मुंबई। शिवसेना ने महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) की सत्ता साझेदारी व्यवस्था में 'नजरअंदाज' किए जाने की सहयोगी पार्टी कांग्रेस की शिकायत को कोई खास तवज्जो न देते हुए मंगलवार को कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन की स्थिरता को लेकर चिंता करने की कोई वजह नहीं है।
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में कहा गया कि विभिन्न विचारधाराओं वाले दलों के राजनीतिक ढांचे में नाराजगी होना लाजमी है लेकिन किसी के मन में भी यह झूठी धारणा नहीं होनी चाहिए कि एमवीए सरकार (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस) गिर जाएगी और राजभवन के द्वार उनके लिए एक बार फिर सुबह-सुबह खोले जाएंगे।
संपादकीय में साफतौर पर पिछले साल राजभवन में सुबह-सुबह जल्दबाजी में आयोजित किए गए समारोह का जिक्र किया गया था, जहां भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी, जब उनकी पार्टी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद की साझेदारी के मुद्दे पर मनमुटाव हो गया था।
हाल ही में कांग्रेस ने निर्णय लेने की प्रक्रिया में और राज्य सरकार की महत्त्वपूर्ण बैठकों में खुद को भी शामिल किए जाने पर जोर देना शुरू कर दिया था। कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राकांपा के अध्यक्ष, शरद पवार से कोविड-19 वैश्विक महामारी और चक्रवात 'निसर्ग' से प्रभावित लोगों को राहत देने समेत अन्य कई मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इससे ऐसी भावना पैदा हो रही है कि प्रदेश कांग्रेस को अलग-थलग कर दिया गया है। कांग्रेस ने ठाकरे से जल्द से जल्द तीनों सत्तारूढ़ दलों की एक बैठक करने की अपील की है ताकि राज्य विधान परिषद में नामांकन के लिए 12 सदस्यों के नाम तय किए जा सकें।
'सामना' ने कांग्रेस को गठबंधन सरकार का 'तीसरा स्तंभ' करार देते हुए दावा किया कि शिवसेना ने त्रिदलीय गठन में 'सबसे ज्यादा बलिदान' दिया है। इसने कहा कि कांग्रेस ऐतिहासिक विरासत वाली एक पुरानी पार्टी है, जहां नाराजगी की सुगबुगाहट ज्यादा है।
मराठी दैनिक ने कहा कि पार्टी (कांग्रेस) में कई हैं, जो दल बदल सकते हैं। यही कारण है कि सुगबुगाहट सुनाई देती है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को गठबंधन में ऐसी सुगबुगाहटों को बर्दाश्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए। ठाकरे नीत पार्टी ने कहा कि विभिन्न विचारधाराओं वाली पार्टी की त्रिदलीय सरकार में असंतोष और खुसर-फुसर सुनाई देना लाजमी है। (भाषा)