Manipur Violence भारतीय फुटबॉलर चिंगलेनसाना सिंह कोझिकोड में मई की एक उमस भरी शाम जब मैदान से ड्रेसिंग रूम लौटे तो उन्होंने देखा कि उनके फोन पर बहुत सारे मैसेज और मिस्ड कॉल थीं।
चिंतित चिंगलेनसाना ने तुरंत वापस फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। हिंसाग्रस्त मणिपुर के इस सेंटर बैक को हालांकि जल्द ही पता चल गया कि राज्य में तीन मई को शुरू हुई हिंसा में वह अपना लगभग सब कुछ खो चुका है। तीन मई को ही यह फुटबॉलर कोझिकोड में मोहन बागान के खिलाफ एएफस कप प्ले ऑफ (एशियाई महाद्वीपीय टूर्नामेंट) में हैदराबाद एफसी का प्रतिनिधित्व कर रहा था।
चूरचंदपुर जिले के खुमुजामा लेकेई के रहने वाले चिंगलेनसाना ने पीटीआई से कहा, इसने हमारे से सब कुछ छीन लिया, हमने जो भी कमाया था, हमारे पास जो भी था।उन्होंने कहा, मैंने खबर सुनी कि हमारा घर जला दिया गया है और इसके बाद चूरचंदपुर में मैंने जो फुटबॉल टर्फ बनाई थी उसे जला दिया गया। यह दिल तोड़ने वाला था।
इस फुटबॉलर ने कहा, मैंने युवा को मंच मुहैया कराने का बड़ा सपना देखा था लेकिन यह छीन लिया गया। भाग्य से मेरा परिवार हिंसा से बच गया और उन्हें राहत केंद्र में रखा गया।
थोड़ी देर की कोशिश के बाद जब चिंगलेनसाना अंततः अपनी मां से संपर्क करने में कामयाब रहे वह विलाप कर रही थी और पीछे से गोलियों की आवाज आ रही थी। ऐसे में उन्होंने तुरंत अपने घर वापस जाने का फैसला किया।
वह अब और देर नहीं कर सकता था क्योंकि तब तक हिंसा ने उनका घर नष्ट कर दिया था, उनके गांव को तबाह कर दिया था और महत्वाकांक्षी फुटबॉलरों के सपनों को पंख देने की उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। केवल उनका परिवार ही जीवित था।
अपने परिवार के साथ रहते हुए राहत महसूस कर रहे चिंगलेनसाना अब बेहद परेशान करने वाले अनुभव से उबरने और नए सिरे से शुरुआत करने के तरीकों के बारे में सोच रहे हैं।(भाषा)