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अब सेब, सेब के व्यापारी और ढोने वाले ट्रक आतंकियों के निशाने पर

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सुरेश डुग्गर

, शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019 (07:45 IST)
जम्मू। जो फसल कश्मीरियों को प्रतिवर्ष 1,200 से 1,500 करोड़ की आमदनी देती है, वह अब आतंकियों के निशाने पर है। 5 अगस्त को राज्य के 2 टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद से ही हताश आतंकियों ने कश्मीर की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने की जो कोशिशें आरंभ कीं, उनके निशाने पर सेब की फसल, सेब को खरीदने वाले व्यापारी, सेब को उगाने वाले किसान और सेबों को ढोने वाले ट्रक व उनके चालक आ गए हैं।
तीन दिनों में आतंकियों ने सेब से जुड़े एक व्यापारी और एक ट्रक ड्राइवर की हत्या कर और कुछ बागों में फसलों को नष्ट कर कश्मीरियों को डराने व दहशतजदा करने की कोशिश की है। इसी कोशिश में एक प्रवासी श्रमिक को भी मार डाला गया, क्योंकि अभी भी कश्मीर में बचे हुए 2,000 के करीब प्रवासी श्रमिक सेब के बागों में कश्मीरियों की मदद कर रहे हैं।
 
पहले जब आतंकी सिर्फ पोस्टरों से कश्मीरियों को इसके प्रति चेतावनी दे रहे थे तो कश्मीरियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था। वे आखिर ध्यान देते भी कैसे, क्योंकि करीब 1,500 करोड़ की आमदनी देने वाली फसल को वे यूं ही बर्बाद नहीं होने देना चाहते थे। वैसे इस चेतावनी का असर भी दिखा था। कश्मीर से निकलकर दिल्ली की मंडी तक पहुंचने वाले सेबों के वाहनों की संख्या इस बार 350-400 से कम होकर 200 रहने की आशंका है।
यूं तो प्रशासन ने दावा किया था कि वह सभी ट्रकों को सुरक्षा प्रदान करेगा, पर राजस्थान का ट्रक ड्राइवर शरीफ खान खुशकिस्मत नहीं था जिसके ट्रक पर हमला करने वाले आतंकियों ने उसे मौत के घाट उतार दिया था। सेब की फसल से जुड़े अन्य लोगों पर भी आतंकी कहर बरपना रुका नहीं था। यही कारण था कि देर रात आतंकियों ने पुलवामा में पंजाब से आए 2 सेब व्यापारियों पर गोलियां बरसाईं तो एक चरणजीत सिंह की मौत हो गई और दूसरा संजीव जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है।
 
नतीजतन स्थिति यह है कि कश्मीरी परेशान हो उठे हैं। कश्मीर में पैदा होने वाली अन्य फसलों में सेब की फसल ही ऐसी है, जो उन्हें हमेशा मालामाल करती आई है। लेकिन इस पर अब आतंकियों की नजर इसलिए है, क्योंकि वे कश्मीरियों को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ भड़का पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।
 
दरअसल, पाकिस्तान चाहता है कि कश्मीरी भारत विरोधी प्रदर्शनों में जमकर हिस्सा लें और इसके लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है। यह दबाव आतंकी धमकियों और चेतावनियों के माध्यम से बनाया जा रहा है। इसमें अब सेब की फसल को शामिल कर लिए जाने के कारण कश्मीरियों में गुस्सा भी है।
 
यह सच है कि इससे पहले कभी आतंकियों ने सेब के व्यापार को अपने संघर्ष का हिस्सा नहीं बनाया था। लेकिन अब कश्मीर से भेजे जाने वाले सेबों पर आजादी समर्थक तथा भारत विरोधी नारे लिखकर भी भिजवाए जा रहे हैं, जो जम्मू के लोगों की भावनाएं भड़काने का काम कर रहे हैं।

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