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अल्पसंख्यक आयोग हुआ सख्‍त, कानून के उल्लंघन पर दर्ज होगा मुकदमा

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, शुक्रवार, 20 जुलाई 2018 (17:16 IST)
बरेली (उप्र)। हलाला, तीन तलाक और बहुविवाह के खिलाफ आवाज उठाने वाली आला हजरत खानदान की पूर्व बहू निदा खान के खिलाफ फतवा जारी करने के मामले में उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग की टीम ने दोनों पक्षों के लिखित बयान दर्ज किए हैं।


आला हजरत खानदान की बहू निदा खान को इस्लाम से खारिज करने के फतवे पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग की दो सदस्‍यीय जांच समिति ने पहुंचकर निदा और उनके खिलाफ फतवा जारी करने वाले पक्ष से बातचीत की। अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य रूमाना सिद्दीकी और कुंवर इकबाल हैदर ने दोनों पक्षों के लिखित बयान दर्ज किए।

शुक्रवार को जांच रिपोर्ट आयोग की बैठक में रखी जाएगी। जांच समिति ने कहा कि यह घटना बेहद संवेदनशील है। इससे धार्मिक, जनभावनाएं जुड़़ी हैं। इसके बावजूद कोई भी व्यक्ति कानून को चुनौती नहीं दे सकता है। कानून का राज है। फतवे के जरिए कानून का उल्लंघन करने वालों पर मुकदमा दर्ज हो सकता है।

जिलाधिकारी वीरेन्द्र कुमार सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुनिराज जी. समिति से मिलने पहुंचे और समिति ने अधिकारियों से पूरे घटनाक्रम का फीडबैक लिया। इस बीच, गत 16 जुलाई को बरेली शहर के बानखाना क्षेत्र में एक कथित हलाला पीड़िता के बचाव के लिए पहुंची निदा पर भीड़ के ‘हमले’ के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उनके पास पहले से ही एक गनर था अब एक और गनर उन्हें दे दिया गया है।

मालूम हो कि गत 16 जुलाई को आला हजरत दरगाह के दारुल इफ्ता विभाग ने निदा के खिलाफ फतवा जारी किया था। शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने दावा किया था कि मुफ्ती अफजाल रजवी के दस्तखत से जारी फतवे में कहा गया है कि निदा अल्लाह और उसके बनाए हुए कानून की मुखालिफत कर रही हैं, लिहाजा उनका ‘हुक्का-पानी’ बन्द कर दिया गया है। निदा की मदद करने वाले और उनसे मिलने-जुलने वाले मुसलमानों को भी इस्लाम से खारिज किया जाएगा।

मुफ्ती आलम ने बताया कि फतवे के मुताबिक निदा अगर बीमार हो जाती हैं तो उनको दवा भी नहीं दी जाएगी। निदा की मौत पर जनाजे की नमाज पढ़ने पर भी रोक लगा दी गई है। इतना ही नहीं निदा की मृत्यु होने पर उन्हें कब्रिस्तान में दफनाने पर भी रोक लगा दी गई है।

निदा की शादी आला हजरत खानदान के उस्मान रजा खां उर्फ अंजुम मियां के बेटे शीरान रजा खां से 16 जुलाई 2015 को शादी हुई थी मगर बाद में पांच फरवरी 2016 को उनका तलाक हो गया था। उसके बाद निदा ने अदालत का सहारा लिया है। निदा अन्य तलाकशुदा महिलाओं के लिए भी आंदोलन कर रही हैं। उन्होंने तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं के खिलाफ भी अभियान छेड़ रखा है। (भाषा) 

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