था।


वह खुद को भगवान मानता था। लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद श्रीहिर विष्णु का भक्त था। होलिका दहन के बाद भी जब भक्त प्रहलाद की मौत नहीं हुई तो आखिरकार क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने खुद ही प्रहलाद को मौत के घाट उतारने की ठानी। उसने अट्टाहास करते हुए कहा कि तू कहता है कि तेरा विष्णु सभी जगह है तो क्या इस खंभे में भी है? ऐसे कहते हुए हिरण्यकश्यम खंभे में एक लात मार देता है। तभी उस खंभे से विष्णुजी नृसिंह अवतार लेकर प्रकट होते हैं और हिरण्यकश्यप का वध कर देते हैं। लोकमान्यता है कि वह टूटा हुआ खंभा अभी भी मौजूद है। 
 
माणिक्य स्तम्भ : कहते हैं कि बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड के सिकलीगढ़ में वह स्थान मौजूद है जहां असुर हिरण्यकश्यप का वध हुआ था। हिरण्यकश्यप के सिकलीगढ़ स्थित किले में भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए एक खम्भे से भगवान विष्णु का नृसिंह अवतार हुआ था। वह खम्भा आज भी वहां मौजूद है, जिसे माणिक्य स्तम्भ कहा जाता है। 
 
कहा जाता है कि इस स्तम्भ को कई बार तोडऩे का प्रयास किया गया, लेकिन वह झुक तो गया लेकिन टूटा नहीं। इस खंबे से कुछ दूरी पर ही हिरन नामक नदी बहती है। कहते हैं कि नृसिंह स्तम्भ के छेद में पत्थर डालने से वह पत्‍थर हिरन नदी में पहुंच जाता है। हालांकि अब ऐसा होता है या नहीं यह कोई नहीं जानता है। माणिक्य स्तम्भ की देखरेख के लिए यहां पर प्रहलाद स्तम्भ विकास ट्रस्ट भी है। यहां के लोगों का कहना है कि इस स्तंभ का जिक्र भागवत पुराण के सप्तम स्कंध के अष्टम अध्याय में मिलता है।
 
इस स्थल की विशेषता है कि यहां राख और मिट्टी से होली खेली जाती है। कहते हैं कि जब होलिका जल गई और भक्त प्रहलाद चिता से सकुशल वापस निकल आए तब लोगों ने राख और मिट्टी एक-दूसरे पर लगा-लगाकर खुशियां मनाई थीं। इस क्षेत्र में मुसहर जाति की बहुलता है जिनका उपनाम ‘ऋषिदेव’ है।
 
यहीं पर एक विशाल मंदिर है जिसे भीमेश्‍वर महादेव का मंदिर कहते हैं। यहीं पर हिरण्यकश्यप ने घोर तप किया था। जनश्रुति के अनुसार हिरण्यकश्यप का भाई हिरण्याक्ष बराह क्षेत्र का राजा था। यह क्षेत्र अब नेपाल में पड़ता है।
 
 
उग्र स्तंभ : इसी प्रकार से कुरनूल के पास अहोबलम या अहोबिलम में भी इस तरह के एक स्तंभ के होने की बात कही जाती है। अहोबला नरसिम्हा मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल में स्थित है। आंध्रप्रदेश के ऊपरी अहोबिलम शहर में नल्लमला जंगल के बीच स्थित उग्र स्तंभ एक प्राकृतिक चट्टान है। यहाँ आने वाली ट्रेल एक तीर्थयात्रा मार्ग भी है क्योंकि मान्यता है की भगवान नरसिंह यहां प्रकट हुए थे। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी की 3 पौराणिक कथाएं

Tulsi Vivah vidhi: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

Tulsi vivah Muhurt: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है, जानें विधि और मंत्र

सभी देखें

धर्म संसार

Dev uthani gyaras upay: देव उठनी एकादशी पर घर के इस कोने में करें एक उपाय, विवाह के बनेंगे योग, दूर होंगे रोग

Vivah muhurat 2025: साल 2025 में कब हो सकती है शादियां? जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

Gopashtami 2024: गोपाष्टमी पूजा विधि और व्रत कथा

Aaj Ka Rashifal: 09 नवंबर 2024 : क्या लाया है आज का दिन आपके लिए, पढ़ें दैनिक राशिफल

09 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख
More