Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

अंधी आस्था में गई जान...

जबलपुर के भर्रा गाँव में हुआ हादसा

हमें फॉलो करें अंधी आस्था में गई जान...
- श्रुति अग्रवा
आस्था और अंधविश्वास नामक हमारी विशेष प्रस्तुति में हमने अब तक आपको समाज में फैली कई ऐसी मान्यताओं और पद्धतियों से रूबरू कराया है जो कभी आस्था तो कभी घातक अंधविश्वास का रूप ले लेती हैं। हमारी इस खास प्रस्तुति के पीछे हमारा उद्देश्य आप सभी को सच्चाई से परिचित कराना और धोखे से बचाना रहा है।

हम चाहते हैं कि हमारे सुधी पाठक आस्था और अंधविश्वास के बीच खिंची पतली लकीर को पहचानें और पूरी सूझ-बूझ से फैसला लें और अंधविश्वास के नाम पर चल रहे गोरखधंधे को पहचानकर न सिर्फ उससे दूर रहें, बल्कि अपने परिचितों को भी सचेत करें।
फोटो गैलरी देखने के लिए यहाँ क्लिक करें-

webdunia
हम आपको अंधविश्वास का एक बेहद घिनौना रूप दिखा रहे हैं, जिसके कारण 11 लोगों की मौत हो गई। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं जबलपुर के कथित सरोता वाले बाबा की। ये बाबा सुपारी काटने वाले सरोते से लोगों की आँखों की बीमारी ठीक करने का दावा करते थे
webdunia
हमारी इस कड़ी में हम आपको अंधविश्वास का एक बेहद घिनौना रूप दिखा रहे हैं, जिसके कारण 11 लोगों की मौत हो गई। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं जबलपुर के कथित सरोता वाले बाबा की।

ये बाबा सुपारी काटने वाले सरोते से लोगों की आँखों की बीमारी ठीक करने का दावा करते थे। अंधश्रद्धा की गिरफ्त में फँसे भोले-भाले लोग बाबा के दावे पर विश्वास करके अपनी लाचारी लेकर उनके दर पर चले आते थे।

webdunia
Shruti AgrawalWD
बाबा का असली नाम ईश्वरसिंह राजपूत है। चूँकि वे सरोते से इलाज करते थे, इसलिए आम लोग उन्हें सरोता बाबा के नाम से पहचानते हैं। इसके अलावा उन्हें सर्जन बाबा जैसे उपनामों से भी संबोधित किया जाता था। सरोता बाबा आँखों के इलाज के अलावा एड्स और कैंसर के इलाज का भी दम भरते थे, इसलिए लोगों का ताँता लगा रहता था

इनके इलाज करने का तरीका बेहद अजीब होता था। ये मरीज के मुँह पर कंबल ढँककर मरीज की आँखों में सरोते का एक हिस्सा डालकर इलाज करते थे। इन महाशय का दावा था कि जिस व्यक्ति ने पहले ही डॉक्टर से इलाज करवा लिया है या फिर उसकी आँखों का ऑपरेशन हो चुका है, तो उसके ठीक होने की गुंजाइश कम है, अन्यथा फायदा शर्तिया होगा।

उनकी इन बातों को उनके सहयोगियों ने बुंदेलखंड-छतरपुर जैसे अपेक्षाकृत पिछड़ी जगहों पर फैला दिया था, जिसके कारण उनके दर पर लोगों की खासी भीड़ लगने लगी। फिर बाबा ने सरोते से लकड़ी काटकर देना भी शुरू कर दिया। वे दावा करते थे कि यह लकड़ी आपको हर रोग से दूर रखेगी।

webdunia
Shruti AgrawalWD
ये बाबा पिछले कई सालों से इसी तरह से इलाज करते चले आ रहे थे। उनका दावा था कि वे रोज डेढ़ घंटे अपने कुलदेवता नाग-नागिन के जोड़े की पूजा करते हैं। इस पूजा में वे जो जल चढ़ाते हैं, उसे पीने से व्यक्ति की हर बीमारी दूर हो जाती है। बाबा द्वारा फैलाई गई इन बातों पर भरोसा करके हजारों लोग गुरुवार के दिन बाबा से पवित्र जल लेने और सरोते से इलाज कराने भर्रा गाँव आते थे।

webdunia
Shruti AgrawalWD
धीरे-धीरे बाबा की ख्याति फैलने लगी और उनके पास हजारों की तादाद में लोग आने लगे। बढ़ती भीड़ गाँव वालों की परेशानी का सबब बनी और उन्होंने बाबा को यहाँ से चले जाने के लिए कहा। बाबा ने घोषणा कर दी कि अब वे गाँव से जा रहे हैं और इस गुरुवार को वे आखिरी बार इलाज करेंगे।
फोटो गैलरी देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

बाबा की घोषणा को उनके साथियों ने पूरे क्षेत्र में फैला दिया। फिर क्या था, भर्रा गाँव में लोगों का ताँता लग गया। सैकड़ों की संख्या में लगने वाली भीड़ हजारों में बदल गई। उस पर बाबा के अनुयायियों ने भीड़ को संभालने की कुछ व्यवस्था भी नहीं की थी। इतनी भीड़ देखकर बाबा भी कुछ परेशान हुए और उन्होंने लोगों को पानी पिलाने की जगह पानी फेंकना शुरू कर दिया।

webdunia
Shruti AgrawalWD
फिर क्या था, कथित पवित्र पानी को पीने के लिए भीड़ में होड़ मच गई। इससे भगदड़ शुरू हुई और एक-एक करके ग्यारह लोग मौत की आगोश में समा गए और अनेक घायल हो गए। इस दुर्घटना के बाद पुलिस ने बाबा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार बाबा के पूरे सुर बदल गए। वे अपनी चमत्कारिक शक्तियों को नकारने लगे।

वे कहने लगे कि ये तो लोगों की श्रद्धा है, अन्यथा वे एड्स और कैंसर जैसी बीमारियों के बारे में ठीक से जानते भी नहीं। जो सरोते वाले बाबा पहले दावा कर रहे थे कि हर तरह की लाइलाज बीमारी को ठीक कर सकते हैं, अब वे अपने ही दावे से पूरी तरह मुकर रहे थे। अब आप ही सोचिए कि किस तरह यह बाबा भोले-भाले लोगों को ठगते होंगे।

webdunia
Shruti AgrawalWD
इसके साथ ही इस दुर्घटना के बाद जब हमने गाँव वालों से बातचीत की तो उन्होंने हमें बताया कि यह बाबा इलाज अपने खेत में बने आश्रम में करते थे। वे इलाज के नाम पर तो एक पैसा नहीं लेते थे, लेकिन उनके ही चेलों ने उनके खेत में दुकानें लगा रखी थीं। इन दुकानों में वे पूजा का सामान दोगुने दामों में बेचते थे। फिर किसी की इच्छा हो तो बाबा को चढ़ावा चढ़ा जाए।

इस तरह लोगों के अंधविश्वास के चलते बाबा का धंधा खासा फल-फूल रहा था। इस हादसे के बाद बाबा को जेल हुई, लेकिन कुछ ही दिनों में बाबा खुली हवा में साँस ले रहे थे और उनके अनुयायी फिर उनके दर पर पहुँचने लगे थे।

webdunia
Shruti AgrawalWD
इस हादसे को देखने के बाद हमारी अपने पाठकों से यही गुजारिश है कि वे इस तरह के बाबाओं के चंगुल में न फँसें। हम मानते हैं कि हमारे पाठक सुधी लोग हैं, वे आस्था और अंधविश्वास के बीच की लकीर जानते हैं, इसलिए हम आपके सामने हर बार एक नई भ्रांति, कहानी, मान्यता लाते रहेंगे, जो आपको समाज में फैल रही आस्था और अंधविश्वास दोनों से रूबरू कराएगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi