संघ मुख्यालय पर हमले में फैसला
तीन को आजीवन कारावास और बाशा बरी
यहाँ की एक विशेष टाडा अदालत ने अगस्त 1993 में आरएसएस मुख्यालय पर किए गए बम धमाके में भूमिका को लेकर तीन अभियुक्तों को गुरुवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस बम धमाके में 11 लोगों की मौत हुई थी।
न्यायाधीश टी रामास्वामी ने आठ अन्य को तीन से पाँच साल की सजा सुनाई, जबकि प्रतिबंधित संगठन अल उम्मा के संस्थापक एसए बाशा समेत चार लोगों को बरी कर दिया। कजा निजामुद्दीन हैदर अली और सिद्दिकी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार निजामुद्दीन और इमाम अली (अब मृत) ने आरएसएस के दफ्तर में बम रखा, जबकि हैदर अली तथा सिद्दिकी बाहर खड़े थे। उन्हें टाडा और भादंस की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया।
अन्य अभियुक्तों के मामले में न्यायाधीश ने कहा कि जेल के अंदर जितना समय इन लोगों ने पहले ही काट लिया है, उसे उनकी सजा में से कम कर दिया जाएगा।
इस मामले में बाशा समेत 18 लोगों को नामजद किया गया था। दो अन्य अभियुक्तों में इमाम अली और जिहाद कमेटी के पलानी बाबा थे।
संदिग्ध आईएसआई एजेंट अली मदुरै में हिरासत से फरार हो गया था और बंगलोर में 29 सितंबर 2002 को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। जबकि पलानी बाबा को आरएसएस के संदिग्ध समर्थकों ने 28 जनवरी 1997 को मार डाला था। सात अभियुक्त जमानत पर रिहा थे, जबकि मुश्ताक अहमद फरार है।
विस्फोट में आरडीएक्स का इस्तेमाल किए जाने का सबूत मिलने के बाद इस मामले की जाँच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी गई थी।