राज्यपाल मिश्र ने कहा, शॉर्ट नोटिस पर बुलाया जा सकता है राजस्थान विधानसभा का सत्र

Webdunia
मंगलवार, 28 जुलाई 2020 (00:50 IST)
जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार से कहा है कि वह विधानसभा सत्र बुलाने के अपने प्रस्ताव को फिर से उनके पास भेजे। राज्यपाल ने सरकार के संशोधित प्रस्ताव को सरकार को 3 बिंदुओं के साथ लौटा दिया है। इसके साथ ही इसमें राजभवन की ओर से कहा गया है कि यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह शॉर्ट नोटिस में सत्र बुलाए जाने का युक्तिसंगत आधार बन सकता है।

उल्लेखनीय है कि पिछले चार दिन में राज्यपाल ने दूसरी बार सरकार के प्रस्ताव को कुछ 'बिंदु' उठाते हुए लौटाया है और कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। इसके साथ ही राजभवन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई भी मंशा राजभवन की नहीं है।

राजभवन के एक अधिकारी के अनुसार राज्य सरकार ने शनिवार रात को जो संशोधित कैबिनेट प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा गया था उसमें विधानसभा सत्र 31 जुलाई से बुलाने की बात थी, लेकिन राज्यपाल ने रेखांकित किया है कि इसके लिए 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देना होगा।

नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, इसके अनुसार विधानसभा सत्र बुलाए जाने की प्रस्तावित तारीख अब बदलनी होगी। अधिकारी के अनुसार, राज्यपाल ने कहा है कि सत्र नहीं बुलाने की कोई मंशा नहीं है। वह सत्र बुलाने के लिए सहमत हैं, लेकिन कुछ सुझाव हैं जिन पर राज्य सरकार को कार्यवाही करनी होगी।

राजभवन के सूत्रों ने बताया कि राजभवन ने जो तीन बिंदु उठाए हैं उनमें पहला बिंदु यह है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्पावधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तिसंगत आधार बन सकता है।

सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की राज्य सरकार की संशोधित पत्रावली को तीन बिंदुओं पर कार्यवाही कर पुन: उन्हें भिजवाने के निर्देश के साथ संसदीय कार्य विभाग को भेजी है। इससे पहले राज्यपाल ने सरकार के प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं पर कार्यवाही के निर्देश के साथ लौटाया था।

राजभवन ने तीन बिंदुओं पर कार्यवाही किए जाने का समर्थन देते हुए पत्रावली पुन: प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं इनमें पहला बिंदु यह है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अंतर्गत सभी को समान अवसर सुनिश्चित हो सके।

राजभवन की ओर से जारी एक बयान के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। इसके अनुसार राज्यपाल मिश्र ने संविधान के अनुच्छेद 174 के अन्तर्गत परामर्श देते हुए विधानसभा का सत्र आहूत किए जाने हेतु कार्यवाही किए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं।

मिश्र ने कहा है कि विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई भी मंशा राजभवन की नहीं है। बयान के अनुसार राज्यपाल मिश्र द्वारा संवैधानिक एवं नियमावलियों में विहित प्रक्रिया तथा प्राविधानों के अनुरूप ही कार्य किए जाने का निश्चय दोहराया गया है।

इसमें कहा गया है, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया में राज्य सरकार के बयान से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है परंतु सत्र बुलाने के प्रस्ताव में इसका उल्लेख नहीं है। यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्पावधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तिसंगत आधार बन सकता है।

इसके पहले बिंदु में कहा गया है,विधानसभा का सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए, जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अन्तर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अन्तर्गत सभी को समान अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। अत्यंत महत्वपूर्ण समाजिक व राजनैतिक प्रकरणों पर स्वस्थ बहस देश की शीर्ष संस्थाओं यथा माननीय उच्चतम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय आदि की भांति ऑनलाइन प्लेटफार्म पर किए जा सकते हैं ताकि सामान्य जनता को कोविड-19 के संक्रमण से बचाया जा सके।
 
राजभवन की ओर से जो दूसरा बिंदु उठाया गया है वह है कि यदि किसी भी परिस्थिति में विश्वस मत हासिल करने की विधानसभा सत्र में कार्यवाही की जाती है तब ऐसी परिस्थितियों में जबकि माननीय अध्यक्ष महोदय द्वारा स्वयं माननीय उच्चतम न्यायालय में विषेश अनुज्ञा याचिका दायर की है।

विश्वास मत प्राप्त करने की संपूर्ण प्रक्रिया संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में की जाए तथा संपूर्ण कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाए तथा ऐसा विश्वास मत केवल हां या ना के बटन के माध्यम से ही किया जाए। यह भी सुनिश्चत किया जाए कि ऐसी स्थिति में विश्वास मत का सजीव प्रसारण किया जाए।

तीसरे बिंदु में सरकार से कहा गया है, यह भी स्पष्ट किया जाए कि यदि विधानसभा का सत्र आहूत किया जाता है तो विधानसभा के सत्र के दौरान सामाजिक दूरी का पालन किस प्रकार किया जाएगा। क्या कोई ऐसी व्यवस्था है जिसमें 200 विधायक और 1000 से अधिक अधिकारी/कर्मचारियों को एकत्रित होने पर उनको संक्रमण का कोई खतरा नहीं हो और यदि उनमें से किसी को संक्रमण हुआ तो उसे अन्य में फैलने से कैसे रोका जाएगा।

राज्यपाल मिश्र ने कहा है, जैसा कि मुझे मालूम है कि राजस्थान विधानसभा में 200 विधायक और 1000 से अधिक अधिकारी/कर्मचारियों के एक साथ सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बैठने की व्यवस्था नहीं है जबकि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं भारत सरकार के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना आवश्यक है।
राजभवन की ओर से कहा गया है, चूंकि वर्तमान में परिस्थितियां असाधारण हैं, इसलिए राज्य सरकार को तीन बिंदुओं पर कार्यवाही किए जाने का परामर्श देते हुए राजभवन द्वारा पत्रावली पुनः प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।(भाषा)

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