नहाने से दूर होता है लकवा!

Webdunia
- श्रुति अग्रवा ल
रहस्य और रोमांच के इस दौर में हमारा अगला पड़ाव क्या होगा? कहाँ जाएँ हम। आपके सामने क्या नया लाएँ। हम इसी उधेड़बुन में उलझे थे कि हमारी टीम में से एक व्यक्ति ने कहा - भादवा माता जाना चाहिए। सुना है वहाँ नहाने से लकवाग्रस्त मरीज बिलकुल ठीक हो जाते हैं।

यह सुनते ही हमने निश्चय कर लिया भादवा माता जाने का। मध्यप्रदेश के नीमच शहर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद हम पहुँचे भादवा माता मंदिर। मंदिर के दोनों तरफ पूजा-अर्चना के सामानों से दुकानें सजी थीं। थोड़ा अंदर जाने पर हमें पानी की एक बड़ी टंकी दिखाई दी। हम कुछ और आगे बढ़े और मंदिर परिसर में पहुँच गए। वहाँ हमारी मुलाकात हुई मंदिर प्रबंधक विश्वनाथ गहलोत से।

Shruti AgrawalWD
विश्वनाथजी से बातचीत में पता चला कि यह भीलों की कुलदेवी भादवा माता का मंदिर है। यहाँ का पुजारी ब्राह्मण न होकर भील जाति का व्यक्ति ही होता है। हमने जब इनसे पैरालिसिस ठीक हो जाने की मान्यता के बारे में पूछा तो उनका कहना था 'जी हाँ, यहाँ चमत्कार होते हैं। यह मंदिर और यहाँ की बावड़ी काफी प्राचीन हैं। यहाँ की बावड़ी के पानी में नहाने के बाद पैरालिसिस के मरीजों को खासी राहत मिलती है'।

भादवा माता की फोटोगैलरी देखने कि लिए यहाँ क्लिक करें

बात को आगे बढ़ाते हुए गहलोत जी ने बताया कि नवरात्र के मेले के समय यहाँ खासी भीड़ रहती है। पहले यहाँ काफी अव्यवस्था फैल जाती थी, जिसको देखते हुए प्रशासन ने पानी की टंकी बनवाई है। पिछले बीस सालों से बावड़ी में नहाना बंद करवा दिया है। बावड़ी के पानी से टंकी भरती है। यहीं पर महिलाओं और पुरुषों के लिए दो अलग-अलग स्नानागार बनवाए गए हैं। अब रोगी हो या आम इनसान, स्नान यहीं किया जाता है।

अब हमें रास्ते में दिखी बड़ी टंकी का रहस्य समझ में आया। मंदिर और बावड़ी को देखने के बाद हमने रुख किया पानी की टंकी के पास बने स्नानागारों की ओर। पानी की टंकी के पास काफी भीड़ थी। हमने वहाँ स्नान कर रहे रोगियों से बातचीत की।

भादवा माता के जल से स्नान के बाद लकवा ठीक हो सकता है? सर्वेक्षण में भाग लें

Shruti AgrawalWD
इन्हीं में से एक थे, रतलाम के अंबारामजी। अंबारामजी यहाँ दूसरी बार आए थे। अंबारामजी ने हमें बताया कि मुझे तीन साल पहले लकवा मार गया था। पैर तो हिलते ही नहीं थे। यहाँ तक आने के लिए लोग उठाकर लाते थे। यहाँ नौ दिन रहने के बाद पैरों की जकड़न कुछ कम हुई। मैं तीन साल बाद अपने पैरों पर चलने लगा। फिर घर लौट गया। अब दूसरी बार फिर यहाँ आया हूँ। इस बार विश्वास है कि शनिवार-रविवार तक पूरी तरह ठीक हो जाऊँगा।

ठीक होने का दावा करने वाले अंबारामजी अकेले नहीं हैं। राजस्थान से यहाँ आए अशोक के परिवार वाले भी ऐसा ही दावा करते हैं। अशोक पाँच दिन पहले यहाँ आया था। उसके शरीर का दायाँ हिस्सा पूरी तरह से लकवे की चपेट में था। यहाँ आने के बाद उसका हाथ उठने लगा। वह लकड़ी का सहारा लेकर चलने लगा। उसकी स्थिति में सुधार देखकर उसके परिवार के लोग काफी खुश थे।

भादवा माता की फोटोगैलरी देखने कि लिए यहाँ क्लिक करें

इनके अलावा यहाँ स्नान कर रहीं देवबाई, रामलाल, चिंतामण, रमेश आदि सभी का दावा था कि उनकी स्थति में कुछ सुधार हुआ है। यहीं दुकान चलाने वाले राधेश्याम शर्मा का कहना है कि कुछ साल पहले यहाँ वैज्ञानिकों ने कुछ जाँच की थी, जिसके बाद बताया गया कि यहाँ के पानी में कुछ ऐसे रासायनिक तत्व हैं जिसके कारण नसों में खून का बहाव तेज हो जाता है। शायद लोगों के ठीक होने की यही वजह होगी।

Shruti AgrawalWD
हम लकवा रोगियों से बातचीत कर रहे थे, तभी पता चला कि यहाँ के पुजारी आ चुके हैं। यह सुनते ही हम पहुँच गए माँ के द्वार। राधेश्याम भील नामक पुजारी पिछले कई सालों से यहाँ की देखभाल कर रहे हैं। उनका कहना है, यहाँ की मान्यता है कि शनिवार और रविवार की रात में देवीजी अपनी सवारी के साथ मंदिर की परिक्रमा करती हैं और यहाँ सो रहे रोगियों के रोग हर लेती हैं।

इस मान्यता के कारण यहाँ आने वाले यात्री रात मंदिर के परिसर में ही गुजारते हैं। इसी के साथ-साथ यहाँ जिंदा बकरा-मुर्गा चढ़ाने की मान्यता भी है, जिसके कारण मंदिर परिसर में मुर्गे और बकरे घूमते नजर आते हैं। इसके चलते परिसर में गंदगी हो जाती है। यहाँ मुर्गों के जरिए टोटका करने की मान्यता भी काफी प्रचलित है।

भादवा माता के जल से स्नान के बाद लकवा ठीक हो सकता है? सर्वेक्षण में भाग लें

Shruti AgrawalWD
यहाँ सुबह-शाम होने वाली आरती का भी काफी महत्व है। आरती के समय यहाँ आए रोगी चाहे वह कितने भी लाचार क्यों न हों, देवी के सम्मुख जरूर आते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यदि माँ प्रसन्न हो जाए तो रोगी घंटा बजाते हुए या मंदिर की परिक्रमा लगाते हुए ठीक हो जाता है।

भादवा माता की फोटोगैलरी देखने कि लिए यहाँ क्लिक करें

यह तो मान्यताएँ हैं, लेकिन यहाँ के पानी की तासीर कुछ अलग है। अभी इसकी पूरी वैज्ञानिक जाँच होनी बाकी है, क्योंकि यहाँ की बावड़ी ही नहीं, बल्कि आसपास के कुओं के पानी में भी कुछ खास है। गर्मियों में जब बावड़ी का पानी सूख जाता है, तब आसपास के कुओं से बावड़ी में पानी डाला जाता है। इस पानी का भी रोगियों पर सकारात्मक असर होता है।

इससे पता चलता है कि यहाँ के पानी में ही कुछ खास है। हमने अपनी खोजबीन में महसूस किया कि यहाँ आने वाले कई लोग दावा कर रहे थे कि यहाँ आने के बाद उनका लकवा ठीक हुआ है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ता है। यहाँ के लोगों का कहना है, हम सभी माँ की औलाद हैं। यदि हम उन पर जननी की तरह विश्वास रखकर तकलीफ दूर करने की विनती करेंगे तो वे हमारी मुराद जरूर पूरी करेंगी। अब आप इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन यह सच है कि यहाँ स्नान करने वाले कई लकवा रोगी ठीक हो जाने का दावा करते हैं।

Shruti AgrawalWD
कब से शुरू है सिलसिला - भादव माता का मंदिर 800 साल पुराना माना जाता है। यहाँ की मूर्तियाँ भी काफी प्राचीन हैं। पहले-पहल यहाँ लोग दर्शन से पहले बावड़ी के पानी में स्नान करते थे। फिर कुछ लोगों को महसूस हुआ कि यहाँ के पानी से स्नान करने के बाद लकवे के मरीज को फायदा होता है। धीरे-धीरे यह बात फैलने लगी। रोगियों की भीड़ मंदिर में लगने लगी। तब शासन की पहल से यहाँ पानी की टंकी का निर्माण हुआ। साल में दोनों नवरात्रों पर यहाँ मेला लगता है।

भादवा माता के जल से स्नान के बाद लकवा ठीक हो सकता है? सर्वेक्षण में भाग लें
Show comments

झाड़ू से क्या है माता लक्ष्मी का कनेक्शन, सही तरीके से झाड़ू ना लगाने से आता है आर्थिक संकट

30 को या 31 अक्टूबर 2024 को, कब है नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का पर्व?

बुध ग्रह का तुला राशि में उदय, 4 राशियों के लिए रहेगा बेहद शुभ समय

करवा चौथ पर राशि के अनुसार पहनें परिधान

Diwali muhurat 2024 : दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और सामग्री सहित पूजा विधि

Aaj Ka Rashifal: 23 अक्टूबर का दिन क्या लेकर आया है सभी के लिए, पढ़ें अपना दैनिक राशिफल

नरक चतुर्दशी पर यम का दीपक दिलाता है अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति, जानिए नरक चतुर्दशी का महत्व

23 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

23 अक्टूबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Diwali 2024 : इस दिवाली तेल नहीं पानी के दीयों से करें घर को रोशन

More