केरल के शानदार समुद्री तट, जानिए केरला के बारे में अद्भुत जानकारी

अनिरुद्ध जोशी
भारत की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित केरल भारत का सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक स्थलों वाला राज्य है। इसकी राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) है। यहां की भाषा मलयालम है। पुदुच्चेरी (पांडिचेरि) और लक्षद्वीप का केरल से अटूट रिश्ता है। आओ जानते हैं केरल के बारे में 10 खास बातें जो पर्यटन के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
 
 
1. पौराणिक कथाओं के अनुसार परशुरामजी ने हैययवंशी क्षत्रियों से धरती को जीतकर दान कर दी थी। जब उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं बची तो वे सह्याद्री पर्वत की गुफा में बैठकर वरुणदेव की तपस्या करने लगे। वरुण देवता ने परशुरामजी को दर्शन दिए और कहा कि तुम अपना फरसा समुद्र में फेंको। जहां तक तुम्हारा फरसा समुद्र में जाकर गिरेगा, वहीं तक समुद्र का जल सूखकर पृथ्वी बन जाएगी। वह सब पृथ्वी तुम्हारी ही होगी। परशुरामजी के ऐसा करते पर समुद्र का जल सूख गया और जो भूमि उनको समुद्र में मिली, उसी को वर्तमान को केरल कहते हैं। परशुरामजी ने सर्वप्रथज्ञ इस भूमि पर विष्णु भगवान का मंदिर बनाया। कहते हैं कि वही मंदिर आज भी 'तिरूक्ककर अप्पण' के नाम से प्रसिद्ध है। जिस दिन परशुरामजी ने मंदिर में मूर्ति स्थापित की थी, उस दिन को 'ओणम' का त्योहार मनाया जाता है।
 
2. यह क्षेत्र भारत के महान राजा महाबली का क्षेत्र है, जो अभी तक जिंदा हैं और हर वर्ष वे अपने राज्य और उनकी जनता को देखने के लिए ओणम के दिन आते हैं। ओणम वैसे तो केरल का महत्वपूर्ण त्योहार है लेकिन उसकी धूम समूचे दक्षिण भारत में रहती है। यह त्योहार किसी देवी-देवता के सम्मान में नहीं बल्की एक दानवीर असुर के सम्मान में मनाया जाता है जिसने विष्णु के अवतार भगवान वामन को तीन पग भूमि दान में दे दी थी और फिर श्री वामन ने उन्हें अमरता का वरदान देकर पाताल लोक का राजा बना दिया था। ऐसी मान्यता है कि अजर-अमर राजा बलि ओणम के दिन अपनी प्रजा को देखने आते हैं। राजा बलि की राजधानी महाबलीपुरम थी। लोग इस त्योहार को फसल और उपज के लिए भी मनाते हैं।
 
3. केरल को 'ईश्वर का अपना घर' (God's Own Country) कहा जाता है, जिसके कई कारण है। इसी के कारण केरल विश्वभर में पर्यटन का प्रमुख केंद्र बना है।
 
4. महान संत आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के मालाबार क्षेत्र के कालड़ी नामक स्थान पर नम्बूद्री ब्राह्मण के यहां हुआ। मात्र 32 वर्ष की उम्र में वे निर्वाण प्राप्त कर ब्रह्मलोक चले गए।
 
5. केरल के तिरुअनंतपुरम के पास विश्‍व प्रसिद्ध सबरीमाला का मंदिर स्थित है जहां के भगवान अयप्पा हैं। शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण उनको 'हरिहरपुत्र' कहा जाता है। भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी हैं। यहां हर दिन लाखों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रहकर यहां एक ज्योति दिखती है। इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है। वही शबरी जिसने भगवान राम को जूठे फल खिलाए थे और राम ने उसे नवधा-भक्ति का उपदेश दिया था। यह मंदिर पश्चिमी घाटी में पहाड़ियों की श्रृंखला सह्याद्रि के बीच में स्थित है। चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है, जिनके अलग-अलग अर्थ भी बताए गए हैं। पहली पांच सीढ़ियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों से जोड़ा जाता है। इसके बाद वाली 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है। अगली तीन सीढ़ियों को मानवीय गुण और आखिर दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
 
 
6. केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को कौन नहीं जानता है। 2011 में यहां से अनुमानीत 5,00,000 करोड़ का खजाना निकला था। यह खजाना त्रावणकोर के महाराजा का था। पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुअनंतपुरम् में मौजूद भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन यहां से अपार मात्रा में 'लक्ष्मी' की प्राप्ति हुई थी। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुवनंतपुरम के पर्यटन स्थलों में से एक है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए रोजाना हजारों भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। यहां लक्ष्मीजी की मूर्ति भी विराजमान है। मंदिर में एक स्वर्ण स्तंभ भी बना हुआ है, जो मंदिर की खूबसूरती में इजाफा करता है। मंदिर के गलियारे में अनेक स्तंभ बनाए गए हैं जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है, जो इसकी भव्यता में चार चांद लगा देती है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है।
 
7. केरल की मान्यता अनुसार 973 ईसा पूर्व में यहूदियों ने केरल के मालाबार तट पर प्रवेश किया। यहूदियों के पैगंबर थे मूसा, लेकिन उस दौर में उनके प्रमुख राजा थे सोलोमन। नरेश सोलोमन का व्‍यापारी बेड़ा मसालों और प्रसिद्ध खजाने के लिए आया। आतिथ्य प्रिय हिन्दू राजा ने यहूदी नेता जोसेफ रब्‍बन को उपाधि और जागीर प्रदान की।
 
8. ईसाई धर्म के माना जाता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत केरल के तटीय नगर क्रांगानोर में हुई जहां, किंवदंतियों के मुताबिक, ईसा के बारह प्रमुख शिष्यों में से एक सेंट थॉमस ईस्वी सन 52 में पहुंचे थे। हालांकि इस संबंध में विवाद भी है कि वे भारत आए थे या नहीं? फिर भी कहा जाता है कि उन्होंने उस काल में सर्वप्रथम एक नदी के किनारे तर्पण कर रहे कुछ नम्बूदरी ब्राह्मणों को ईसाई धर्म की शिक्षा दी और उन्हें ईसाई बनाया था। हालांकि इस बात पर भी विवाद है कि उन्होंने ऐसा किया था या नहीं? यह भी कहा जाता है कि उन्होंने आदिवासियों को ईसाई बनाया था जिसके चलते आदिवासियों में बहुत रोष था। इसी रोष के चलते चेन्नई शहर के एक माऊंट पर 72 ईस्वी में संत थॉमस एक आदिवासी भील के भाले से मारे गए थे। उस पहाड़ को आजकल सेंट थॉमस माऊंट कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि थॉमस नामक एक पादरी के नेतृत्व में कुछ ईसाई शरणार्थी 345 ईस्वी में भारत आए और तिरुवंचिकुलम के आसपास बस गए। उस वक्त वहां हिन्दुओं की नैयार जाति का वर्चस्व था। धीरे-धीरे ईसाई प्राचार के माध्यम से वहां उन्होंने उसी जाति के समान अपनी स्थिति को मजबूत बनाया। केरल में भारत के सबसे पुराने चर्च मौजूद हैं।
 
9. भारत देश की पहली मस्जिद केरल के त्रिशुर जिले में 629 ईसवी में बनी थी। इस मस्जिद का नाम 'चेरामन पेरुमल जुमा मस्जिद' है। यह भी कहा जाता है कि अरब के बाहर बनने वाली ये विश्व की प्रथम मस्जिद थी। स्थानीय परंपराओं के अनुसार वहां के राजा ने इस्लाम अपना लिया था और उसी के आदेश पर इस मस्जिद का निर्माण किया गया था। कहते हैं कि पहले इस जगह पर बौद्ध धर्म का पूजा स्थल हुआ करता था। अरब व्यापारी पहले समुद्र के रास्ते मालाबार ही पहुंचे थे जो हजारों साल से मसालों के व्यापार का प्रमुख केंद्र था।
 
10. केरल को कुदरत ने बड़ी खूबसूरती से संवारा है इसलिए हनीमून के लिए केरल सबसे उपयुक्त जगह है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़, शानदार समुद्री किनारा, नारियल और खजूर के पेड़ों के झुरमुट के बीच में से नाव पर सवारी, चारों ओर हरियाली और बेहद खूबसूरत नजारे, ये सब हैं केरल की खूबसूरती की असली पहचान। इन रुमानी नजारों में प्यारभरे दिलों की धड़कनें बढ़ना स्वाभाविक है। 
 
अगर आपको समुद्री किनारों से खास लगाव है तो यहां मौजूद चुआरा बीच, कोवलम बीच, मरुदेश्वर बीच, बेकल बीच, वर्कला बीच और शांघमुघम बीच आपके लिए सही रहेंगे। अगर आप किसी हिल स्टेशन का मजा लेना चाहते हैं तो केरल में मुन्नार, पेरीमेड, इड्डुकी, लक्कडी, देवीकुलम जैसे खूबसूरत पहाड़ी इलाकों में से आप किसी का भी चुनाव कर सकते हैं। खासकर मुन्नार तो देश ही नहीं, विदेशी सैलानियों के बीच भी काफी मशहूर है।

केरल के समुद्री तट :
1.कोवलम (Kovalam Beach) समुद्री तट तिरुवनन्तपुरम सिटी से 16 किमी दूर है। 
2.वर्कला (Varkala Beach) समुद्री तट तिरुवनन्तपुरम से 41 किमी दूर है।
3.थंगस्सेरी (Thanagassery Beach) कोल्लम से 5 किलोमिटर पर है।
4.चेरिया (Cheria Beach) समुद्री तर्थ अर्नाकुलम से 45 किलोमिटर दूर है।
5.तनुर (Tanur Beach) समुद्री तट मालाप्पुर जिले में है।
6.पदिनहरकारा (Padinharekara Beach) समुद्र तट मालाप्पुर जिले के कोझीकोड रेलवे स्टेशन से बहुत ही नजदीक है।
7.बेयपोरी (Beypore Beach) समुद्री तट कोझीकोड सिटी से 10 किलोमी‍टर दूर है।
8.कप्पाड (Kappad Beach) समुद्री तट कोझीकोड सिटी से 16 किलोमीट दूर है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज किसके बनेंगे सारे बिगड़े काम, जानें 21 नवंबर 2024 का राशिफल

21 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

21 नवंबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

Kark Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi:  कर्क राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

अगला लेख
More