जम्मू। जुलाई में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद जम्मू कश्मीर में चल रहे गतिरोध को खत्म करने की कोशिश के तहत बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने पांच सदस्यीय शिष्टमंडल के साथ कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सईद अली शाह गिलानी और मीरवायज उमर फारूक से श्रीनगर में मुलाकात की। सिन्हा के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने हैदरपोरा इलाका स्थित गिलानी के घर पर उनसे मुलाकात की।
गिलानी के साथ बैठक से पहले सिन्हा ने बताया कि वे यहां किसी शिष्टमंडल के रूप में नहीं आए। वे लोग सद्भावना और मानवता के आधार पर यहां आए हैं। इसका लक्ष्य लोगों के दुख दर्द और कष्टों को साझा करना है। अगर हम ऐसा कर सके तो खुद को धन्य महसूस करेंगे। दल के मीरवायज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक जैसे अन्य अलगाववादी नेताओं से मिलने के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि वे हर किसी से मिलने की कोशिश कर रहे हैं।
शिष्टमंडल के राज्य में अलगाववादी नेताओं से मिलने पर सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि न तो सरकार और न ही पार्टी (भाजपा) का इससे कुछ लेना-देना है। यह उनका निजी दौरा है। गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने शिष्टमंडल के इस दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुछ भी अगर स्वेच्छा से किया गया हो तो उसे रोका नहीं जा सकता है।
रिजीजू ने कहा कि इसके आगे मेरे पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं है। वहीं, यूपीए शासनकाल में रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी ने कहा कि प्रतिष्ठा का ख्याल रखे बिना सरकार को हर किसी से बातचीत करनी चाहिए। बातचीत से समस्या का समाधान तलाशिए। सरकार को कश्मीर के युवाओं के मिजाज को समझना होगा।
शिष्टमंडल के सदस्य वजाहत हबीबुल्ला ने बताया कि हमने मित्रता भरे माहौल में जम्मू कश्मीर के हालात पर बातचीत की। अलगाववादियों ने हमसे इसलिए मुलाकात की क्योंकि हम सरकार की तरफ से भेजे गए प्रतिनिधिमंडल नहीं थे।
वहीं, दौरे के समय को लेकर सवाल पूछे जाने पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि यह बहुत शाश्वत प्रश्न है कि आपने ऐसा पहले क्यों नहीं किया। हम लोग इसे काफी उपयुक्त समय पर कर रहे हैं। अलगाववादियों से कोई आमंत्रण मिलने के संबंध में पूछे जाने पर सिन्हा ने बताया कि हमें कोई आमंत्रण (गिलानी से) नहीं मिला। हमने उन्हें आग्रह (बैठक के लिए) किया था।
शिष्टमंडल के अन्य सदस्यों में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व एयर वाइस-मार्शल कपिल काक, पत्रकार भारत भूषण और सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकॉन्सिलिएशन की सुशोबा बर्वे शमिल थे।