जेल बन रही है सुधार गृह, उम्रकैद का बंदी कैनवास पर उकेर रहा अपने मनोभाव

हिमा अग्रवाल
शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022 (22:36 IST)
मेरठ। जेल का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे की हवाइयां उड़ जाती हैं। सभ्य समाज के लिए जेल की रोटी-पानी कलंक माना जाता है, लेकिन जरायम की दुनिया में अपराधियों को उनके किए गए आपराधिक कृत्यों के दंड स्वरूप जेल की काल कोठरी में बंद रहना पड़ता है। मेरठ की जेल में बंद आज हम एक ऐसे अपराधी से आपको रूबरू कराएंगे, जो पेंटिंग के जरिए अपने मनोभावों को उकेर रहा है और समाज में अपनी छवि को सुधारने का भरसक प्रयास कर रहा है।

अंकुर सिंह के मन में चित्रकला के अंकुर तब प्रस्फुटित हुए जब नगर निगम की एक टीम जेल में कुछ चित्रकारों की मदद से जेल के सौंदर्यीकरण के लिए पहुंची। वहां अंकुर उन्हें ध्यान से देखता रहा और उनके जाने के बाद वह दीवारों पर कृतियां उकेरने के प्रयास में जुट गया और आज वह सचमुच एक चित्रकार है।

मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में हत्या जैसे अपराध के लिए रायबरेली का रहने वाला अंकुर सिंह उम्रकैद की सजा काट रहा है। अंकुर लखनऊ में हुए एक हत्याकांड में सजायाफ्ता मुजरिम है, जिसके चलते उसे सबसे पहले लखनऊ जेल में रखा गया।

यहां भी अंकुर का शातिर दिमाग चलता रहा और उसकी बैरक से मोबाइल बरामद हुआ। इस उम्रकैद के मुजरिम को लखनऊ से उन्नाव जेल शिफ्ट किया गया, लेकिन यहां भी वह अपनी खुराफात से बाज नहीं आया, जिसके बाद अंकुर को मेरठ जिला कारागार में हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया।

अंकुर हत्या जैसे जघन्य अपराध के लिए मेरठ जेल मैं बंद है और अब वह समाज के सामने अपनी छवि सुधारना चाहता है। अंकुर ने अपने दर्द को उकेरने के लिए कैनवास का सहारा लिया है, वह तूलिका से पेंटिंग बनाकर पश्चाताप कर छवि सुधारने की कोशिश कर रहा है।

मेरठ के जेल अधीक्षक एक दिन हाई सिक्योरिटी बैरक इंस्पेक्शन के लिए अंकुर की बैरक में पहुंचे और दंग रह गए। यहां पर इस हत्या के अपराधी ने बैरक की दीवार पर बहुत सुंदर पेंटिंग बना रखी थी। पेंटिंग देखकर जेलर राकेश कुमार खुश हो गए और उन्होंने अंकुर की हौसलाअफजाई करते हुए इस हुनर को आगे बढ़ावा देने का मन बना लिया।

मेरठ जेल अधीक्षक ने पेंटिंग के लिए अंकुर को कैनवास, ब्रश और कलर मुहैया कराया। इस अपराधी ने अपने अंदर छुपी प्रतिभा को कैनवास और वॉल पेंटिंग पर उकेरना शुरू कर दिया। अंकुर की यह प्रतिभा देखकर जेल प्रशासन सहित सभी लोग उसके हुनर के कायल हो गए।

अंकुर मशहूर चित्रकार पिकासो को अपना गुरु मानते हैं और उनके पेंटिंग कलेक्शन में कुछ भगवान के चित्र हैं तो कुछ नेचर से जुड़ी हुई तस्वीरें शामिल हैं। वह अब तक 40 वॉल पेंटिंग्स और 250 से ज्यादा कैनवास पेंटिंग बना चुका है।

इन तस्वीरों को देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि ये किसी अपराधी ने बनाई हैं। इन्हें देखकर पहली दृष्टि में यह नहीं कहा जा सकता है कि चित्रकारी है, बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि कोई लाइव दृश्य आंखों के सामने है। अंकुर कहते हैं कि उन्होंने सबसे पहला चित्र अपनी पत्नी से वियोग का बनाया है।

वैसे उन्होंने नेचर, पक्षी और अन्य कल्पनाओं को तूलिका से उकेरा है, अब उनकी दिली तमन्ना है कि वह अपराध के बाद जेल में काटी जाने वाली सजा का मर्म चित्रों में उभार सके, ताकि उन्हें देखकर जो लोग जुर्म की दुनिया में कदम रखना चाहते हैं, वे समझ सकें कि जुर्म करने वालों का क्या अंजाम होता है।

मेरठ चौधरी चरण सिंह जेल के अधीक्षक राकेश कुमार की मानें तो जेल अब प्रताड़ित करने की जगह नहीं बल्कि अपराधियों की मनोवृत्ति को समझकर सुधार गृह बन रही हैं। जेल में बंदियों को सही राह पर लाने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम और स्किल्स डेवलपमेंट की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। मनोविज्ञान भी कहता है की चित्रों को देखकर अपराधी के मन को पढ़ा जा सकता है, जिसके चलते उसे सही राह पर लाया भी जा सकता है।

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